प्रयागराज (ब्यूरो)। नगर निगम की तिजोरी को रुपयों से भरने में व्यवसायिक भवनों को रोल काफी अहम है। जबकि इनकी संख्या यहां आवासीय भवनों से काफी कम है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक किए गए हाउस टैक्स वसूली के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। हाउस टैक्स जमा करने में सबसे ज्यादा आवासीय भवनों के मालिक पीछे हैं। जबकि व्यापारी वर्ग अपने व्यवसायिक भवन का टैक्स देने में आगे हैं। बकाएदारों में व्यवसायिक की अपेक्षा आवासीय भवनों की संख्या कहीं ज्यादा है। सदन द्वारा मौका दिए जाने के बावजूद आवासीय भवनों के मालिक हाउस टैक्स देने से कतरा रहे हैं। यही वह बकाएदार हैं जिन पर नगर निगम प्रशासन अब 31 दिसंबर के बाद शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। दस प्रतिशत छूट देने के साथ जीआईएस पर भी नगर निगम सदन ने स्वकर व्यवस्था का मौका दे चुका है। इस लिए बकाएदारों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नगर निगम किसी भी सूरत में राहत नहीं देगा।
अब भी है 27 दिन का मौका
शहरी एरिया यानी नगर निगम क्षेत्र में कुल वार्डों की संख्या नए व पुराने मिलाकर सौ हो गई है। चूंकि विस्तारित एरिया के किसी भी भवन से अभी हाउस टैक्स की वसूली नहीं की जा रही है। इस लिए यदि 80 वार्डों में भवनों की संख्या पर गौर करें तो दो लाख 32 हजार के करीब मकान यहां हैं। यह ऐसे मकान हैं जिनसे नगर निगम के द्वारा हाउस टैक्स की वसूली की जाती है। इसमें भी 93 हजार 213 भवन ऐसे हैं जो सरकार द्वारा कराए गए जीआइएस के दायरे में आ गए हैं। इस दायरे में आने के बाद इन मकानों का टैक्स कई गुना बढ़ गया था। सर्व विदित है कि जीआइएस बाद लगाए गए हाउस टैक्स में राहत देते हुए सदन ने स्वकर व्यवस्था लागू कर दिया था। मतलब यह कि खुद से अपने घरों की डिटेल दिए गए फार्म पर भरकर लोगों को नगर निगम में जमा करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद जीआइएस के दायरे में आने वाले करीब 42 हजार 216 भवन स्वामी ही स्वकर व्यवस्था का लाभ लिए। नगर निगम का दावा है कि आवेदन निस्तारण के बाद भवनों से 34 करोड़ 75 लाख रुपये के हाउस टैक्स की वसूली की गई है। मतलब यह कि 50 हजार 997 भवन स्वामी आज भी स्वकर व्यवस्था का लाभ लेने के लिए नगर निगम में आवेदन नहीं किए। इनमें आवासीय व अनावासीय यानी व्यवसायिक दोनों प्रकार के भवन शामिल हैं। इन भवनों पर भी करोड़ों रुपये का बकाया बताया जा रहा है। कार्रवाई से बचने के लिए बकाएदारों के पास अब भी करीब 27 दिन का मौका है। इस समयावधि पर बकाएदार विभागीय व्यवस्था का लाभ उठाकर हाउस टैक्स की विसंगतियों या अन्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
13 हजार कामर्शियल भवन भी बकाएदार
आवासीय भवनों के मालिकों की अपेक्षा व्यवसायिक भवनों के मालिकों द्वारा नगर निगम को टैक्स इस वित्तीय वर्ष में अधिक दिया गया। हाउस टैक्स की इस वसूली को समझने के लिए नगर निगम की फाइलों पर गौर करना होगा। विभागीय दस्तावेजों के पन्नों को पलटें तो मालूम चलता है कि शहरी एरिया के कुल 98 हजार 295 भवनों से अब तक हाउस टैक्स की वसूली की गई है। भवन कर के रूप में वसूले गए रुपयों को देखें तो वह 26 करोड़ 66 लाख रुपये हैं। जबकि शहरी एरिया में व्यवसायिक भवनों की तादाद शहर में 26 हजार 989 हैं, जिनमें 13 हजार 416 से 27 करोड़ 09 लाख रुपये बतौर हाउस टैक्स वसूल किए गए। यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भवन कर देने में सबसे ज्यादा कंजूसी आवासीय भवनों के मालिकों द्वारा की जा रही है।
यह सच है कि कामर्शियल की अपेक्षा आवासीय भवनों के मालिक हाउस टैक्स जमा करने में कंजूसी बरत रहे हैं। अब तक सबसे ज्यादा हाउस टैक्स की वसूली व्यवसायिक भवनों से ही की गई है। विभाग 31 दिसंबर के बाद कार्रवाई शुरू करे, इसके पूर्व 27 दिनों का अब भी मौका है। लोग नगर निगम सदन द्वारा दी गई सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। इसके बाद किसी भी सूरत में कोई एस्क्यूज की सुनवाई नहीं होगी।
पीके द्विवेदी, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी नगर निगम प्रयागराज