प्रयागराज ब्यूरो नगर निगम पब्लिक से सिर्फ लेना जानता है, फ्री में देता कुछ भी नहीं। तमाम तरह के टैक्स देने के बावजूद विभाग लोगों की मजबूरी का भी पैसा वसूल लेता है। हम बात कर रहे हैं लोगों के टूटे हुए मकानों के मलबा का। दरअसल सरकार के निर्देश पर पीडीए ने संगम वाटिका से रसूलाबाद घाट जाने वाली रोड को चौड़ा करने के लिए पीडीए लोगों के घरों में निशान लगाया। घुड़की दिए कि खुद से निशान तक मकान तोड़ो नहीं हम मशीन से तोड़ेंगे तो पूरा घर ढह सकता है। किसी सूरत घरों में बसर कर रहे लोग पिछले कई दिनों से स्वयं लेबर लगाकर मकान तोड़वा रहे हैं। मकान तोडऩे का इतना बड़ा दर्द लोगों को देने के बावजूद प्रशासन या नगर निगम मलबा तक हटाने में उनकी मदद नहीं कर रहा। जिसका फायदा प्राइवेट ट्रैक्टर वाले उठा रहे हैं। ट्रैक्टर वाले दोहरी कमाई में जुटे हैं। नगर निगम भी फ्री में इन मकानों का मलबा हटाने को तैयार नहीं है।

80
प्रति केजी करीब है मलबा उठाने का चार्ज
359
रुपये ट्राली मलबा का लेता है नगर निगम
456
रुपये प्रति ट्राली मलबा प्रोसेसिंग चार्ज है
800
रुपये कुल नगर निगम लेता है मलबा का
100
टन करीब मलबा रोज उठाने का है दावा

हर काम का दाम लेता है नगर निगम
तेलियरगंज रसूलाबाद घाट जाने के लिए अवतार टाकीज से होकर एक चौड़ी रोड मौजूद है। इसके अतिरिक्त दो और भी सड़कें घाट तक जाती हैं। फिर भी पीडीए के द्वारा संगम वाटिका से रसूलाबाद घाट तक रोड चौैड़ीकरण का प्लान तैयार किया। यह प्लान महाकुंभ को देखते हुए बनाया गया। इस चौड़ीकरण की जद में रोड किनारे स्थित सैकड़ों मकान आ गए। पीडीए के अफसर मकान तोडऩे के लिए नपाई करके निशान लगा दिए। इस निशान पर गौर करें तो कई मकान चौड़ीकरण की आंधी में समाप्त हो जाएंगे। पीडीए ने भवन मालिकों को मकान खुद से तोडऩे की घुड़की दी। लोगों की मानें तो अफसरों ने कहा कि स्वयं नहीं तोडऩे पर वे मशीन से तोड़ेंगे। इससे पूरा मकान भी गिर सकता है। निशान के आगे बचे हुए मकान को बचाने के लिए कई भवन स्वामी खुद से अपना मकान तोड़ रहे हैं। बच्चे व परिवार संग समान लेकर सभी शरणार्थी सरीखे जीवन बसर कर रहे हैं। खैर अहमद बात यह है कि लोगों द्वारा तोड़े जा रहे मकान का मलबा हटाने में भी पीडीए व नगर निगम उनका सपोर्ट नहीं कर रहा। नौबत यह है कि अपने पैसे से मकान तोड़वा रहे लोगों को मलबा हटवाने के लिए हजार रुपये ट्रैक्टर वालों को देना पड़ रहा है। ट्रैक्टर चालक भवन मालिकों से मलबा हटाने का पैसा तो ले ही रहे हैं, वह मलबा बेचकर दोहरी कमाई में जुटे हैं। पब्लिक की एक भी विभाग सुनने को तैयार नहीं है। परेशान लोगों का सवाल है कि वह पैसा लगवा कर मकान तोड़वाने में ही परेशान हैं। ऊपर से उन्हें मलबा हटवाने का भी पैसा प्राइवेट सेक्टर के लोगों को देना पड़ रहा हैं। जबकि वह नगर निगम को हाउस टैक्स से लेकर वाटर, सीवर, और सफाई तक का चार्ज देते हैं। कहना है कि जब नगर निगम सफाई का चार्ज लेता है तो फिर मुसीबत की इस घड़ी में वह मलबा की सफाई क्यों नहीं करा रहा। जबकि मलबा भी सफाई कार्य में ही समाहित है। नगर निगम सिर्फ पब्लिक से लेना जानता है, मदद व सहयोग के नाम पर लोगों को कुछ देना नहीं। इस समय वह पार्षद भी लोगों की मदद में सामने नहीं आ रहे जो चुनाव में हर मुसीबत में खड़े रहने का दावा किए थे।

मलबा से ऐसे मालामाल हो रहा विभाग
पब्लिक की समस्या व किए गए सवाल पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने नगर निगम के जिम्मेदारों से सवाल किया।
अफसरों ने बताया कि वह फ्री में कोई काम नहीं करते, बगैर चार्ज विभाग वही मलबा हटाता है जिसके मालिक नहीं होते।
बताया कि किसी व्यक्ति का मलबा है तो उसे उठाने के लिए नगर निगम करीब 80 पैसा प्रति किलो चार्ज वसूल करता है।
प्रति टन मलबा उठाने के लिए नगर निगम 359 रुपये 16 पैसे चार्ज फिक्स कर रखा है। इसके अलावा 456 रुपये प्रोसिंग चार्ज भी विभाग लोगों से ही वसूलता है।
मतलब यह कि किसी व्यक्ति का एक टन मलबा उठाने के लिए नगर निगम करीब 800 रुपये चार्ज उस शख्स से लेता है।
अफसरों की मानें तो प्रति दिन करीब 100 से सवा सौ टन मलबा नगर निगम उठाकर नैनी बसवार प्लांट भेजता है।
इसमें कितनी सच्चाई है यह कहना फिलहाल मुश्किल है, पर इतना जरूर है कि उठाया जाने वाला ज्यादातर मलबा लोगों के द्वारा फेका गया होता है।

जानिए क्या है प्रोसेसिंग चार्ज
मलबा उठाने में 456 रुपये प्रोसेसिंग चार्ज की हकीकत जानकर आप चौंक जाएंगे। दरअसल लोगों से पैसा लेकर उठाया गया मलबा नैनी बसवार प्लांट क्रेसर मशीन पर ले जाता है। इस मशीन से मलबा को पीस कर बारीक कर लिया जाता है। रेत में तब्दील मलबा से नगर निगम इंटर लाकिंग व बालू की तरह जुड़ाई जैसे कार्यों में यूज करता है। अर्थात नगर निगम भी पब्लिक का मलबा उठाकर दोहरी तेहरी कमाई में जुटा हुआ है।

रोड पर लोगों के द्वारा फेके गए मलबा को उठाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। क्योंकि यह पता चलता नहीं कि मलबा किसका है इस लिए उसे ठाने का खर्च विभाग वहन करता है। यदि मलबा किसी व्यक्ति का है तो उसके लिए उठाने से लेकर प्रोसेसिंग तक का चार्ज लिया जाता है। नगर निगम की यह व्यवस्था उसी के तहत काम किया जाता है।
उत्तम वर्मा, नगर निगम पर्यावरण अधिकारी