प्रयागराज (ब्यूरो)। इस्लाम धर्म के जानकारों की मानें तो रोजा रखने का मतलब सिर्फ यह नहीं कि दिन भर कुछ खाया पिया नहीं जाय। रोजा सभी को हर तरह के गुनाहों और बुराइयों से दूर रहने की सीख देता है। रोजा आंख, नाक, कान, मुंह और हाथ व पैर एवं दिमाग तक का होता है। कहते हैं कि रोजा बुरा या बुराइयों को देखने व सुनने एवं मुंह से बुरा बोलने और बुराइयों की तरफ कदम उठाने की इजाजत नहीं देता। पाक रमजान महीने में रोजा रखना अल्लाह की सबसे बड़ी इबादत है। हर गुनाहों से दूर रहकर रोजा रखने वाले बंदों पर अल्लाह रहमतों की बारिश करते हैं। यही वह महीना है जिसमें अल्लाह जन्नत के सारे दरवाजे खोल देते हैं। फरिश्तों को अल्लाह का हुक्म होता है कि मेरे बंदों को वो सब कुछ दे दो वह जिस चीज की ख्वाहिश रखते हैं। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का एक पवित्र महीना है। इस्लाम धर्म के जानकार कहते हैं कि यही वह पाक महीना है जिसमें पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) प पवित्र कुरान नाजिल हुआ था।
अल्लाह ताला की इबादत का यह पाक महीना है। इस महीने में रोजेदार की हर मुराद अल्लाह पूरी करते हैं। रोजा रखने के कई दीनी फायदे व कायदे हैं।
ह$जरत मौलाना मो। आरिफ वारसी, मुतवल्ली वारसी कमेटी