- दैनिक जागरण आई- नेक्स्ट के पड़ताल में सच आया सामने, ऑर्डर देने के बाद चोरी से उपलब्ध कराने को कह रहे दुकानदार

- दो से पांच सौ रुपये तक में खरीदा जा सकता है एक पुल्ला चाइनीज मांझा

PRAYAGRAJ: आसमां में ऊंचाई तय करती हुई पतंग, जिसकी डोर नीचे उड़ाने वाले के हाथों में। जैसी दिशा दे उस ओर उड़ चले पतंग और पेंच लड़ाकर दूसरे की पतंग काटने की वो खुशी। भाई चरखी दे ढील दो जल्दी-जल्दी। अमां लपेटना। घसीटने जा रहा हूं। बहुत तगड़ा पेच पड़ा है। तेजी से घसीटने के चक्कर में उंगली कट गई। पर आज उंगली के अलावा जिंदगी की डोर भी काट देता है ये धारदार व चाइनीज मांझा।

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने पड़ताल में

पाया कि प्रतिबंध के बावजूद चोरी-छिपे मार्केट में यह मांझा बिक रहा है। पांच सौ रुपये में धारदार व चाइनीज मांझा का एक पुल्ला मिल रहा है। लेकिन गुरुवार को एक व्यक्ति की मांझा से गला कटने से मौत बाद पुलिस की सख्ती रही। फिर भी ऑर्डर देने के बाद धारदार मांझा देने की बात दुकानदार कर रहे हैं।

प्रतिबंध है धारदार व चाइनीज मांझा

कई हादसे होने के बाद कोर्ट तक ने इन मांझा के बेचने पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी इसका धंधा बंद नहीं हो रहा है। जिले के अंदर तकरीबन एक साल में डेढ दर्जन से अधिक लोग मंझे की चपेट में आकर घायल हो चुके हैं। कइयों की जिंदगी तक चली गई है। बावजूद इसका क्रेज लोगों के सिर चढ़ा है। अपना फायदा देख रहे चंद दुकानदार अभी भी इसे बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं। दुकान पर खुलेआम नहीं बल्कि ऑर्डर देने पर दुकानदार चाइनीज व धारदार मांझा चोरी-छिपे उपलब्ध करा रहे हैं। पाबंदी के बाद भी मौत का सामान बेच रहे दुकानदारों को न ही कानून का खौफ है न ही लोगों की जिंदगी से प्यार। सूत्रों की माने तो सिटी के धूमनगंज के मुंडेरा, रामबाग, चौक, सोबतिया बाग, कीडगंज से लेकर कटरा तक की संकरी गलियों में कई दुकानों में चाइनीज मांझा मिल जाएंगे।

इन जगहों पर यह रहा आलम

1. गुरुवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट टीम ने खरीदार बनकर रामबाग और जानसेनगंज रोड स्थित दुकानों का हालात का जायजा लिया, जहां चोरी-छिपे उपलब्ध कराने की बात कही गई।

2. दुकानों के सामने तो रंग बिरंगी और आकर्षक पतंग रखी थी। ताकि ग्राहक आकर्षित हो जाएं। जब दुकान में प्रवेश किया गया तो धारदार व चाइनीज मांझा मांगा गया।

3. दुकानदार द्वारा पहले न बेचने की बात कही गई। बताया गया कि मेजा से सिर्फ पतंग और धारदार व मांझा ही लेने आए है। एक दो पीस नहीं बल्कि पंतग डेढ सौ पीस और दस बंडल धारदार मांझा चाहिए।

4. दुकानदार ने बताया गया आज सुबह से पुलिस बहुत आ रही है। किसी व्यक्ति की मांझा से गला कटने से मौत हो गई है। बड़ी हिम्मत करके दुकानदार ने एक पंद्रह साल के बच्चों को अन्य जगह से धारदार मांझा लाने के लिए कहा।

5. कुछ देर बाद पंद्रह साल का लड़का एक बंडल मांझा लाया।

लड़के ने खोला रेट का खेल

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा सामान कुछ पतंग व मांझा पैक कराने के बाद ऑनलाइन पेमेंट करने की बात कही। जिसपर कैश देने के लिए कहा गया। जिसके बाद एटीएम के बारे में रिपोर्टर ने पूछा। उन्होंने लड़के को साथ भेजा।

कुछ दूरी चलने के बाद रिपोर्टर ने लड़के से चाइनीज मांझा के बारे में पूछा। उसने पांच सौ रुपये में एक पुला में मिलने की बात कही। पूछा गया कि और कहां- कहां मिलता है। उसने बताया कि आज कहीं नहींमिलेगा। सुबह से पुलिस चेक कर रही है।

खतरनाक मांझा, खतरे में परिंदे और इंसान

चौक के स्थानीय निवासी और पतंगबाज कैलाश के मुताबिक अब पतंग के मांझों को मजबूत, धारदार बनाने के लिए कांच के बारीक टुकड़ों के इतर धातुओं अति सूक्ष्म कणों का भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसे गोंद की मदद से धागे पर चिपकाया जाता है या ये भी कह सकते हैं कि बारीक परत चढ़ा दी जाती है। जिसकी वजह से कई बार लोगों की उंगलियां कट जाती हैं और इस तरह के मांझे का बाजार में दाम भी अधिक होता है।