प्रयागराज ब्यूरो व्यापारी पुष्पराज के बेटे के अपहरण के मामले में पुलिस ने खासी तेजी दिखाई। सर्विलांस टीम रात भर लगी रही। टीम की मदद से रात भर पुलिस टीम डभौरा से लेकर बरगढ़ जंगल में घूमती रही। मगर शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था। अगर नेटवर्क साथ देता तो शायद व्यापारी के बेटे को पुलिस बचा लेती।

रात नौ बजे फिरौती के लिए किया था फोन
रात में नौ बजे के करीब फिरौती के लिए किए गए फोन नंबर को पुलिस ने सर्विलांस
पर ले लिया। सर्विलांस पर पता चला कि फोन करने वाले की लोकेशन बरगढ़ इलाके में है। इस दौरान सर्विलांस
टीम को यह भी पता चला कि इसी नंबर से डभौरा इलाके के एक नंबर पर लगातार बात हो रही है। पुलिस ने डभौरा से एक व्यक्ति को पकड़ा को घटना का राजफाश हो गया। मगर सच्चाई तब सामने आई जब शुभ की लाश मिली।
रात में पकड़ा गया सुखदेव का चाचा
शुभ को सुखदेव अपने साथी संजय के साथ ले गया था। उसे ले जाने के बाद सुखदेव डभौरा के पास सितलहा गांव के एक मोबाइल नंबर पर बात कर रहा था। पुलिस टीम ने फिरौती मांगने वाले सुखदेव का नंबर सर्विलांस पर लिया तो इसके बारे में जानकारी हुई। पुलिस सितलहा गांव पहुंची। वहां से गणेश चंद्र को पकड़ा गया। गणेश चंद्र को पुलिस ने कर्रा किया तो उसने बताया कि फोन उसके भतीजे सुखदेव का आया था। इस दौरान गणेश ने शुभ के अपहरण की जानकारी की बात पुलिस से छिपा ली। मगर पुलिस ने उसे अपने साथ ले लिया। इधर फिरौती वाले मोबाइल नंबर की लोकेशन बरगढ ़इलाके में मिल रही थी। पुलिस गणेश चंद्र को लेकर बरगढ़ पहुंंच गई। जोकि डभौरा से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर है।
नेटवर्क दे जा रहा था दगा
जंगल में सुखदेव और संजय लगातार मूवमेंट पर थे। इस दौरान नेटवर्क दगा दे जा रहा था। जिसकी वजह से सर्विलांस टीम कांबिंग कर रही पुलिस टीम की मदद नहीं कर पा रही थी। हालांकि पुलिस बगैर रुके जंगल में घूम रही थी। सुबह तक सुखदेव और संजय की लोकेशन बरगढ़ के अरवारी जंगल में थी। इस दौरान करीब पांच बजे शुभ की बॉडी मिल गई। बॉडी मिलने के बाद सुखदेव का चाचा गणेशचंद्र सच्चाई उगलने लगा। उसने बताया कि शुभ के अपहरण की जानकारी उसे थी। ऐसे में अगर रात में ही गणेश चंद्र ने शुभ के अपहरण की जानकारी पुलिस को दे दी होती तो शायद उसकी जान बच जाती।