प्रयागराज (ब्यूरो)। 28 जुलाई को मांझे से हुई थी मौत सिविल लाइन एरिया के पत्रिका मार्ग पर होमगार्ड कार्यालय के समीप रहने वाली 36 वर्षीय मालती देवी के पति तीरथ नाथ उर्फ राजू की 28 जुलाई 2021 की शाम नए यमुना पुल पर पतंग के तेज धार वाले मांझे की चपेट में आने मौत हो गई थी। जबकि इस घटना में मालती देवी खुल घायल हो गई थी। वह बाइक से पति के साथ नैनी से घर लौट रही थी। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने बताया कि पति खुल्दाबाद बाल सुधार गृह में संविदा कर्मी थे। उनसे दो बेटे ऋषभ-सनी और बेटी मानसी है। वह ही घर एक अकेले कमाऊ-पूत थे। उनके चले जाने से घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। बच्चों की फीस तक जमा नहीं हो पा रही है। घर में दो वक्त की रोटी खाने के लिए लोगों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था। लेकिन घर की हालत को देखते हुए उनकी बुजुर्ग मां गुलाब कली ने शुरुवाती दौर में पैसे से मदद की। अब बेटी का घर चलाने के लिए बुजुर्ग मां लोगों के घरों में झाडू पोछा लगाने के साथ ही बर्तन धो रही है। ताकि बेटी का घर चल सके। दोनों बेटे व बेटी अभी नाबालिक है। बड़ा बेटा ऋषभ इंटर की पढ़ाई कर रहा है। वहीं दूसरे नंबर का बेटा आठवीं और सबसे छोटी बेटी मानसी कक्षा चौथी में पढ़ती है।

मुकदमा लिखा लेकिन नहीं मिला कातिल
रोते हुये मालती देवी बताती हैं कि कीडगंज थाने में 304ए का मुकदमा तो दर्ज हुआ। लेकिन कोई हल नहीं निकला। मुकदमा ठंडे बस्ते में है। पुलिस का कहना है कि आखिर किसको पकड़ लाऊ। उनके पति ने कोई बीमा तक नहीं कराए थे। जिससे कुछ मदद मिल सके। फिलहाल सिटी के अंदर सभी थानों से ज्यादा मांझे से मौत का मुकदमा कीडगंज थाने में दर्ज है। जिसमें से एक भी मुकदमा का निस्तारण से मरने वालों को कोई फायदा नहीं मिल पाया है। सिर्फ नाम की धारा रह गई है। किसी के लापरवाही के चलते किसी का परिवार पूरी तरह से सड़क पर आ जाये। लेकिन जिम्मेदार का कोई आता-पता नहीं है। इनके परिवार के लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में सिर्फ आदमी आंसू ही बहा सकता है। मगर मांझे को बनाने और बेचने वालों के साथ खरीदने वालों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती है।

बीमा का पैसा लेने में भी है कई पेंच
एलआईसी क्लेम डिपार्टमेंट के प्रबंधक शिवाकांत बताते हैं कि मांझे से कटने पर एक्सीडेंल में आता है। लेकिन कई कंडीशन भी है। पहली चीज बॉडी का पोस्टमार्टम के साथ एफआईआर मस्ट है। पुलिस को अपनी जांच रिपोर्ट में मौत का कारण मांझा लिखना होगा। तब जाकर बीमा का पैसा एक्सीडेंल रूप में मिलेगा। अन्यथा नार्मल डेथ माना जाएगा। शिवाकांत ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति का बीमा है और मांझा बनाने के दौरान मौत होती है। तो एक्सीडेंल नहीं माना जाएगा। उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर किसी व्यक्ति को अचानक सांप काट लें। एक्सीडेंल है। अगर कोई सांप के साथ फोटो ले या फिर खेलने की कोशिश करे या फिर पकडऩे की। इस दौरान मौत होती है तो यह मामला नार्मल डेथ में आयेगा। कोई भी खतरनाक चीज जिसको जानने के बाद भी टच करना या फिर बनाने के दौरान मौत होना। यह एक्सीडेंल में नहीं आता है। उनको सिर्फ जो बीमा का पैसा होगा। वहीं मिलेगा। एक्सीडेंल लाभ नहीं मिलेगा।