अक्टूबर में शासन ने भेजी थी प्लाज्मा अफेरेसिस मशीन
रेट डिसाइड नहीें होने से आमलोगों को नहीं मिल पा रहा लाभ
थोड़ी सी फार्मेलिटी पूरी नहीं हो पाने से करोड़ों की मशीन एसआरएन हॉस्पिटल में धूल खा रही है। बात यहां प्लाज्मा अफेरेसिस मशीन की हो रही है। हॉस्पिटल में शासन की ओर से अक्टूबर में इस मशीन को इंस्टाल किया गया था। इसके जरिए कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी मुहैया कराई जानी थी लेकिन शासन द्वारा इस थेरेपी को मान्यता नहीं दिए जाने से लोगों को इसका अधिक लाभ नहीं मिल सका। अब इस मशीन के दूसरे लाभ भी मरीजों को नहीं मिल पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि शासन द्वारा प्लाज्मा या प्लेटलेट अफेरेसिस का रेट तय नहीं किए जाने से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
महज 34 लोगों को मिली सुविधा
करोड़ों की लागत से इस मशीन को प्रदेश सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में खासकर कोविड मरीजों के लिए प्रयागराज भेजा था। इस मशीन के जरिए बॉडी में खून से प्लेटलेट और प्लाज्मा को अलग कर मरीज को इलाज मुहैया कराया जाना था। इसके बाद 34 मरीजों को इस मशीन से प्लाज्मा थेरेपी उपलब्ध कराई गई। लेकिन इस थेरेपी का अधिक रिस्पांस और डोनर नही मिल पाने से इसे बंद कर दिया गया।
रेट तय हो जाए तो बने काम
कोविड के इलाज में इस मश्ीान का अधिक लाभ नहीं मिल पाया है। अब इस मशीन से आम मरीजों को प्लाज्मा और प्लेटलेट सेपरेट कर दिया जा सकता है। लेकिन यह लाभ भी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस मशीन से दी जाने वाली सुविधा का रेट अभी तक शासन से तय नहीं किया गया है। जिसकी वजह से मशीन बंद पड़ी धूल खा रही है।
क्या है इस मशीन की उपयोगिता
अफेरेसिस मशीन के जरिए बॉडी से होल ब्लड निकालने की जरूरत नही पड़ती है।
केवल प्लाज्मा और प्लेटलेट जरूरत के अनुसार निकाला जाता है।
इससे पीआरबीसी यानी लाल रक्त कणिकाओं का वेस्टेज नही होता है।
सिटी में केवल एएमए ब्लड बैंक में यह मशीन लगी है।
रेट तय हो जाने से प्राइवेट ब्लड बैंक के मुकाबले यहां सस्ती सेवा उपलब्ध होगी।
मशीन कई माह पहले लगी थी। हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द गवर्नमेंट से रेट तय हो जाए तो नार्मली मरीजों को इस मशीन का लाभ मिलना शुरू हो जाए।
प्रो। एसपी सिंह
प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज