रेलवे की प्राथमिकता में पर्यावरण संरक्षण भी
सात साल में 24080 किलोमीटर किया विद्युतीकरण
रेलवे पर्यावरण संरक्षण को लेकर सतर्क है। हरियाली के स्तर को बनाए रखने में प्रभावी कदम भी उठाए जाते हैं। साल दर साल भारतीय रेलवे को चाहे परियोजनाओं का क्रियान्वयन करना हो या ट्रेनों का परिचालन। पर्यावरण का संरक्षण उसकी प्राथमिकता रहा है। हेडआन जनरेशन (एचओजी) विधि से ट्रेन लाइटिंग की प्रक्रिया को अपनाने से डीजल के इस्तेमाल में कमी आई। पिछले वर्ष 31 लाख 88 हजार 929 टन कार्बन फुटप्रिंट में कमी दर्ज की गई। डीजल खपत की कमी करने से सालभर में भारतीय रेलवे को 2300 करोड़ रुपये की बचत भी हुई है। जबकि, एनसीआर में दस करोड़ की बचत हुई है। यह कहना है प्रयागराज मंडल के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (परिचालन) राहुल त्रिपाठी का।
कम हुआ कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन
उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे ने 1280 ट्रेन में हेडआन जनरेशन विधि को अपनाया जा चुका है। इस विधि में ट्रेन लाइटिंग और वातानुकूलन के लिए डीजल के बजाय ओवर हेड इक्विपमेंट्स से बिजली का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन नगण्य हो जाए। वर्ष 2014-21 के बीच 24080 किलोमीटर तक विद्युतीकरण कर भारतीय रेल ने कीर्तिमान स्थापित किया है। ताकि डीजल की खपत कम कर प्रदूषण नियंत्रित किया जा सके। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के तहत न्यू भाऊपुर से न्यू खुर्जा के बीच मालगाडि़यों से माल ढुलाई की गई और सड़क परिवहन में ईधन की कमी आई। बताया कि लोको पायलटों ने हरित ट्रेन परिचालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया। एनसीआर के प्रयास से तीन करोड़ यूनिट बिजली एनर्जी रीजनरेट हुई। एनसीआर के प्रयागराज और आगरा रनिंग रूम में लगे बायो गैस प्लांट की वजह से न केवल जैविक कचरे से रनिंग रूम के किचन के लिए सीएनजी गैस मिली, बल्कि जो इस बायो गैस प्लांट से प्राप्त अपशिष्ट होता है। वह बायो फर्टिलाइजर होता है।
181 ट्रेनों में लगाया एचओजी
एनसीआर के प्रमुख मुख्य बिजली इंजीनियर सतीश कोठारी ने बताया कि एनसीआर परिक्षेत्र में 181 ट्रेनों में हेडआन जनरेशन (एचओजी) लगाया जा चुका है। इससे 1.4 मिलियन लीटर डीजल की खपत कम हुई और करीब 10 करोड़ रुपये की बचत भी हुई। वहीं, एनसीआर के सीपीआरओ डा। शिवम शर्मा ने बताया कि वर्ष 2020-21 में साढ़े 11 लाख फलदार, छायादार व औषधीय पौधे रोपे गए।