प्रयागराज (ब्यूरो)।भीषण गर्मी में चिल्डे्रन हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के तीमारदार बरामदे में समय बिताने को मजबूर हैं। क्योंकि यहां उनके लिए बनाया गया रैन बसेरा खराब हालात में है और उस पर ताला जड़ दिया गया है। ऐसे में तीमारदार में उसमें रुक नही पा रहे हैं। जबकि रैन बसेरा का निर्माण केवल तीमारदारों के ठहरने के लिए किया गया था।
बरामदे से निकलना मुश्किल
चिल्ड्रेन अस्पताल 120 बेड का है और लगभग सभी बेड पर मरीज भर्ती हैं। लेकिन इन मरीजों के तीमारदारों पर रुकने का कोई ठिकाना नही है। अस्पताल के बगल में पूर्व में रैन बसेरा बनाया गया था। लेकिन वर्तमान में उसके हालात अच्छे नही हैं। साफ सफाई की भी कमी है। रही सही कसर अस्पताल के स्टाफ ने उसमें ताला लगाकर कर दी है। ऐसे में तीमारदार बरामदे में ही लेटे रहते हैं। यही भोजन भी करते हैं। जिसकी वजह से अस्पताल में निकलना मुश्किल होता है।
इमरजेंसी में गर्मी से रुकना मुश्किल
अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में फिलहाल गर्मी का आलम है। यहां पर लगाए गए एक तिहाई एसी चालू हालत में नही हैं। इसकी वजह से मरीजों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। एसी नही चलने से पंखे इस मौसम में गर्म हवा दे रहे हैं। खुद डॉक्टर और नर्स भी गर्मी में परेशान हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रिपोर्ट भेज दी गई है और जल्द मेडिकल कॉलेज की ओर से इनकी सर्विसिंग कराई जानी है।
गर्म पानी दे रहे हैं वाटर कूलर
इतना ही नही, गर्मी में मरीजों को पीने के लिए ठंडा पानी भी नही मिल रहा है। अस्पताल में लगे नलों में शीतल पेयजल लिखा है लेकिन उनमे सादा पानी ही आ रहा है। लोगों का कहना है कि मजबूरी में दुकान से ठंडा पानी खरीदना पड़ रहा है। वैसे भी अस्पताल परिसर में दो वाटर कूलर लगे हैं, जिनमें से बमुश्किल एक ही चल रहा है।
आधी दवा बाहर से लाना जरूरी
मुंगरा बादशाहपुर से आए विनोद ने बताया कि अपने बच्चे को उन्होंने मानिँग में ही भर्ती कराया है। कुछ दवाएं अंदर से मिली और कुछ दवाएं बाहर से मंगवाई गई हैं। इनकी कीमत दो सौ के आसपास थी। इसी तरह नैनी निवासी टुल्ली ने बताया कि उसका भतीजा अस्पताल में चार दिन से भर्ती है। इस बीच बाहर से डेढ़ हजार की दवा खरीदनी पड़ी है। कर्मचारी ने बताया कि यह दवाएं यहां नही मिलती हैं।
स्ट्रेचर के लिए लगवाई दौड़
रिपोर्टर ने अस्पताल के स्टाफ से स्ट्रेचर के बारे मे पूछा तो गोल मोल जवाब दिया गया। पहले बताया गया कि इमरजेंसी में मिलेगी, लेकिन वहां पर स्ट्रेचर नदारद थी। एक दूसरे कर्मचारी ने बताया कि ओपीडी के पास स्ट्रेचर है। लेकिन वहां पर भी निराशा हाथ लगी। अंत में रिपोर्टर को व्हील चेयर ही मिली। जिसे उसने वापस कर दिया।
हमारी ओर से परिजनों को कहा जाता है कि वह रैन बसेरा में जाकर रुके लेकिन वह मानते नही हैं। वह बरामदे में जमे रहते हैं। जो एसी खराब हैं उनकी रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज को दे दी गई है। जल्द ही इनकी मरम्मत करा दी जाएगी।
डॉ। मुकेश वीर सिंह एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल प्रयागराज