- जीएसटी की वेबसाइट पर दी जा रही है एरर रिपोर्ट, परेशान हैं यापारी
- मासिक की जगह दिखा रहा त्रैमासिक रिटर्न, ऐसा हुआ तो प्रभावित होगा व्यापार
= जीएसटी में खामियों को लेकर 26 को भारत बंद का आह्वान
प्रयागराज- जीएसटी धीरे-धीरे व्यापारियों के लिए परेशानी बनती जा रही है। अब तक इसमें एक हजार से अधिक संशोधन हो चुके हैं और आगे भी यह जारी रहेंगे। इससे नाराज व्यापारियों ने 26 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है। इधर बीच जीएसटी पोर्टल पर नई प्राब्लम भी क्रिएट हो गई है। व्यापारियों को पोर्टल पर एरर रिपोर्ट दिख रही है। जिसमें बताया जा रहा कि वह त्रैमासिक रिटर्न योजना में हैं। जबकि व्यापारियों का कहना है कि त्रैमासिक योजना में रहने से उनका व्यापार प्रभावित होगा। वह फिलहाल मासिक रिटर्न ही भरना चाहते हैं।
मासिक रिटर्न में है फायदा
व्यापारियों को जीएसटी के मासिक रिटर्न में अधिक फायदा है। वह कहते हैं कि अगर वह मासिक रिटर्न भरेंगे तो सामने वाले व्यापारी को इसकी आईटीसी (इनपुट क्रेडिट टैक्सस) मिल जाएगी। वह इसे क्लेम कर सकेगा। लेकिन जब त्रैमासिक रिटर्न फाइल करेंगे तो दूसरे व्यापारी को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इससे उसका व्यापार प्रभावित होगा। यही हाल रहा तो सामने वाला व्यापारी बिजनेस करने से बचेगा। व्यापारियों के साथ यह एक बड़ी समस्या बन जाएगी। इसलिए सरकार को इस दिक्कत पर ध्यान देना चाहिए।
31 जनवरी से पहले भरी थी च्वाइस
ऐसा क्यों हो रहा है यह किसी को नही पता। लेकिन पोर्टल की इस एरर रिपोर्ट से हजारों व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं। उनकी माने तो यह सरकार की मनमानी है। जीएसटी के जरिए व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है और उन पर टैक्स का बोझ लादा जा रहा है। जबकि व्यापारियों ने 31 जनवरी से पहले ही पोर्टल पर मासिक रिटर्न की च्वाइस भर दी थी। बावजूद इसके यह कैसे हो रहा है, इसका जवाब अधिकारियों के पास भी मौजूद नहीं है।
त्रैमासिक रिटर्न से होने वाली समस्याएं
- माल खरीदने वाले व्यापारी को होगा नुकसान, वह नहीं कर सकेगा आईटीसी क्लेम।
- अगर किया क्लेम तो करना होगा जीएसटी विभाग की कार्रवाई का सामना।
- त्रैमासिक रिटर्न भरने वाले व्यापारी का व्यापार होगा प्रभावित, बढ़ जाएगी टैक्स लायबिलिटी।
- जनवरी, फरवरी, मार्च का तिमाही रिटर्न एक से दस अप्रैल के बीच भरा जाएगा।
- पांच करोड़ से कम सालाना व्यापार करने वालों के लिए त्रैमासिक रिटर्न की सुविधा दी गई थी लेकिन अब इसे मेंडेटरी किया जा रहा है।
जबकि व्यापारियों को पहले पोर्टल पर मासिक रिटर्न चुनने का प्रावधान दिया गया है।
ऐसे नियमों से बचना चाहिए। सरकार को चाहिए कि जीएसटी का सरलीकरण करें न कि उसे जटिल बना दें। इस समस्या से कई व्यापारी परेशान हैं। उन्हें त्रैमासिक रिटर्न के लिए दबाव दिया जा रहा है।
तरंग अग्रवाल, व्यापारी नेता
अगर व्यापारी मासिक रिटर्न भरना चाहता है तो इसकी सुविधा भी सरकार ने दी है। लेकिन पोर्टल पर उसकी च्वाइस को नकार कर उसे त्रैमासिक रिटर्न पर डाला जा रहा है।
अन्नू पांडेय, व्यापारी
व्यापारियों को जीएसटी के तहत व्यापार करने की बेहतर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। रोजाना अगर ऐसी दिक्कतें आएंगी तो लोग व्यापार करने के बजाय कार्यालय के चक्कर लगाते रहेंगे।
अंकित टंडन, व्यापारी
जीएसटी में अब नई समस्या खड़ी हो गई है। अगर व्यापारी गलत आईटीसी क्लेम करता है तो उस पर कार्रवाई होगी और इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इन्ही कारणों से व्यापारी हड़ताल करने पर मजबूर हैं।
महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, कैट
अब तक जीएसटी में जितने भी संशोधन किए गए हैं उन पर सरकार को विचार करना होगा। इसका मूल रूप फिलहाल गायब हो चुका है। इसलिए पुन: जीएसटी को व्यापारी के लिए हित के लिए तैयार करना होगा।
रोहित केसरवानी, व्यापारी