प्रयागराज ब्यूरो । पांच केस की फाइलिंग न होने पर नहीं मिलता था मेडिक्लेम
आम सभा ने वकील की पत्नी और बच्चों को भी शामिल किया
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार ने सदस्य अधिवक्ताओं के हित में शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया। इसका सबसे बड़ा फायदा उन जूनियर अधिवक्ताओं को होने वाला है aजिन्होंने अभी अपना कॅरियर शुरू ही किया है। केस पाने के लिए या अपने नाम से दाखिल करने के लिए संघर्ष करते हैं। बार की आम सभा में इन सभी को मेडीक्लेम से आच्छादित करने पर मुहर लगा दी गयी। यानी अब इस योजना का लाभ उन अधिवक्ताओं को भी मिलेगा जो पांच केस फाइल न कर पाने के चलते बार की योजना से लाभान्वित नहीं हो पाते थे। अभी तक पांच केस का बैरियर रास्ता का बड़ा रोड़ा था।
आम सभा का पूर्ण समर्थन
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद की आमसभा पूर्व निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार शुक्रवार को लाइब्रेरी हाल में हुई। अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने और संचालन महासचिव नितिन शर्मा ने किया। बता दें कि बीते सालों में तमाम अधिवक्ताओं के अचानक गंभीर रूप से बीमार होने पर पिछले साल पांच केस न होने के कारण बार एसोसिएशन से आर्थिक सहायता नहीं दी गई। इससे अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश था और मांग की जाने लगी कि सहायता के लिए पांच केस की अनिवार्यता समाप्त की जाए। सभा में विचार के लिए सबसे पहले मेडीक्लेम का ही मुद्दा रखा गया। आम सभा ने मुश्किल घड़ी में साथ देने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए पांच मुकदमों की बाध्यता समाप्त करने का प्रस्ताव रखा जिसे पूर्ण बहुमत के साथ पारित कर दिया गया।

पत्नी और बच्चे का भी ध्यान रखा
मिटिंग में अधिवक्ताओं के परिवार को भी सामाजित सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उनकी पत्नी और बच्चों को मेडिक्लेम योजना में शामिल करने का मुद्दा उठाया गया। आम सभा ने इस प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया। सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित होने के चलते अब बार एसोसिएशन में रजिस्टर्ड सभी अधिवक्ताओं की पत्नी और उनके बच्चों को भी चिकित्सीय योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। मिटिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित कुमार, उपाध्यक्षगण आशुतोष पांडेय, अशोक कुमार त्रिपाठी, अजय कुमार मिश्र, अरविंद श्रीवास्तव, स्वर्ण लता सुमन, संयुक्त सचिव प्रशासन सर्वेश कुमार दुबे, संयुक्त सचिव लाइब्रेरी अजय सिंह, संयुक्त सचिव प्रेस अमरेन्दु सिंह, संयुक्त सचिव महिला अंजना चतुर्वेदी, कोषाध्यक्ष आशीष मिश्र, सदस्यगण प्रीति द्विवेदी, सरिता सिंह, अभ्युदय त्रिपाठी, विनोद राय, अमित कुमार पांडेय, ओम प्रकाश विश्वकर्मा, अरविंद कुमार सिंह, अरुण कुमार त्रिपाठी, आशुतोष मिश्र, सुधीर कुमार केसरवानी, साइमा सहर, अनिरुद्ध ओझा, अनिल कुमार, गुलाब सिंह यादव एवं अनिल प्रताप सिंह समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।


विधि शून्य है कार्यवाही
एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने इस पूरी कार्यवाही को विधि शून्य करार दिया है। उन्होंने कहा है कि बार एसोसिएशन के बाइलाज के अनुसार केवल सीक्रेट बैलेट से दो तिहाई बहुमत से ही बाइलाज में संशोधन किया जा सकता है। बताया कि मेरे कार्यकाल में आम सभा के प्रस्ताव पर सीक्रेट बैलेट से बाइलाज में केवल वकालत करने वाले वकीलों को ही चिकित्सा सहायता योजना व मताधिकार देने का संशोधन पारित किया गया था। इसमें चिकित्सा सहायता पाने के लिए साल में कम से कम पांच केस दाखिला अनिवार्य किया गया था ताकि नियमित वकालत न करने वाले सदस्य बार से अनुचित आर्थिक सहायता न ले सकें और सही लोगों को मदद मिल सके। पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पाण्डेय ने कहा कि बाइलाज में संशोधन का अधिकार आम सभा को है। किंतु, दो तिहाई बहुमत की वोटिंग होनी चाहिए। सर्वसम्मति प्रस्ताव से संशोधन की बात व्यवहारिक नहीं लगती। बाइलाज के अनुसार आमसभा की सूचना सप्ताह भर पहले दी जानी चाहिए, इसका भी पालन नहीं किया गया।


फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर 25 से 29 तक बंद
बार एसोसिएशन इलाहाबाद द्वारा संचालित फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर 'शीतकालीन अवकाशÓ के दौरान सोमवार 25 से शुक्रवार 29 दिसंबर तक बंद रहेगा। यह जानकारी एसोसिएशन के संयुक्त सचिव (प्रेस) अमरेन्दु सिंह ने विज्ञप्ति में दी है।