प्रयागराज (ब्यूरो)। पहली बार में गली से बाहर निकले पत्थरबाजों की संख्या बमुश्किल पांच से सात थी। इसमें सिर्फ एक ऐसा दिखा जो युवा था। बाकी सब किशोर थे। पुलिस ने इन सभी को बोला कि वे अपने अपने घर चले जाएं। वह कुछ ही दूर गली के अंदर गये और फिर झुण्ड में लौटे। अबकी बार संख्या दर्जनो में थी। सबके हाथ में पत्थर था। बच्चों ने गली से पत्थर फेंकना शुरू कर दिया तो पुलिस भी डिफेंसिव हो गयी। पुलिस ने माइक से सभी से आग्रह किया कि वे घरों के भीतर लौट जाएं। लेकिन सुनने वाला कोई था ही नहीं। इसके बाद तो तैयारी वाला हिस्सा सामने आ गया। दूसरी गली से भी युवा और बच्चे निकल आये। लगभग सभी ने अपने चेहरे बांध रखे थे ताकि कोई पहचान न सके। थोड़ी ही देर बाद स्थिति यह हो गयी कि सड़क पर एक तरफ उनका कब्जा हो गया और पुलिस को जान बचाने के लिए छिपना पड़ गया।
पीएसी वाहन को बनाया निशाना
पत्थरबाजों ने टर्निंग के पास खड़े पीएसी के वाहन पर पथराव शुरू किया तो जवानों को जान बचाने के लिए गाड़ी के पीछे जाना पड़ गया। इसके बाद गाड़ी पर ही पथराव शुरू कर दिया गया। किसी ने गाड़ी में आग लगाने की भी कोशिश की। संयोग अच्छा था कि फायर बिग्रेड की गाड़ी भी पास में ही मौजूद थी। फायर ब्रिगेड के जवानों ने पीएसी की गाड़ी को जलने से बचा लिया। इसके बाद पुलिस को समझ में आ गया कि इन्हें बच्चा समझना भूल है और सख्ती करनी ही पड़ेगी। इसके बाद तो जवान भी लाठी लेकर दौड़ पड़े।