प्रयागराज (ब्यूरो)।शहर के विस्तारित एरिया में स्थित पंचायत भवनों के प्रयोग की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सिटी में शामिल ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनाए गए हैं। शहर में शामिल हो चुके इन पंचायत भवनों में नगर निगम दूसरे विभागों से संपर्क करके कार्यालय ओपन कराएगा। छोटे-मोटे उद्योग चलाने के लिए भी यह भवन किराए पर दिए जाएंगे। इस कार्य को अमल में लाने की बनाई गई फाइल जल्द ही सदन में पास की जाएगी। इसके बाद अफसर पत्रावली शासन को भेजेंगे। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम शुरू किया जाएगा। माना जा रहा है कि प्लान धरातल पर उतरा तो पब्लिक को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। विस्तारित क्षेत्र में आने वाले पंचायत भवन प्रयोग में भी आ जाएंगे और एक नई व्यवस्था भी शुरू हो जाएगी।

क्षेत्र के लाखों लोगों को मिलेगा लाभ
पिछले दस पंद्रह वर्षों में शहर की आबादी तेजी के साथ बढ़ी। आबादी के बढऩे से शहर में धीरे-धीरे जमीन कम पडऩे लगी। शहर के लोग सीमावर्ती गांवों व कस्बों में आवास के लिए जमीन की खरीदारी शुरू कर दिए। इस संकट से उबरने के लिए शासन स्तर से शहर के विस्तार का प्लान बनाया गया। तब तक नगर निगम 80 वार्डों का हुआ करती था। शासन की मंशा व योजना अमल आई और शहर के विस्तार को लेकर सर्वे कार्य शुरू हुआ। तमाम छानबीन और पुख्ता प्लान के तहत शहर से सटे करीब दो लाख मकानों को नगर निगम में मर्ज कर दिया गया। शहर में शामिल किए गए इन क्षेत्रों को वार्डों में बांटा गया। वार्ड सीमांकन का काम पूरा हुआ तो सीधे 20 वार्ड बढ़ गए। नगर निगम में 80 वार्ड पहले से ही थी। विस्तारीकरण में बीस वार्ड बढऩे के बाद वार्डों की कुल संख्या 100 हो गई। निकाय चुनाव के बाद 100 पार्षद जीत कर नगर निगम के सदन में पहुंचे। इन 100 में 20 पार्षद ऐसे हैं जो विस्तारित क्षेत्र से चुनकर आए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि विस्तारीकरण में जो ग्राम पंचायतें शहर में शामिल हुई उसमें पंचायत भवन भी निर्मित हैं। ग्राम पंचायतों के साथ उनमें मौजूद करीब 97 पंचायत भवन भी नगर निगम आ गए। इन पंचायत भवनों के निर्माण में सरकार के लाखों रुपये खर्च हुए हैं। ऐसे में पंचायत भवन बर्बाद न हों इस लिए नगर निगम इनके प्रयोग का एक नया फार्मूला तैयार किया है। तैयार किए गए इस फार्मूले पर गौर करें तो पंचायत भवनों में कुछ सरकारी दफ्तर खोले जाएंगे। कहा जा रहा है कि फिलहाल इनमें डाकघर और बैंक जैसी जन सुविधाओं से जुड़े कार्यालय खोलने के लिए नगर निगम सम्बंधित विभागों के अफसरों संग बैठक करेगा। बात बन गई और यह दोनों ही सुविधाएं विस्तारित क्षेत्रों के लाखों लोगों को जल्द ही मिलेगी। आवश्यकता अनुसार इन पंचायत भवनों को जन सुविधाओं से जुड़े दूसरे कार्यों में भी प्रयोग किया जाएगा। नगर निगम इन पंचायत भवनों को लघु उद्योग के लिए किराए पर भी दे सकता है। कहा जा रहा है कि किराए पर देने में स्वयं सहायता समूहों को वरीयता दी जाएगी। ताकि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं एक छत के नीचे बैठकर कोई प्रोडक्ट तैयार करके अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें। यदि ऐसा हुआ तो विस्तारित क्षेत्र की वह तमाम महिलाएं भी आसानी से रोजगार से जुड़ सकेंगी जो अभी तक कुछ काम नहीं कर रही हैं।

नगर निगम को होगी आर्थिक आय
पंचायत भवनों के प्रयोग का जो प्लान बनाया गया है कि उससे नगर निगम को भी बड़ा फायदा होने वाला है। बताया यह जा रहा कि नगर निगम इन भवनों को किराए पर देगा। इसके लिए बाकायदे किराए की रकम तय की जाएगी। मतलब यह कि इन पंचायत भवनों से किराए के रूप में मिलने वाली रकम नगर निगम को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। किराए के रूप में प्राप्त राजस्व की यह रकम नगर निगम पूरे शहर के 100 वार्डों में होने वाले विकास कार्यों पर खर्च करेगा।

अभी यह प्लान बनाया गया है। कोशिश पूरी की जा रही है कि पंचायत भवनों में जनहित के कुछ नए कार्य किए जाएं। शासन से अनुमति मिलने के बाद इस दिशा में काम और तेजी से शुरू किया जाएगा।
चंद्रमोहन गर्ग, नगर आयुक्त