इस साल एमबीबीएस का कोर्स कम्प्लीट करने वाले छात्र अभी से प्रेशर में हैं। पीजी एंटे्रंस की तैयारी करने वालों पर डबल प्रेशर आ गया है। उनको पता है कि इस बार पीजी इंट्रेंस क्वालीफाई नहीं कर पाए तो अगले साल नेक्स्ट (नेशनल एग्जिट टेस्टट) का सामना करना पड़ेगा। गलती से क्वालीफाई नहीं कर पाये तो मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस नहीं मिलेगा। इससे पूरी डिग्री पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे। यह चिंता अगले साल एमबीबीएस की पढ़ाई कम्प्लीट करने वाले छात्रों को अभी से सताने लगी है।

पास करने के बाद लिख सकेंगे डॉक्टर

2019 में संसद नेक्स्ट पर मुहर लगा चुका है। इसके चलते मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स के सामने एक और चैलेंज आ गया है। एमबीबीएस कम्प्लीट करने के बाद भी वे नाम के पहले डॉक्टर लिखने के हकदार तभी बनेंगे जब वह नेक्स्ट क्वालीफाई करेंगे। फेल हो गए तो एमबीबीएस करने के बाद भी उन्हें मेडिसिन प्रैक्टिस का लाइसेंस नहीं मिलेगा।

इस बार अंतिम होगा पीजी इंट्रेंस

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के दो बैच के स्टूडेंट इस बार पीजी एंट्रेंस में पार्टिसिपेट करेंगे।

इनमें 2015 और 2016 बैच शामिल है।

इस एग्जाम की डेट 18 अप्रैल को घोषित हो गई है।

इसके बाद से अगले साल नेक्स्ट होगा।

जिसके आधार पर पीजी में एडमिशन दिया जाएगा।

यह नेशनल लेवल का टेस्ट होगा और इसमें नेशनल और इंटरनेशनल स्टूडेंट एक साथ बैठेंगे।

19 सेमेस्ट के बाद भी करना होगा प्रूव

मेडिकल स्टूडेंट्स गवर्नमेंट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।

उनका कहना है कि 5.5 साल में 19 सेमेस्टर एग्जाम और अनगिनत एसाइनमेंट क्लीयर करना पड़ता है।

इसके अलावा चार प्रोफेशनल एग्जाम भी देने पड़ते हैं।

इसके बाद एमबीबीएस का कोर्स कम्प्लीट होता है।

फिर भी नेक्स्ट के आधार पर हमारी काबिलियत को आंका जाए तो चिंता का विषय होगी।

इन बातों पर ध्यान दे सरकार

नेक्स्ट एग्जाम इंटर्नशिप के बाद कराया जाए

ताकि सीएचसी-पीएचसी पर डॉक्टर्स अपनी सेवाएं दे सकें।

नेक्स्ट का इंपैक्ट रूरल एरिया के हॉस्पिटल पर पड़ेगा जहां प्रैक्टिसनर कम मिलेंगे

एमसीआई पहले फारेन मेडिकल ग्रेजुएट्स का हायर लेवल एग्जाम कराती थी और फिर उन्हे प्रेक्टिस की अनुमति देती थी।

अब एमसीआई की जगह एनएमसी आ गई है।

जिसके नेक्स्ट में नेशनल और इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट्स एक साथ एग्जाम देंगे।

गवर्नमेंट को अपने डिसीजन को एक बार फिर सोचना होगा। नेक्स्ट के नियमों में बदलाव जरूरी है। जिससे गरीब मेडिकल स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस करने की छूट मिल सके।

डॉ। अरमान खान

फाइनल ईयर स्टूडेंट, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

सरकार को अपने टीचिंग सिस्टम पर लगता है भरोसा नही है। वरना पांच साल पढ़ने के बाद प्रेक्टिस के लिए नेक्स्ट का आयोजन नहीं कराया जाता। यह बात समझ से बाहर है।

डॉ। शिवा यादव

फाइनल ईयर स्टूडेंट, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

इस बार आखिरी बार पीजी एंट्रेंस एग्जाम होगा। जिसमें शामिल होने वाले स्टूडेंट्स पर इसे पास करने का दबाव है। क्योंकि इसके बाद नेक्स्ट का सामना करना होगा।

डॉ। प्राशीष गुप्ता

फाइनल ईयर स्टूडेंट, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

अभी तक ग्रामीण एरिया में आसानी से डॉक्टर्स उपलब्ध हो जाते थे लेकिन अब इंटर्नशिप से पहले ही नेक्स्ट देना होगा। अगर वह क्वालिफाई नही हुए तो डॉक्टर्स की भारी कमी होगी।

डॉ। प्रवीण कुमार

फाइनल ईयर स्टूडेंट, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

सरकार जान बूझकर डॉक्टर्स को परेशान कर रही है। बाकी कहीं इतना कम्पटीशन नही है जितना इस फील्ड में बनाया जा रहा है।

डॉ। राजेश मौर्या

सचिव, एएमए

पांच साल तक कठिन सेलेबस को क्रैक करने के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स का डॉक्टर बनने का सपना पूरा होता है। इसके बाद वह पीजी एग्जाम की तैयारी करते हैं। यह पहले से कठिन था। अब नेक्स्ट को भी शामिल कर दिया गया है। इससे अन नेसेसरी प्रेशर क्रिएट होगा।

डॉ। एमके मदनानी

अध्यक्ष, एएमए