प्रयागराज ब्यूरो । यूपीआरटीओयू के शिक्षा विद्या शाखा के तत्वावधान में सोमवार को मौलाना अबुल कलाम आजाद की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि मौलाना आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री थे जिन्होंने भारत को शिक्षित करने में पूरा योगदान दिया और उन्होंने शिक्षा के माध्यम से एक शिक्षित भारत बनाने का सपना देखा था उसी के अनुक्रम में अनेक शिक्षण संस्थाओ के विकास में अपना योगदान दिया। उनका सपना था कि सभी बच्चे शैक्षिक रूप से सक्षम होते हुए रोजगार परक शिक्षा प्राप्त करें और उसी के अनुक्रम में अपने जीवन यापन करते हुए देश व समाज के विकास में अपना योगदान दें।

शिक्षाविद व बेहतरीन लेखक भी थे

मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर धनंजय यादव, एयू ने

ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी , शिक्षाविद और बेहतरीन लेखक थे। मौलाना आजाद ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके कार्यकाल में विभिन्न साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी का गठन हुआ। इसके साथ ही उनके कार्यकाल में सांस्कृतिक संबंध परिषद भी स्थापित हुआ। प्रोफेसर यादव ने कहा कि आज नई शिक्षा नीति 2020 मूर्त रूप में है। सभी लोग सामूहिक जिम्मेदारी लेते हुए देश की शिक्षा नीति में अपना योगदान दें। मौलाना आजाद ने स्वतंत्र भारत के बाद शिक्षा नीति की जो बागडोर संभाली थी उसको आगे बढ़ाने के क्रम में प्रयास जारी है। इस अवसर पर कार्यक्रम के निदेशक प्रोफेसर पी.के। स्टालिन ने सभी अतिथियों का वाचिक स्वागत तथा कार्यक्रम की रूपरेखा एवं विषय प्रवर्तन परविंद कुमार वर्मा ने किया। संचालन डॉक्टर रविंद्र नाथ सिंह ने तथा संयोजक प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।