प्रयागराज ब्यूरो । मोबाइल से उत्पन्न हो रहे शक की वजह से पारिवारिक कलह के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पिछले वर्ष जनवरी महीने की 13 तारीख तक इस तरह के 17 मामले महिला थाने आए थे। इनमें मोबाइल के अतिरिक्त विवाद की दूसरी वजह भी शामिल रहीं। काउंसलिंग बाद 15 दंपत्तियों के जेहन में उत्पन्न मतभेद व शक काउंसलिंग बाद खत्म हो गया था। जबकि इस साल एक से 13 जनवरी तक महिला थाने में पारिवारिक विवाद के कुल 30 मामले पहुंचे। काउंसलिंग बाद 14 दंपत्तियों के जेहन से एक दूसरे पर शक व अन्य मसलों को लेकर मतभेद खत्म हुआ। वह सभी अब एक साथ पूर्व की भांति पारिवारिक जीवन बसर कर रहे हैं। पिछले वर्ष 2022 में पारिवारिक विवाद के कुल 588 मामले महिला थाने पहुंचे। आंकड़ों पर गौर करें तो इनमें से 309 मामलों की काउंसलिंग बाद दंपत्ति आपस में समझौता करके साथ पारिवारिक जीवन बसर कर रहे हैं। इतना ही नहीं 279 केस रहे जिसमें दंपत्ति एक दूसरे के सामने अपने इगो व जिद एवं तुनक मिजाजी से बाहर नहीं आ सके। महिला पुलिस कर्मियों द्वारा काउंसलिंग के जरिए इन परिवारों को टूटने से बचाने की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। परिणाम यह रहा कि सभी 279 केस में उनकी जिद के चलते पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा।


महिला थाने की काउंसलर बताती हैं कि काउंसलिंग के दौरान दंपत्तियों के बीच विवाद की वजह मतभेद व मोबाइल से शक को लेकर अधिक है
ज्यादातर केस में पति को पच्ी व पत्नी को पति पर शक के होते हैं, इसमें भी मोबाइल पर बात करने से उत्पन्न होने वाला शक ज्यादा होता है
काउंसलिंग में मोबाइल के अलावा दंपत्तियों में विवाद की वजह महिलाओं व पुरुषों में इगो प्रॉब्लम भी होती है
विवाद के ऐसे भी कारण देखे जाते हैं जिसमें महिला को अपनी सास या ननद अथवा देवरानी से समस्या होती है
कुछ केस में ननद व सास या ससुराल वालों को महिला के सजने संवरने या देर से उठने जैसी छोटी-छोटी बातों से दिक्कत होती है
ऐसे भी मामले आ रहे हैं जिसमें परिवार वाले बहू से खुश हैं तो पति को उसकी आदतों से नफरत करने लगा है।
पति को ज्यादातर नफरत पत्नी के मोबाइल को लेकर होने वाले शक से होती है? तो महिला मोबाइल पर बात करना छोडऩे को तैयार नहीं होती


समझदारी से सुलझाएं मामला
महिला थाने की काउंसलर कहती हैं कि पारिवारिक विवाद में कई छोटी-छोटी बातें हैं जिसमें कोई एक थोड़ा झुक जाय तो मसला घर में ही हल हो सकता है। मगर, लड़की को कुछ बुरा लगा तो तुरंत मायके फोन घुमा देती है, मायके वाले सपोर्ट में तुरंत खड़े हो जाते हैं। इससे लड़की का हौसला बढ़ता है और वह खुद को एडजस्ट करने के बजाय इगो पालकर बैठ जाती है। काउंसलर कहती हैं कि ऐसे छोटे मोटे मामलों में मायके वालों को बेटी की ससुराल में इंटर फेयर बहुत ओपन होकर नहीं करना चाहिए। यदि करना भी चाहते हैं तो ऐसा करें कि यह बात उसकी बेटी तक नहीं पहुंचे। लड़की की ससुराल वालों को चाहिए कि वह बात-बात पर उसके मायके वालों या फिर मां बाप व भाई का ताना नहीं दें। यदि कोई महिला अपने मायके वालों से मोबाइल पर बातें कर रही तो यह गुनाह नहीं है। ससुराल के लोगों को चाहिए कि वे उसे मायके बात करने और अपने परिवार का हिस्सा समझें। प्यार पाएगी तो खुद ही मायके वालों को भूल जाएगी।


पारिवारिक विवाद के मामलों में वैसे तो कारण तो कई होते हैं, पर देखने को यह मिल रहा कि ज्यादातर दंपत्ति को एक दूसरे के मोबाइल व उससे उत्पन्न शक विवाद की वजह बन रहे हैं। काउंसलिंग बाद यह मतभेद ज्यादातर दंपत्तियों में दूर हो जाता है। समझाने के बाद भी जो नहीं समझते उसमें केस दर्ज किया जाता है।
जय अम्बिका, एसआई महिला थाना