पुराने शहर में छूरियों से मातम करते निकले अकीदतमंद
हजरत इमाम हुसैन के चालीसवें पर दिनभर निकला मातमी जुलूस
अंजुमन नकविया, अब्बासिया व हाशमिया ने पेश किया नौहा व मातम
ALLAHABAD: कर्बला की सरजमीं पर शहीद होने वाले पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन व 71 साथियों की याद में सोमवार को चेहल्लुम मनाया गया। पुराने शहर के मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में दिनभर मातमी जुलूस निकाले गए। अकीदतमंद ने जहां या हुसैन या हुसैन की सदाएं बुलंद की। वहीं कई अंजुमनों ने सड़कों पर छूरियों और जंजीरों से मातम किया।
नौहाखानी व सीनाजनी की
पहला बड़ा जुलूस सुबह नौ बजे दरियाबाद स्थित इमामबाड़ा मजलूम हुसैन आब्दी से निकाला गया। जुलूस में अकीदतमंदों ने या हुसैन की सदाएं बुलंद की तो अंजुमन मुहाफिजे अजा कदीम व अंजुमन असगरिया ने नौहाखानी व सीनाजनी की। दूसरा कदीमी जुलूस रानीमंडी स्थित नवाब आजम हुसैन खां के इमामबाड़ा से सुबह दस बजे उठाया गया। इस जुलूस के पीछे अंजुमन अब्बासिया, शब्बीरिया व हुसैनिया कदीम भी शामिल हुई।
खुद को किया लहूलुहान
अकीदतमंदों ने तेजधार की छूरियों और जंजीरों से पुश्तजनी कर अपने को लहूलुहान कर लिया। जुलूस रानीमंडी, बच्चा जी की कोठी, चौक, नखासकोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज से गुजरता हुआ देर शाम कर्बला चकिया पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में शाहीन काजमी, सैयद इफ्तेखार हुसैन, सैयद मोहम्मद अस्करी, शाहिद अब्बास रिजवी, मौलाना जव्वाद हैदर, विधायक हाजी परवेज अहमद, नजीब इलाहाबादी वगैरह मौजूद रहे।
शाही जुलूस में जंजीरों का मातम
मातमी जुलूस की कड़ी में सबसे बड़ा शाही जुलूस देर शाम दरियाबाद स्थित इमामबाड़ा सलवात अली खां से निकाला गया। जुलूस दरियाबाद से शुरु होकर करीब सात किमी की दूरी तय करता हुआ बलुआघाट, सत्ती चौरा, बांस मंडी, हटिया, बहादुरगंज, सुलाकी चौराहा, बताशामंडी, मीरगंज, लोकनाथ चौराहा, नीम का पेड़, रानीमंडी, थाना अतरसुइया से होकर इमामबाड़ा पर पहुंचा। इन कदीमी रास्तों में जगह-जगह ढोल, ताशा व घोड़ों के करतब के बीच अकीदतमंदों ने जंजीरों से मातम किया। अंजुमन नकविया रजिस्टर्ड व हाशमिया ने नौहा व मातम का नजराना पेश किया। जुलूस में सैयद रजा हसनैन, सैयद अजादार हुसैन, नजीब इलाहाबादी आदि शामिल रहे।
18 दिन बाद निकलेगा चुप ताजिया
चेहल्लुम के 18 दिन बाद मुस्लिम घरों में गम मनाने का सिलसिला खत्म हो जाएगा। अंजुमन गुन्चाए कासिमया के प्रवक्ता सैयद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत में गम मनाने का दौर अभी 18 दिन और चलेगा। इसके बाद चुप ताजिया का जुलूस निकलेगा। फिर गम मनाने का सिलसिला खत्म हो जाएगा और मोहर्रम के चांद के साथ जिस्म पर चढ़े काले लिबास उतर जाएंगे।