एक साल से न कोई नई मूवी मल्टीप्लेक्स में रिलीज हुई और मिली आडियंस की फुल स्ट्रेंथ

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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के पहले और दूसरी लहर ने काफी हद तक मार्केट को तोड़कर रख दिया है। कोरोना के पहले वेव में लगे लॉकडाउन से हर सेगमेंट के व्यापारी मार्केट में उतार चढ़ाव से जूझ रहे थे। दूसरे वेव में लगे लॉकडाउन से बची खुची कमर भी तोड़ दी। ऐसे में सिटी के मल्टीप्लेक्स के संचालकों का भी पूरा साल बिजनेस लगभग बंद ही रहा। ऐसे में हर मंथ लाखों के खर्च के बीच उनका बिजनेस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। लास्ट इयर लंबे समय के बाद मल्टीप्लेक्स खुले तो उनमें उम्मीद जगी। लेकिन उस समय कोई नई मूवी नहीं आने के बाद स्थिति अधिक नॉर्मल होने का इंतजार कर रहे इन संचालकों पर कोरोना के दूसरी लहर के बाद लगे लॉकडाउन ने और निराश किया।

एक साल में करोड़ों का नुकसान

सिटी के मल्टीप्लेक्स संचालकों ने बताया कि बीते एक साल में ही करोड़ों रुपए का नुकसान अब तक हो चुका है। आगे ये नुकसान कहां तक जाएगा। इसका कोई आइडिया नहीं है। लेकिन फिलहाल जो स्थिति बनी हुई है। वह मल्टीप्लेक्स वालों को उभरने नहीं दे रही है। बंद सिनेमा हाल में ही लाखों रुपए का खर्च हर मंथ आ रहा है। ऐसे में दोबारा खुलने पर उसे कैसे मैनेज किया जाएगा। इसको लेकर संचालक परेशान है। लेकिन उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

नहीं आई कोई नई मूवी

पीवीआर के मैनेजर कुश ठाकुर ने बताया कि लास्ट टाइम कोरोना संक्रमण कम होने के बाद भले ही पीवीआर व मल्टीप्लेक्स खोलने का आदेश हुआ था। लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ था। क्योकि उस समय कोई नई मूवी नहीं रिलीज हुई। ऐसे में दर्शक भी सिनेमा हॉल में आने से कतरा रहे थे। साथ ही कोविड के कारण सिनेमा हॉल को खोलने के लिए भी विशेष मानक बनाए गए थे। जिसके कारण भी काफी खर्च हुआ। जबकि अगर फायदे की बात करें, तो कम्पनी को कोई फायदा नहीं हुआ।

मार्च में जमा किया साल भर का लाइसेंस फीस

पीवीआर व मल्टीप्लेक्स के संचालकों ने बताया कि लास्ट इयर भी मार्च में लाइसेंस फीस जमा हुई थी। उसके कुछ दिन बाद ही लॉकडाउन लग गया। जिसके बाद सिनेमा हाल के लिए स्थित सामान्य नहीं हो सकी। ऐसे में लास्ट इयर की लाइसेंस फीस का पैसा भी वसूल नहीं हो सका। इस बार भी उसी तरह हुआ। मार्च में साल भर की सिनेमा हॉल की फीस जमा की गई। उसके बाद अप्रैल में कुछ फिल्मों के रिलीज होने की उम्मीद थी। उसी बीच लॉकडाउन लग गया। ऐसे में इस बार भी ये सारे खर्च बेकार ही होंगे। ऐसा अभी की स्थिति को देखकर लग रहा है।

मल्टीप्लेक्स बंद होने के बाद भी हुए ये खर्च

- कर्मचारियों का देना पड़ा वेतन

- लाखों रुपए हर मंथ देना पड़ा बिजली का बिल

- एनवल मेंटेनेंस का भी देना पड़ा चार्ज

- हाउस टैक्स की भी हुई वसूली

- वर्किंग कैपिटल लोन की भी देनी पड़ी किस्त

- लाइसेंस फीस भी पहले की तरह ही चुकाना पड़ा

- सिक्योरिटी पर हर महीने आता है हजारों का खर्च

- एक ऑडी के लिए 60 हजार है लाइसेंस फीस

- पीवीआर में 4 ऑडी का देना पड़ा 2 लाख 40 हजार रुपए

सालभर में करीब 30 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। ऐसे में उसके फिर से शुरुआत के लिए भी अभी पूंजी चाहिए।

आशुतोष अग्रवाल

संचालक, स्टार व‌र्ल्ड

100 परसेंट लॉस में ही पूरा साल रहा। इस बार थोड़ी उम्मीद जगी, लेकिन फिर से लॉकडाउन के कारण लगातार नुकसान हो रहा है। जो लाखों में है।

कुश ठाकुर

मैनेजर, पीवीआर