- सप्तमी व्रत रखने वालों ने किया कन्या पूजन, लिया आशीर्वाद
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PRAYAGRAJ: देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों के पूजन के पावन दिनों नवरात्र की महाअष्टमी पर मंगलवार की सुबह से ही भक्तों का उत्साह देखने लायक रहा। ऐसे में अष्टमी के अवसर पर भक्तों ने विधि विधान के साथ मां के महागौरी स्वरूप का पूजन किया। साथ ही श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करकेदेवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया गया। सप्तमी को व्रत रखने वाले व्रती साधक मां के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं के पांव में महावर लगाकर उनका पूजन करके फल, मिष्ठान खिलाकर आशीर्वाद लिया।
पुष्प व पत्तियों से किया श्रृंगार
सिटी के देवी मंदिरों में भी अष्टमी पर विशेष पूजन का आयोजन हुआ। जहां मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की गई। मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से जाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया। मंत्रोच्चार के बीच पुजारियों ने पालने की आरती उतारकर जनकल्याण की कामना की। मां कल्याणीदेवी मंदिर में विधि-विधान से मां का श्रृंगार करके आरती उतारी गई। इसी प्रकार मां ललिता देवी मंदिर में भी रत्नजडि़त आभूषणों से मां विशेष श्रृंगार हुआ। मां खेमा मायी व मां काली बाड़ी मंदिर के पूजारियों ने भी विधि-विधान से श्रृंगार करके मइया की आरती उतारी।
हवन करके मां को समर्पित की श्रद्धा
व्रतियों ने महाअष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करके हवन किया। साथ ही नवरात्र के नौ दिनों में हुई भूलचूक के लिए मां से क्षमा याचना की। उसके बाद हवन में आहुतियां डालीं। वहीं, काफी संख्या में भक्त नवमी तिथि पर बुधवार को हवन -पूजन के साथ नौ कन्याओं की पूजा करेंगे।
11.02 बजे से मनेगा प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव
चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर बुधवार को प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि श्रीराम का प्राकट्य चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर हुआ था। वह दिन का समय था। उस समय कर्क लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग था। बुधवार को दिन में 11.02 से 1.20 बजे तक कर्क लग्न है। जबकि मेष राशि में सूर्य, बुध व शुक्र ग्रह का संचरण होगा। श्रीराम का प्राकट्य उत्सव अवधि में मनाना चाहिए। जिससे शांति के साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
प्राकट्य उत्सव पर विधि पूर्वक करें पूजन
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय ने बताया कि भगवान श्री राम के प्राकट्य उत्सव के अवसर पर विधि विधान से पूजन करने पर विशेष फल प्राप्त होता है। इस मौके पर प्रभु श्रीराम के चित्र अथवा मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर उसमें अक्षत, रोली, चंदन, धूप, गंध अर्पित करके षोडशोपचार पूजन करें। भगवान को तुलसी का पत्ता, कमल का पुष्प चढ़ाकर फल व खीर का भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें झूला पर विराजमान करें। अगर संभव हो तो श्रीरामचरितमानस, रामायण अथवा रामरक्षास्तोत्रम का पाठ करे।