प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एक या दो कमियां हो तो छोड़ भी दिया जाए। लेकिन, यहां तो हर कदम पर झोल ही नजर आ रहा है। बात हो रही है नीट एग्जाम की। जबसे से इसका रिजल्ट एनाउंस हुआ है, पूरे देश में हल्ला मचा हुआ है। लाखों स्टूडेंट इसे दोबारा आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इतनी कमियां होने के बाद अब सुधार की गुंजाइश खत्म हो चुकी है। अब सरकार इस एग्जाम को दोबारा कंडक्ट कराकर स्टूडेंट्स को राहत प्रदान करें।

एक स्वर में बोले, हमारा भविष्य सिक्योर होना जरूरी
इसी मामले को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से रविवार को डिबेट का आयोजन किया गया। जिसमें नीट एग्जाम दे चुके स्टूडेंट्स से उनके एक्सपीरियसं के बारे में पूछा गया। उनका कहना था कि ग्रेस मार्क, बोनस मार्क, सुधार विंडो, बिलो मेरिट सहित कई ऐसे प्वाइंट हैं जिनकी वजह से एग्जाम प्रभावित हुआ। मेरिट इतनी नीचे आ गई कि अच्छे नंबर लाने के बावजूद रैंक खराब हो गई। लाखों स्टूडेंट का साल खराब हो गया। उन्होंने कहा कि नीट दोबारा कराने के अलावा उन्हें कुछ मंजूर नही है।

हमने चलाया अभियान, गिनाई कमियां
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से लगातार अभियान चलाकर नीट एग्जाम में हुई कमियों को उजागर किया गया। हमने बताया कि किस तरह से लापरवाही और मनमानी से नीट जैसे एगजाम की शुचिता प्रभावित हुई है। इससे लोगों की विश्वसनीयता पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए भविष्य में ऐसी चीजों को दोहराए जाने से बचना होगा और इस बार बार बच्चों का हक ना मारा जाए, इसको लेकर तत्काल कठोर निर्णय लेना होगा।

नीट एग्जाम दोबारा होना चाहिए। चौबीस लाख छात्रों के जीवन का सवाल है। अच्छे नंबर आने के बाद भी उनकी रैंक घट गई है। इसका जिम्मेदार कौन है। किस हिसाब से नंबर बांटे गए हैं।
अभिनव पांडेय

पहली बार हुआ है जब नीट एग्जाम के रिजल्ट में 67 छात्रों की एआईआर रैंक एक आई है। ऐसा कैसे हो सकता है। कोई न कोई तो झोल जरूर हुआ है। इसकी जांच कराकर दोबारा एग्जाम कराना चाहिए।
दीपक पांडेय

लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। उनको भी इंसाफ चाहिए। सभी सरकार की ओर देख रहे हैं। अब तक तो दोबारा नीट की घोषणा कर देनी चाहिए थी।
विश्वेश्वर बिंद

एनटीए को सरकार ने जिम्मेदारी दी थी। लेकिन उन्होंने नीट एग्जाम को लापरवाही के साथ संपन्न कराया। इसका परिणाम सामने है। जबसे रिजल्ट आया है रोजाना कोई न कोई कमी सामने आ रही है।
अंकित कुमार सिंह

नीट एग्जाम दोबारा आयोजित कराया जाना चाहिए। इसमें ही लाखों बच्चों के भीविष्य की भलाई है। क्योंकि इस बार काफी धंाधली हुई है और इससे बचने के लिए दोबारा एग्जाम हेाना जरूरी है।
आस्था

यह पहली बार था जब नीट एग्जाम के दौरान तीन बार सुधार के लिए विंडो खोला गया। तीनों बार आम बच्चों को इसकी जानकारी नही थी। केवल स्पेसिफिक तरीके से इस दौरान काम हुआ है।
धर्मराज यादव

एक साल खराब हा जाएगा तो बच्चों को काफी दिक्कत होगी। जो डिजर्व करते हैं उनके लिए दोबारा एग्जाम कराया जाना चाहिए। जो मेरिटोरियस हैं वह तो फिर से सेलेक्ट हो जाएंगे।
सत्यम विश्वकर्मा

जो लोग ग्रेस मार्क लेकर पास हुए हैं उनको सामने लाना चाहिए। दोबारा एग्जाम हुआ तो यह लोग फेल हो जाएंगे और इनकी जगह एलिजिबल छात्रों को मेरिट में जगह मिल जाएगी।
नितिन जायसवाल

आखिर ग्रेस मार्क किस हिसाब से बांटे गए हैं यह भी तो एनटीए नही बता पा रहा है। इसकी वजह से शक की सुई लगातार घूम रही है। पूरे देश में नीट दोबारा कराए जाने की मांग की जा रही है।
अनुज प्रताप सिंह

साल भर मेहनत करने के बाद बच्चों को निराशा हाथ लगे तो कष्ट होता है। इसलिए सरकार को नीट जैसा एग्जाम जिसमें लाखों बच्चे बैठते हैं, उसको साफ तरीके से कंडक्ट कराना चाहिए। अब सभी की निगाहें कोर्ट के आदेश पर टिकी हुई हैं।

ब्रजेश कुमार पांडेय, टीचर