मनोविज्ञानशाला में भविष्य की चिंताओं को लेकर हर दिन आ रहे सैकड़ों कॉल
पैरेंट्स के साथ बच्चों की क्वैरीज में पढ़ाई और सिलेबस पर हैं अधिक सवाल
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कोरोना महामारी के दौर ने पिछले एक साल से सबसे ज्यादा पढ़ाई पर असर डाला है। छोटी क्लास के बच्चे जहां एक साल से स्कूल जाने का इंतजार करते रहे। वहीं इस बार बोर्ड परीक्षाओं समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के टलने और निरस्त होने के कारण भी स्टूडेंट्स की टेंशन लगातार बढ़ती रही। ऐसे में अब स्टूडेंट्स को भी अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। स्टूडेंट्स को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी क्वैरीज का जवाब कैसे मिलेगा। ऐसे में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स के लिए उत्तर प्रदेश मनोविज्ञानशाला पर ऐसा प्लेटाफार्म मिला है। जो उनके कांफिडेंस को बढ़ाने के साथ ही उनको सही मार्गदर्शन भी दे रहा है।
हर दिन आते है दर्जनों फोन
मनोविज्ञानशाला के प्रधानाध्यापक डॉ। कमलेश पाण्डेय ने बताया कि इन दिनों सबसे अधिक फोन कॉल स्टूडेंट्स के ही आ रहे हैं। जिसमें परीक्षाओं से लेकर करियर तक की समस्याएं और उसका समाधान स्टूडेंट्स चाह रहे है। जिससे उनके करियर को सही मार्ग दर्शन मिल सके। वहीं पैरेंट्स की ओर से जो क्वैश्चन पूछे जा रहे है। उसमें छोटे बच्चों को घर में रहने की आर्ट के बारे में जानकारी मांगी जा रही है। जैसे छोटे बच्चे घर पर परेशान कर रहे है। उनकों कैसे संभाला जाए। वहीं व्यापारी वर्ग से लेकर अन्य लोगों की क्वैरीज भी इस सिचुएशन को हैंडल करने से जुड़ी पूछी जा रही है। मनोविज्ञानशाला के ट्रोल फ्री नम्बर के साथ ही डाक्टर्स व एक्सपर्ट्स के पर्सनल नम्बर पर भी आगरा, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, आजमगढ़ समेत कई अन्य जिलों से लगातार कॉल आ रहे है।
ये आ रही सबसे मेन क्वैरीज
- कोर्स छूट गया है, अब क्या करें। आगे काम्पिटीशन एग्जाम की तैयारी करना है?
- एग्जाम तो कैंसिल हो गया है। एग्जाम होता तो अपनी तैयारी का अंदाजा लगता, ऐसे में क्या करें?
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। कोचिंग संस्थान बंद है, तैयारी ढंग से नहीं हो पा रही है। मन भी नहीं लग रहा ?
- छोटे बच्चे एक साल से घर पर है, बहुत परेशान करते है। कैसे हैंडल करें?
- बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता, बहुत डांटने पर होमवर्क करते है, कैसे समझाए?
- मन बहुत व्यथित है, क्या करें, समझ नहीं आ रहा है?
मनोविज्ञानशाला की ओर से लगातार हेल्प डेस्क संचालित किया जा रहा है। बच्चों, पैरेंट्स व अन्य की क्वैरीज का उचित जवाब देकर उनको संतुष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ। कमलेश पाण्डेय
प्रधानाध्यापक, उत्तर प्रदेश मनोविज्ञानशाला