प्रयागराज ब्यूरो पिछले कुछ महीनों में कितनी सरकारी जमीनों को अतिक्रमण कारियों के चंगुल से मुक्त कराया गया। यह सवाल राजस्व विभाग के राज्यमंत्री अनूप प्रधान ने गुरुवार को राजस्व अधिकारियों से पूछा। यह भी पूछा गया कि जमीन मुक्त कराने के बाद कितनी वसूली की गई है। इस पर अधिकारियों ने माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दी। मंत्री ने सभी राजस्व अधिकारियों को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण से बेदखली की कार्रवाई को तेज करने को कहा।

लंबित वादों के निस्तारण पर जोर

राज्यमंत्री गुरुवार को विभिन्न राजस्व न्यायालयों, चकबंदी न्यायालयों में पंजीकृत वादों के निस्तारण की स्थिति के बारे में सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक की। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को राजस्व से संबंधित लंबित वादों को शीर्ष प्राथमिकता पर निस्तारित किए जाने के दिए निर्देश दिए। उप्र राजस्व संहिता-2006 की धारा-24, 34, 35, 67, 80 एवं 116 सहित अन्य धाराओं से संबंधित लंबित राजस्व वादों का निस्तारण शीर्ष प्राथमिकता पर करने को कहा।

अधिकारियों को दी चेतावनी

बैठक के दौरान राज्यमंत्री ने अधिकारियों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि राजस्व वादों के निस्तारण में किसी प्रकार की लापरवाही न हो। मुकदमों की पेंडेंसी के सापेक्ष मासिक निस्तारण कम पाए जाने पर तहसीलदारों को मुकदमों के निस्तारण में तेजी लाने का निर्देश दिए। कहा कि वर्षों से लंबित राजस्व वादों के लिए तहसीलदार जिम्मेदार हैं। हर तहसील के तहसीलदार अब इन मुकदमों के निस्तारण के लिए तेजी से जुट जाएं। राजस्व मुकदमों का समय पर निस्तारण मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है। उन्होंने धारा-24 के तहत जमीनों की पैमाइश से संबंधित प्रकरणों को निर्धारित समय सीमा में अनिवार्य रूप से निस्तारित करने के निर्देश दिए। धारा-116 के तहत बटवारे से संबंधित वाद एवं धारा-34 एवं 35 के तहत नामांतरण वादों को भी निर्धारित समय सीमा में निस्तारित करने को कहा। सीआरओ कुंवर पंकज, डीडीसी, एसओसी सभी तहसीलदारगण भी मौजूद रहे।