प्रयागराज (ब्यूरो)। लास्ट ईयर अच्छे नंबर नहीं आए थे, इसलिए रैंक बेहतर नहीं मिली। इस बार नंबर अच्छे आए हैं, फिर भी रैंक खराब आई है। यह तीसरा अटेम्प्ट था। अब भविष्य को लेकर चिंता हो रही है। समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए? यह कहना है संदीप रावत का। उन्होंने इस बार नीट का एग्जाम दिया था और बेहतर नंबर आने के बावजूद गवर्नमेंट कॉलेज मिलने की उम्मीद नही नजर आ रही है। उनका कहना है कि एनटीए द्वारा नीट के रिजल्ट में लापरवाही बरतने से हजारों बच्चों का भविष्य खराब हुआ है। इसी तरह से आज देशभर में हजारों स्टूडेंट्स नीट की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। जिसकी वजह से अब मामला सुप्रीमकोर्ट में जा पहुंचा है। लोग दोबारा नीट कराने की मांग कर रहे हैं।
क्या है विवाद की जड़
बता दें कि इस बार देश के कुल 706 मेडिकल कॉलेजों की 108940 सीटों के लिए नीट एग्जाम का आयोजन किया गया था। इसकी जिम्मेदारी एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को दी गई थी। पांच मई को आयोजित हुए एग्जाम में देशभर में 24 लाख से अधिक अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल हुए। इसके बाद करीब 1500 छात्रों को बढ़ाकर दिए गए अंक, ग्रेस माक्र्स, पेपर लीक सहित तमाम अनियमितताओं को लेकर विवाद शुरू हो गया। इनको आधार बनाकर स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल कर दी है।
620 वालों को मिल जाता था कॉलेज अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले साल कट आफ ऊपर था, ऐसे में 640 नंबर लाने वालों को भी गवर्नमेंट कॉलेज में सीट मिल जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नही है। 657 नंबर लाने वाल सुजीत कुशवाहा को गवर्नमेंट कॉलेज मिलन पर संशय है। उनका कहना है कि ग्रेसिंग मार्क को बिल्कुल बंद करा देना चाहिए। इसकी वजह से बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स जो डिजर्व नही करते थे, वह आगे निकल गए। हमारे जैसों को कोई नही पूछ रहा है।
ऐसे कैसे आए गए 67 टॉपर
सवाल यह भी उठा रहा है कि एक साथ 67 स्टूडे्रंट्स की एआईआर रैंक वन कैसे हो सकती है। इसके अलावा एक ही सेंटर के सात स्टूडेंट्स कैसे टॉपर हो सकते हैं। इनका जवाब भी एनटीए को देना चाहिए। यही काराण् है देश के कोने कोने से नीट को लेकर आवाज उठने लगी है। तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। इनमें कुछ क्वेश्चन हैं जो स्टूडेंट्स की जुबान पर हैं-
- 67 स्टूडेंट्स को एआईआर वन रैंक कैसे मिल गई?
- 44 स्टूडेंट्स को ग्रेस माक्र्स किस आधार पर दिया गया है?
- एक ही एग्जाम सेंटर से आधा दर्जन स्टूडेंट््स को एआईआर वन कैसे दे दी गई?
- नीट के मार्किंग सिस्टम के हिसाब से मैक्जिमम माक्र्स 720 और 716 हो सकते हैं। फिर 718-719 माक्र्स कैसे दिए गए हैं?
- आखिर रिजल्ट को तय डेट से दस दिन पहले क्यों जारी कर दिया गया?
इस बार रिजल्ट को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यह लाजिमी भी है। आखिर एक साथ 67 टॉपर कैसे चुन लिए गए। एक सेँटर से सात टॉपर आने पर भी आश्चर्य हो रहा है। मुझे भी 660 नंबर मिले हैं, शायद कोई गवर्नमेंट कॉलेज मिल जाए।
अंजली अग्रहरि
मुझे 590 अंक प्राप्त हुए हैं। इस बार कट आफ काफी नीचे आ गया है। इसकी वजह से प्राब्लम क्रिएट हो रही है। अगर यही हाल रहा तो अच्छे नंबर लाने के बाद भी स्टूडेंट घर बैठे रहेंग। अब तो डर लग रहा है कि कहीं अगले साल भी कट आफ को लेकर यही हालात न बन जाएं।
निश्क
मेरा इस बार पांचवां अटेम्प्ट था। काफी उम्मीद थी कि सेलेक्शन हो जाएगा। लेकिन रिजल्ट इतना विवादित हो गया है कि रही सही उम्मीद भी खत्म होती जा रही है। मुझे 657 नंबर मिले हैं और रैंक 23900 है। पिछली बार 23500 रैंक में कॉलेज मिल गया था लेकिन इस बार यह सही होता नही दिख रहा है।
सुजीत कुशवाहा
इस बार नीट के रिजल्ट को स्कैम ही कहा जाएगा। ऊपर से नीचे तक लापरवाही बरती गई है। इससे स्टूडेंट्स को निराशा का सामना करना पड़ा है। उन्हें उम्मीद नही थी कि इस तरह से मनमानी बरती जाएगी। जितने नंबर पर मुझे अच्छा कॉलेज मिल सकता था, उस मार्क में इस बार निराश होना पड़ रहा है।
हर्षित मिश्रा
मुझे नीट एग्जाम में 662 अंक मिले हैं और रैंक 19 हजार के ऊपर है। पिछले साल अगर इतने नंबर आते तो रैंक पांच से छह हजार होती और इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलते। लेकिन इस बार ऐसा नही है। उम्मीद है कि गवर्नमेंट कॉलेज मिल सकता है।
प्रभव श्रीवास्तव
मेरा भी इस बार तीसरा अटेम्प्ट था और तैयारी भी खूब की थी। लेकिन रिजल्ट देखने के बाद कई सवाल मन में उठ गए है। सबसे अहम कि कट आफ काफी नीचे चला गया। पेपर भी लीक हो गया। मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क दे दिए गए हैं। इससे हजारों छात्र निराश हो गए हैं।
रामानंद
मेरे 662 नंबर आए हैं और रैंक 9 हजार से अधिक है। जबकि 5 हजार के आसपास होनी चाहिए थी। इस बार नीट में हर जगह गलत हुआ है। मेरा सेलेक्शन हो गया इसका मतलब नही कि दूसरे स्टूडेंट्स को इग्नोर किया जाए। उनके साथ गलत हुआ है और वह परेशान हैं। अच्छे नंबर लाकर भी वह परेशान हैं और यह चिंता की बात है।
सल्तनत तनवीर
मेरे सेंटर पर सब कुछ ठीक-ठाक था, जहां गलत हुआ है, उनकी मांग जायज है। जो भी आरोप है, उसका सही तरीके से जांच होनी चाहिए। दोष पाए जाने पर कार्रवाई भी हो। एनटीए पर सवाल तो उठेगा ही, क्योंकि परीक्षा तो वही करा रही है। लापरवाही एनटीए की ही मानी जाएगी।
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काउंसिलिंग हो गई तो क्या होगा?
हजारों स्टूडेंट की मांग है कि नीट का एग्जाम दोबारा कराया जाए। लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एनटीए से नीट की सुचिता को लेकर जवाब मांगा है। लेकिन, नीट की काउंसिलिंग पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इससे छात्रों को निराशा हुई है। उनका कहना है कि जुलाई में तीसरे सप्ताह में काउंसिलिंग प्रस्तावित है और आठ जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई है। इस पर पूरे देश के अभ्यर्थियों की निगाह लगी है।