- मेंडेटरी होने के बावजूद अधिकांश होटल और रेस्टोरेंट नहीं कराते पानी की जांच
- सबसे अधिक बीमारियों का कारण है दूषित पेयजल
- फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट में दलालों की मिलीभगत से जारी हो जाता है लाइसेंस
अगर आप शहर के किसी रेस्टोरेंट या होटल में खाना खाते हैं तो वहां के स्वादिष्ट खाने की तारीफ करते नहीं थकते। लेकिन जब बात पानी की आती है तो बोतल बंद पानी पीना पंसद करते हैं। कारण पेयजल की क्वालिटी से उनका कोई लेना देना नहीं होता। बता दें शहर के रेस्टोरेंट में बनने वाले खाने की जिम्मेदारी फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के पास है। लेकिन जब पानी की गुणवत्ता की जांच कराने की बात आती है तो इनके नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं कराया जाता। जबकि पानी की गुणवत्ता की जांच कराना मेंडेटरी हो चुका है। नतीजा सामने है, लोगों के बीच सबसे ज्यादा बीमारियां दूषित पेयजल के कारण फैलती हैं।
ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी रिपोर्ट
हाल ही में सरकार ने रेस्टोरेंट और फूड मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स का फूड लाइसेंस जारी करने के लिए पानी की जांच रिपोर्ट लगाना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन इस नियम का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। रेस्टोरेंट संचालक अपने यहां के पेयजल की जांच नहीं करा रहे हैं। विभाग द्वारा इस नियम का प्रचार प्रसार भी उचित तरीके से नहीं कराया जा रहा है। खुद एफएसओ भी इसकी जानकारी रेस्टोरेंट संचालकों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। रेस्टोरेंट संचालकों को जैसे तैसे फूड लाइसेंस जारी कर दिया जा रहा है।
फ्री में होती है पानी की जांच
ऐसा नहीं है कि पानी की जांच के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। लखनऊ के राज्य स्वास्थ्य संस्थान में निशुल्क पानी की गुणवत्ता की जांच की जाती है। यहां से जारी रिपोर्ट के आधार पर ही फूड लाइसेंस जारी किए जाने का प्रावधान किया गया है। फिर भी लोग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वर्तमान में शहर में पांच सौ से अधिक रेस्टोरेंट संचालित हो रहे हैं।
छिपी नहीं है पानी की स्थिति
शहर के होटल और रेस्टोरेंट में पानी की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। समोसे, मिठाई और फास्ट फूड वगैरह में यूज होने वाले पानी से लेकर पेयजल की कोई गारंटी नहीं होती है। कई रेस्टोरेंट में सीधे हैंडपंप या नल से आया पानी सर्व किया जाता है। यह भी नहीं देखा जाता कि पानी में कौन सा पार्टिकल फायदा पहुंचा सकता है या नुकसान। फूड सेफ्टी विभाग भी इस प्वाइंट को नजरअंदाज कर देता है।
पानी से फैलती हैं बीमारियां
फिजीशियन डॉ। डीके मिश्रा कहते हैं कि सबसे ज्यादा बीमारियां दूषित पेयजल से फैलती हैं। पीलिया, टाइफाइड, वायरल इंफेक्शन, खुजली, पेट दर्द समेत तमाम दिक्कतों के पीछे गंदा पानी होता है। आमतौर पर पानी में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस नंगी आंखों से नजर नहीं आते। इसके लिए पानी की लैब में जांच कराई जाती है। डॉक्टर मानते हैं कि रेस्टोरेंट और होटल में दिया जाने वाला पानी सेफ नहीं होता है। इसकी जांच किया जाना जरूरी है।
नियम की आड़ में करते हैं इग्नोर
नियमानुसार जिन रेस्टोरेंट का लाइसेंस पहले बना है वहां रिनीवल के दौरान पानी की जांच रिपोर्ट लगाने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में फूड इंस्पेक्टर्स इस नियम का प्रचार प्रसार भी नहीं करते हैं। उनका कहना है कि जो दस्तावेज लगना नहीं है, उसके बारे में क्या बताना। शायद वह भूल जाते हैं कि उनकी नौकरी लोगों के खानपान को सुरक्षित रखना है।
नए रेस्टोरेंट के लाइसेंस के जारी होने में पानी की जांच रिपोर्ट मांगी जा रही है। पुराने में इसकी जरूरत नहीं है। इसलिए रेस्टोरेंट संचालकों से नहीं मांगी जाती है।
केके त्रिपाठी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रयागराज