प्रयागराज ब्यूरो । शहर के होटल विट्ठल में सोमवार को 52 वर्षीय डिप्टी सीएमओ डॉ। सुनील कुमार सिंह की बॉडी मिलने से सनसनी फैल गई। छत में लगे पंखे से बंधे चादर के सहारे उनकी बॉडी उसी रूम में लटक रही थी, जिसमें वह रुके हुए थे। सुबह करीब 11 बजे यह सूचना न सिर्फ पूरे प्रशासनिक महकमें बल्कि लोगों को भी हैरत में डाल दी।
डीएम संजय खत्री से लेकर पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा सिविल लाइंस थाने की फोर्स व अफसरों के साथ मौके पर पहुंचे। यह जानकारी होते हुए सीएमओ व स्वास्थ्य विभाग के तमाम डॉक्टर और कर्मचारी भी पहुंच गए। हर कोई उनकी मौत के पीछे छिपे रहस्यों को जानने की कोशिश में परेशान रहा। होटल का रूम अंदर से बंद था, लिहाजा किसी तरह पुलिस की मौजूदगी में दरवाजा खोला गया। कमरे के अंदर पुलिस अफसर किसी भी बाहरी व्यक्ति व मीडिया कर्मियों को जाने पर पाबंदी लगा दिए। कमरे में कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिससे उनकी मौत का राज मालूम चल सके। फिलहाल पुलिस उनकी मौत को सुसाइड बताते हुए छानबीन कर रही है।

मोबाइल से राज खुलने के हैं आसार
डिप्टी सीएमओ की मौत का राज जानने के लिए तत्काल फोरेंसिक टीम बुलाई गई। टीम के द्वारा छानबीन के बाद बॉडी को फांसी के फंदे से नीचे उतारा गया। वह खुद फांसी लगाए या किसी ने शातिराना अंदाज में उनकी हत्या की? इस सवाल का जवाब दे पाने में अधिकारी भी खुद को अक्षम महसूस कर रहे थे। फिलहाल हर कोई डिप्टी सीएमओ डॉ। सुनील कुमार सिंह की मौत को शक की नजर से देख रहा है। सूत्र बताते हैं कि कमरे से उनका एक मोबाइल और डायरी पुलिस के हाथ लगी है। डायरी में विभागीय ब्योरा लिखे हुए हैं। जबकि उनके मोबाइल में सीक्रेट सिक्योरिटी लॉक होने की बात कही जा जा रही है। फांसी के फंदे से उतारी गई डॉक्टर सुनील कुमार सिंह की बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। जानकारी अफसरों व साथ रहे उनके चालक के द्वारा घर वालों को दी गई। डॉक्टर की पत्नी अल्का व परिवार के लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। इसके बाद उनकी बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ और पुलिस बॉडी घर वालों को सौंप दी। पोस्टमार्टम के वक्त पूरा पोस्टमार्टम हाउस छावनी में तब्दील रहा.पोस्टमार्टम कराने के लिए एसटीएम सदर व एसीपी करेली और इंस्पेक्टर सिविल लाइंस भी मौजूद रहे।

राज खंगालने में जुटी पुलिस
पुलिस सहित पूरे स्वास्थ्य विभाग को अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। फिलहाल पुलिस उनकी मौत को सुसाइड मानते हुए राज खंगालने में जुटी है। वह कौन सी ऐसी वजह थी जिसके चलते डिप्टी सीएमओ को सुसाइड के लिए मजबूर होना पड़ा? इस सवाल का जवाब न तो अफसरों से मिल सका और न ही परिवार के लोग ही कुछ बता सके। सभी का कहना बस यही कहना था कि उनके पास ऐसी कोई वजह या समस्या नहीं जिससे उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़े। यही वह बातें हैं जो पुलिस द्वारा बताई जा रही सुसाइड की कहानी को शक के दायरे में खड़ा कर रही हैं। फिलहाल अब सच्चाई क्या है यह जानने के लिए पुलिस की जांच रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। माना जा रहा है कि मोबाइल का सिक्योरिटी लॉक खुलने के बाद हो सकता है कि सुसाइड का कुछ राज सामने आ सके। इस लिए अब सिविल लाइंस पुलिस एक्सपर्ट से उनके मोबाइल का लॉक खोलवा कर एक-एक मैसेज व चैट का सारा ब्योरा सर्च करेगी।


छुट्टी के दिन वाराणसी से आए थे यहां
डिप्टी सीएमओ डॉ। सुनील कुमार सिंह वाराणसी जिले के पांडेयपुर थाना क्षेत्र के मझभटिया गांव निवासी डॉ। घनश्याम सिंह के बेटे हैं। पांच भाइयों में चौथे नंबर पर बताए जा रहे डॉ। सुनील सिंह सबसे बड़े राजेश्वर सिंह, संजीव सिंह, अनील सिंह के बाद एक और छोटा भाई है। डिप्टी सीएमओ डॉ। सुनील कुमार सिंह की यहां अगस्त महीने में पोस्टिंग हुई थी। स्वास्थ्य विभाग में यहां वे पद ग्रहण किए तो उन्हें सीएमओ के द्वारा संचारी रोग को नोडल अफसर बना दिया गया। हर रोज वह घर वाराणसी से अपने निजी वाहन से ड्यूटी के लिए अप-डाउन किया करते थे। उनके बे बच्चे एक बेटी व बेटा पत्नी डॉ। अल्का व परिवार के साथ दिन भर वाराणसी में ही घर पर रहा करते थे।

अक्सर इसी होटल में आकर ठहरते थे
उनकी गाड़ी चालक सतीश सिंह ड्राइव करता है। सतीश भी वाराणसी जिले के चौबेपुर नारायणपुर गांव का निवासी है। चालक सतीश के मुताबिक डिप्टी सीएमओ सुनील सिंह अक्सर सिविल लाइंस स्थित कैफे हाउस के पास स्थित विट्ठल होटल में रुक जाया करते थे। अवकाश होने के बावजूद 23 अप्रैल रविवार को वह किसी काम से यहां आए थे। चालक ने कहा प्रयागराज शहर पहुंचने के बाद वह बोले कि होटल विट्ठल चलो। रविवार को वह होटल पहुंचा तो करीब 04 या 4.30 बज रहे थे। कहा कि वह गाड़ी से उतरे और होटल के अंदर चले गए। थोड़ी देर बात बताए कि वह होटल के रूम नंबर 106 में रुके हुए हैं। हमेशा की तरह चालक सतीश पार्किंग में गाड़ी पार्क किया और उसी में बैठा रहा। वैसे कभी कभार डॉक्टर सुनील उसे फोन किया करते थे, रविवार को होटल में जाने के बाद कोई कॉल भी नहीं किए। वह गाड़ी में रात बिताया और सुबह साहब के कॉल का इंतजार करता रहा।