प्रयागराज (ब्यूरो)।आरआरआर फिल्म के नाटू-नाटू गाने ने आस्कर अवार्ड भले ही जीत चुकी है मगर यहां आरआरआर योजना फ्लाप है। जी हां हम बात कर रहे हैं 'आरआरआरÓ यानी रिड्यूस रियूज रिसाइकिल केंद्र की। दरअसल यह प्रश्न स्वच्छता सर्वेक्षण में पब्लिक से पूछे गए नौ सवालों में से एक है। ऑनलाइन पूछे गए इस सवाल का उत्तर यदि आप ने नहीं दिया गया तो सफाई के मामले में शहर की रेटिंग घट जाएगी। रेटिंग घटने की सूरत में जनपद की गिनती स्वच्छता के मामले में काफी पीछे गिनी जाएगी। रेटिंग के जरिए सफाई व्यवस्था में शहर को कापी पीछे आंका जाएगा। इसके आधार पर स्वच्छता को लेकर दूसरे शहर व प्रदेश के लोग शहर के लोगों में जागरूकता व कल्चर की कमी के रूप में देखेंगे। इस बाबत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण
के इस सवाल को सीधे पब्लिक से पूछा गया तौर सभी इसके प्रति अनजान रहे। नगर निगम कार्यालय व कटरा जोन कार्यालय में मिले कई लोगों से इस आर ारआर की बाबत को लेकर सवाल किया गया। करीब पच्चीस से तीस लोगों से किए गए सवाल में किसी के पास कोई जानकारी न होने की बात सामने आई। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि स्वच्छता सर्वेक्षण में जिले को टॉप रैगिंग का मिलना मुश्किल है।
जानिए क्या है आर.आर.आर। सेंटर
दरअसल नगर निगम शहर को स्वच्छ बनाने के लिए नित नए नए तरीकों का प्रयोग कर रहा है।
करीब तीन साल पूर्व इसी प्रयोग के तहत आर.आर.आर। यानी रिड्यूस रियूज रीसाइकिल सेंटर की स्थापना का प्लान तैयार किया गया।
यह सेंटर नगर निगम के सभी आठों जोन कार्यालयों व मुख्य स्थानों जैसे सिविल लाइंस हनुमान मंदिर गेट के पास व परेड में भी स्थापित किया गया।
मकसद व मंशा थी कि शहर के सम्पन्न लोग घरों में यूजलेस समान को कूड़े की तरह जहां तहां नहीं फेके।
अपने घरों के प्रयोग के लायक सामानों को कूड़े में फेकने के बजाय इस सेंटर पर लाकर रख दें।
इनमें कपड़ा से लेकर, शूज, स्लीपर, बर्तन, या कुर्सी, बैग, अटैची जैसे कोई भी सामान यहां रख सकें।
ताकि गरीब तबके के लोग अपने अपने यूज का सामान बगैर किसी से मांग स्वयं आकर उठा ले जाएंगे।
वह इन सामानों को ले जाकर अपने प्रयोग में लाएं। एक तरह से इस आर.आर.आर। सेंटर पर पब्लिक से यूज लेस हो चुके साबुत सामानों को रखवा कर गरीबों की मदद करने का उद्देश्य था।
मगर इस आर.आर.आर। के बारे में शहर के ज्यादातर कुछ जानते ही नहीं। जागरूकता के अभाव में वह इस घरों से निकले सही हालत में होने के बावजूद कपड़े या सामान कूड़े में फेक देते हैं।
जबकि उस कपड़े से किसी गरीब का तन ढक सकता था और दूसरे सामानों का भी वह घर ले जाकर प्रयोग में ला सकते थें।
मगर इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं होने के पीछे नगर निगम के द्वारा इसे लेकर पब्लिक को जागरूक नहीं किया जाना माना जा रहा है।
आर.आर.आर। कोई प्लान या योजना है हमें नहीं मालूम। यदि इतनी अच्छी व्यवस्था है तो इसके बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। हां, स्वच्छता सर्वेक्षण तो जानते हैं। वह नगर निगम में ही होता है। बाकी आर.आर.आर। क्या है हम नहीं जानते। लेकिन आप बता रहे हैं तो अभी पता जरूर करूंगा।
भारत कुमार, झूंसी
नगर निगम में अपने निजी से काम से महीने में एक दो बार तो आ ही जाते हैं। इस आर.आर.आर। जैसी कोई स्कीम है यह पहली बार सुन रहे हैं। वह भी आप ही बता रहे हैं। यदि गरीबों से सम्बंधित इस तरह का कोई प्लान नगर निगम के पास है तो इसके प्रति लोगों को पता होना चाहिए। तभी तो लोग चीजें लाकर यहां रखेंगे।
दिनेश कुमार, तुलारामबाग
नहीं भइया, आर.आर.आर। के बारे में हमें भी कुछ मालूम नहीं है। तमाम ऐसी योजनाएं आती हैं चली चली जाती हैं, कुछ पता ही नहीं चलता। नगर निगम को चाहिए कि हर योजना व स्कीम के बारे में पब्लिक को बताए और इसका प्रॉपर प्रचार प्रसार करे। ताकि पब्लिक को लाभ मिल सके। आर.आर.आर। है आप ही बता दीजिए।
प्रभा देवी, सलोरी
हम तो पहली बार सुन रहे हैं कि आर.आर.आर। भी कोई स्कीम नगर निगम में है। इसमें पब्लिक को क्या लाभ होता है। कभी किसी ने कुछ बताया ही नहीं। पब्लिक के लिए जो चीजें आती हैं सब पता ही नहीं चल पाता। नगर निगम को चाहिए कि इसके बारे में लोगों को बताया व समझाया जाय। ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें। स्वच्छता सर्वेक्षण के बारे में भी हमें नहीं मालूम। सफाई नगर निगम कराता है यह पता है।
प्रकाश, शिवकुटी