प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर को जैसे ही सूचना प्राप्त हुई कि घटना में इस्तेमाल अपाचे बाइक राजापुर क्षेत्र में किसी तबेले खड़ी मिली है, वह स्पॉट पर पहुंच गया। रिपोर्टर शंका होने पर क्षेत्र में तफ्तीश करने को निकल पड़ा। सामने तंग गलियां देखकर रिपोर्टर का माथा ठनक गया। इन गालियों से किसी अनजान व्यक्ति का भागना मुमकिन ही नहीं है। हर दस कदम पर एक गली दूसरी गली से जोड़ रही है। कुछ गालियों का रास्ता अंत में जाकर बंद तक हो जा रहा था। इससे इस शक को बल मिलता है कि घटना के बाद भागे बदमाश मेन पर ट्रेवल करने से बचे हैं। संभवत: इसी एरिया में उन्होंने बाइक भी चेंज की होगी।
चेक करने पर नहीं शो कर रहा डिटेल
जिस जगह से पुलिस को बाइक मिली उसी के आसपास जगदीश पांडेय वाली गली नजर आयी। उधर घूमने पर एक और बाइक संदिग्ध हालात में खड़ी नजर आई। रिपोर्टर ने बाइक का नंबर परिवहन एप पर डालकर चेक किया तो पता चला कि कोई डिटेल ही सामने नहीं आ रही है। इससे यह शक गहरा गया कि इस बाइक के साथ भी कोई कहानी जुड़ी हो सकती है। देर शाम को पुलिस ने इस बाइक को भी कब्जे में ले किया और पता करने में लगी रही कि इसका बुधवार को हुई लूट से कोई कनेक्शन है क्या?
तो कपड़ा चेंज करके भागे!
जिस स्थान पर बाइक मिली है उससे कुछ ही दूरी पर बड़ा नाला है। इस इलाके में आमतौर पर सन्नाटा ही नजर आया। इससे शक यह भी पैदा हुआ कि बदमाशों ने यहां बाइक छोडऩे के बाद शायद कपड़ा भी चेंज किया होगा और फिर दूसरे साधन से निकल गये। पुलिस इन तंग गालियों में रहने वालों के घरों में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने में जुटी है।
फुल प्रूफ थी लूट की प्लानिंग
सम्पूर्ण घटनाक्रम को जिस तरीके से अंजाम दिया गया? उससे संकेत मिलते हैं कि पूरी घटना फुल प्रूफ तरीके से अंदाज दी गयी है। बदमाशों को पता था कि कब दुकान में कोई होता नहीं है। कब दुकानदार यहां से कैश हटाते हैं। थोड़ा वक्त और बीतता तो लुटरों को दूसरी दुकान से भी कुछ रुपये ही मिल पाते। यह संकेत देता है कि दुकान की न सिर्फ रेकी की गयी थी बल्कि अंदर तक की जानकारी जुटाकर रखी गयी थी। यह सब किसी करीबी के घटना में शामिल होने का संकेत देता है।
कही ये वही गैंग तो नही?
राजापुर में मिली दूसरी बाइक को लेकर पुलिस का मानना है कि कुछ दिन पहले सोरांव में लूट की घटना में भी एक अपाचे बाइक का इस्तेमाल किया गया था। हो सकता है कि यह वही बाइक है और घटना को अंजाम देने वाला गैंग भी वही है। लुटेरों की उम्र भी कम बताई जा रही है। सभी तीस साल से कम उम्र के हैं। सोरांव की घटना को अंजाम देने वाले भी लगभग इसी उम्र के थे। पुलिस दोनों घटनाओं के तार को आपस में जोड़कर देख रही है।
कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। शहर के तमाम सीसीटीवी कैमरे को खंगाला जा रहा है। बदमाश लूट के बाद किस ओर और कहां से होकर गुजरे हंै। एक-एक पैनल पर छह से अधिक टीमें काम कर रही है। जल्द ही खुलासा कर लिया जाएगा।
शैलेश कुमार पांडेय, एसएसपी