प्रयागराज ब्यूरो करवा चौथ पर्व आते ही सुहागन महिलाओं की हथेली पर मेहंदी का रंग चढऩे लगा है। बढ़ी हुई डिमांड को देखते हुए मेहंदी का भाव आसमान छूने लगा है। महिलाओं की हथेली पर मेहंदी लगाने का रेट डेढ़ सौ रुपये से यहां शुरू है। इसके ऊपर का मेहंदी लगाने का रेड डिजाइन पर डिपेंड है। सोमवार को मेहंदी लगवाने के लिए जगह-जगह रोड किनारे बैठे एक्सपर्ट की दुकानों पर महिलाओं की जबरदस्त भीड़ रही। पूर्व सामग्री खरीदने वाले के लिए बाजार में भी रौनक बढ़ी हुई दिखाई दी। बुधवार को महिलाएं इस पर्व का व्रत रखकर पूजा अर्चन करेंगी।


अमृत काल में करें चांद का दीदार
चतुर्थी तिथि मंगलवार रात 10.42 बजे से शुरू होकर एक नवंबर बुधवार की रात 09.19 बजे तक प्रभावी रहेगी। पुरोहितों के मुताबिक करवाचौथ का व्रत बुधवार को रखा जाएगा। अमृत काल शाम 7.34 बजे से रात 09.13 बजे तक रहेगा। इसी समय चंद्रमा के दर्शन पूजन करके व्रत पूरा को पूर्ण किया जाएगा। व्रती महिलाएं भगवान शिव के और मां गौरी के साथ गणेश भवान की भी पूजा करेंगी। इस व्रत को रखने से पति की लंबी उम्र होने के साथ घर परिवार में सुख समृद्धि का आगमन होता है। पेजा पाठ के बाद व्रत रखने वाली महिलाएं चलनी से पति के चेहरे को देखकर पारण करेंगी। चांद दिखाई देने के बाद ही पूजा पाठ करने व व्रत पारण की मान्यता है। इस पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं के जरिए सोलह श्रृंगार किए जाने का विशेष महत्व ग्रंथों में बताए गए हैं। पर्व को देखते हुए 16 श्रृंगार में एक मेहंदी लगवाने के लिए सोमवार को दुकानों पर महिलाओं की काफी भी भीड़ रही। मेहंदी लगाने के एक्सपर्ट के व्यस्त होने से महिलाओं को मेहंदी लगवाने के लिए काफी देर तक इंतजार भी करना पड़ा।

व्रती महिलाएं ऐसे करें पूजा पाठ
शुद्ध जल से स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें व व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर की दीवार पर करवा का चित्र बनाएं।
वहीं पर पूजा की विशेष चौकी रखकर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर शिव-पार्वती का चित्र रखें या बनाएं।
दीप, ङ्क्षसदूर, कुमकुम, रोली और करवे में जल भरकर रखें। फिर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें और पाठ करें।
रात में चंद्रोदय के बाद अघ्र्य देकर पूजन करें। इसके बाद पानी पीकर व्रत पूरा करें। पति के हाथ व्रत पारण का विशेष पल बताया गया है.करवा चौथ का व्रत बुधवार को परखा जाएगा। व्रती महिलाओं को चाहिए कि वे भगवान शिव और मां गौरी के साथ गणेश की भी पूजा करें। विधि विधान से पूजन से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
विमलेश्वरा नन्द मिश्र, आचार्य कर्मकांडी