- मंगलवार से शुरू हो रहा चैत्र नवरात्र, जप, तप, वहन से शांत होता है चित्त
- नौ दिनों तक लोग घट स्थापित करके मां की अखंड ज्योति जलाकर करेंगे आराधना
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PRAYAGRAJ:
चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल दिन मंगलवार से आरंभ हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। मां दुर्गा के भक्त इस दिन पूरी आस्था के साथ घटस्थापना करने के बाद, नौ दिनों तक श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले व्रत के दौरान कई तरह की सावधानियां भक्तों को रखनी होती है।
संयमित रहने से संक्रमण का खतरा कम
नवरात्रि त्याग व संयम का महापर्व माना जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्र से ही मौसम में भी बदलाव होता है। यहीं कारण है कि इस समय कई प्रकार की सीजनल बीमारियां तेजी से बढ़ती है। ऐसे में संयम और त्याग से ही इन बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। ये कहना है कि ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे का। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों तक लोग घट स्थापित करके मां की अखंड ज्योति जलाकर आराधना करते है। इसके साथ ही नौ दिनों तक लोग संयमित भोजन करते है। जिससे किसी भी प्रकार का संक्रमण होने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। नवरात्रि में जप, तप और हवन का भी अपना विधान है। इसमें व्यक्ति के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, लोभ और अहंकार जैसी व्याधि का नाश होता है और आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है। शाकाहारी आहार ग्रहण करने से विचारों में शुद्धता व शरीर की आंतरिक सफाई होती है जिसको विज्ञान की भाषा में 'इंटरनल क्लीनजिंग' कहते हैं।
रात्रि में साधना का है खास महत्व
नवरात्रि के साथ रात्रि साधना का विशेष महत्व है। अमित बहोरे के अनुसार हमारे ऋषि-मुनियों ने वैज्ञानिक दृष्टि से रात्रि में साधना का विधान बनाया है। मान्यता के अनुसार दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोकती हैं। ठीक उसी प्रकार मंत्र जाप की तरंगों में रुकावट आती है। जबकि रात्रि में ऐसा नहीं होता। रात्रि में हवन, मंत्रोच्चार व शंख की ध्वनि के कंपन से दूर-दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है।
घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों का है। जिसमें भक्त मां भगवती के नौ स्वरूप का पूजन व दर्शन करेंगे। प्रतिप्रदा तिथि सोमवार की सुबह 6.59 बजे लगकर मंगलवार की सुबह 8.31 बजे तक रहेगी। मंगलवार को सूर्योदय के समय प्रतिप्रदा तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के कारण उसका मान पूरे दिन रहेगा। मंगलवार का दिन होने के कारण मां भगवती अश्व पर विराजमान होकर आएंगी। जो जगत के लिए कल्याणकारी है। इसी दिन 'आनंद' नामक नवसंवत्सर का आरंभ होगा।
आचार्य देवेंद्र बताते हैं कि कलश सुबह 8.31 बजे तक स्थापित करना चाहिए। इसके बाद अभिजित मुहूर्त 11.34 से 12.24 दोपहर तक है। श्रीराम नवमी तिथि 21 अप्रैल को श्रीराम जन्मोत्सव के रूप में मनेगी।