प्रयागराज ब्यूरो । महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर के स्कूल में दो बच्चियों से हुई यौन शोषण की घटना के बाद फिर से उनकी सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई है। पैरेंट्स के बीच स्कूलों में पढ़ाई से ज्यादा बच्चों की सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि बच्चे के स्कूल के भीतर और बाहर दोनों जगह स्कूल और पुलिस प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। स्कूल गोइंग बच्चों की सुरक्षा को लेकर बनाए गए तमाम नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाना जरूरी है।
थोड़ा सा गंभीर होना है जरूरी
पुराना नियम है कि स्कूल बसों में जीपीएस ट्रैकर और कैमरा लगवाया जाना चाहिए। ताकि पता चल सके स्कूल बसों का माहौल कैसा है और बस ने कहीं अपने तय रूट से इतर हटकर तो मूवमेंट नहीं किया है। इस नियम का कितनी गंभीरता से पालन हो रहा है यह किसी से छिपा नही है। खुद आरटीओ विभाग लगातार चेकिंग कर इन कमियों को पकड़ रहा है और कार्रवाई की जा रही है। आमतौर पर स्कूल अपनी बसें नही रखते, इसकी जगह प्राइवेट बसों को संबद्ध कर लिया जाता है। यहां पर बस संचालक अपनी मनमानी करते हैं।
स्कूल कैंपस में स्मार्ट वॉच नाट एलाउ
पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों को स्मार्ट वॉच स्कूल के भीतर एलाउ किया जाए। जिससे वह बच्चों को जीपीएस के जरिए ट्रैक कर सकते हैं। साथ ही बच्चा जब चाहे उनसे स्मार्ट वॉच के जरिए संपर्क भी साध सके। वहीं स्कूल प्रबंधन को इस मामले में सोचना अलग हटकर है। उनका कहना है कि स्मार्ट वॉच एलाउ करने से स्कूल का माहौल और अनुशासन दोनों खराब होगा। इस गैजेट का मिसयूज भी किया जा सकता है। यही कारण है कि स्कूलों में बड़ी क्लास के स्टूडेंट्स को मोबाइल एलाउ किया जाता है लेकिन क्लास के भीतर नही है। यह फोन गेट पर ही जमा करा लिए जाते हैं। वही कोचिंग संस्थानों में स्मार्ट वॉच और मोबाइल फोन दोनों एलाउ किए गए हैं।
स्कूलों में वर्किंग हैं ड्राप बॉक्स
कुछ साल पहले स्कूलों में पुलिस और प्रशासन की दखल से ड्राप बाक्स लगाए गए थे। यह खुशी की बात है कि यह आज भी एक्टिव हैं। हम हमने इस मामले में पूछताछ की तो स्कूलों का कहना था कि हमारे यहां बॉक्स लगे हैं और आज भी रिस्पांस आ रहा है। शिवकुटी बीबीएस की प्रिंसिपल रजनी शर्मा ने बताया कि बुधवार को एक स्टूडेंट द्वारा मंगलवार को ड्राप बॉक्स में सड़क पर छेड़खानी की शिकायत दर्ज कराई थी। जिस पर बुधवार को तत्काल कार्रवाई हुई। पुलिस के साथ महिला कांस्टेबल ने आकर उन शोहदों के खिलाफ एक्शन लिया। ज्वाला देवी इंटर कॉलेज सिविल लाइंस के प्रधानाचार्य विक्रम वीर बहादुर सिंह ने बताया कि हमने अपनी ओर से बच्चों और उनके पैरेंट़्स की सुविधा के लिए सजेशन बाक्स भी लगवाया है।
बच्चों की सुरक्षा से नहीं कोई समझौता
पिछले सप्ताह प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत हुई कि स्कूलों की छुट्टी के समय स्कूलों के बाहर बहुत जाम लगता है। कारण पैरेंट्स हैं जो अपने वाहनों से बच्चों को पिक करने जाते हैं। इस सवाल पर जब हमने पैरेंट्स से बात की तो उनका साफ कहना था कि बच्चों की सुरक्षा के साथ समझौता नही कर सकते। तमाम घटनाएं ऐसी हो रही हैं, जिसको लेकर ्रपब्लिक ट्रांसपोर्ट से विश्वास उठता जा रहा है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में पैरेंट्स अपने बच्चों को सुबह स्कूल ड्राप करने और दोपहर पिक करने जाते हैं। वह किसी अन्य विश्वास नही कर सकते हैं।
पैरेंट्स के सुझाव
- बच्चों को स्कूल में गुड और बैड टच के बारे में बताया जाना चाहिए।
- उन्हें आत्मरक्षा के लिए ताइक्वांडो जैसी ट्रेनिंग स्कूल में उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
- बच्चों और पैरेंट्स को महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर जैसे चाइल्ड हेल्पलाइन, महिला हेल्पलाइन और स्थानीय पुलिस स्टेशन के नंबर की जानकारी दें ।
- स्कूलों में पुरुष के साथ महिला गार्ड की भी तैनाती की जानी चाहिए।
- स्कूल स्टाफ के चयन के समय किसी प्रकार की लापरवाही नही बरतनी चाहिए।
- स्कूल बसों में जीपीएस प्रणाली का अनिवार्य करना, ड्राइवर और हेल्पर की सत्यापन प्रक्रिया को लागू किया जाना चाहिए।
- बसों में चाइल्ड हेल्पलाइन, महिला हेल्पलाइन और पुलिस स्टेशन नंबर का विज्ञापन, और प्रत्येक स्कूल बस में दो शिक्षकों की तैनाती की जानी चाहिए।