प्रयागराज ब्यूरो । शहर स्थित मेडिकल चौराहे के पास मनोविज्ञान शाला परिसर की जर्जर बिल्डिंग में एक अधेड़ की हत्या कर दी गई। उसके सिर और चेहरे पर कातिलों के द्वारा गंभीर वार किए गए थे। शुक्रवार की देर शाम उसकी बॉडी मिली तो लोग सन्नाटे में आ गए। थाना पुलिस और अधिकारी भागकर मौके पर पहुंचे। पुलिस द्वारा मौके का मुआयना किया गया। छानबीन में पाया गया कि मारे गए अधेड़ के पांव का एक शूज निकला हुआ था। सिर और चेहरे से निकला ब्लड जम गया था। बॉडी की कंडीशन से अनुमान लगाया गया कि उसकी हत्या गुरुवार रात की गई होगी। टार्च की रोशनी में गहन छानबीन के बाद पुलिस के द्वारा डॉग स्क्वायड व फोरेंसिक की टीम बुलाई गई। दोनों ही टीम के द्वारा घटना स्थल की गहन पड़ताल के बावजूद कातिलों का कुछ भी सुराग हाथ नहीं लगा। अधेड़ के कपड़ों की जेब में कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिससे उसकी पहचान हो सके। पुलिस बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेजकर देर रात तक मौत की उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने में जुटी रही। घटना कोतवाली थाना की है।

एक पांव का निकला हुआ था शूज
मेडिकल चौराहे से राम बाग जाने वाले फ्लाई ओवर के नीचे मनोविज्ञान शाला का कार्यालय है। गेट से अंदर प्रवेश करते ही उत्तर प्रदेश मिनिस्ट्रीरियल ऑफीसर्स एसोसिएशन का कमरा है। इसके पीछे दाहिनी ओर एक जर्जर जर्जर बिल्डिंग है। यह भवन इतना जर्जर है कि रात तो दूर कोई जाना उचित नहीं समझता। बताते हैं कि शुक्रवार रात मनोविज्ञान शाला के चौकीदार हीरा लाल के द्वारा जर्जर भवन के कमरे में पड़ी बॉडी को देखी गई। वह इस बात की खबर अपने अधिकारियों फिर पुलिस को दिया। बताया कि जर्जर भवन के कमरे में किसी की बॉडी पड़ी। यह सुनते ही कोतवाल व एसीपी कोतवाली मौके पर पहुंचे। पुलिस ने देखा तो मृतक अधेड़ के सिर व चेहरे से खून निकला हुआ था। उसके व चेहरे पर किसी वजनी चीज से पहुंचाई गई चोट के गंभीर जख्म थे। मारे गए अधेड़ के एक पांव से निकला हुआ शूज बॉडी के पास पड़ा था। एक सीमेंटेड पाइप के टुकड़े में भी ब्लड लगा हुआ था। पास में एक छोटी सी हेयर ऑयल की भी शीशी पड़ी हुई थी। क्राइम सीन इस बात की तरह इशारा कर रहे थे कातिलों से मृत ने बचाव के लिए संघर्ष किया था। जर्जर बिल्डिंग के पार्ट में अधेड़ की बॉडी मिली है उसमें जंगल की तरह झाडिय़ां हैं। रात तो दूर वहां दिन भी लोग जाने से बचते हैं। बॉडी की कंडीशन से एक बात तो तय है कि उसकी बेरहमी से हत्या की गई है। कातिल कौन हैं? इस सवाल का उत्तर तलाशने में जुटी रही द्वारा फोरेंसिक और डॉग स्क्वायड की टीम मौके पर बुलाई गई। तमाम कोशिशों के बावजूद मारे गए अधेड़ की पहचान नहीं हो सकी। चूंकि चेहरे और सिर से निकला ब्लड काफी हद तक सूख गया था। ऐसे में पुलिस द्वारा अनुमान लगाया गया कि उसकी हत्या गुरुवार की रात की गई होगी।

परिसर में ही घूमता रहा डॉग
जिस जर्जर बिल्डिंग में यह घटना हुई ही उसी के टीम सामने सीपीआई की भी बिल्डिंग है। मौके पर पहुंचा खोजी डॉग घटना स्थल यानी जर्जर भवन से लेकर उसी सीपीआई बिल्डिंग के आसपास मंडराता रहा। पुलिस को शक है कि कातिल या तो परिसर व आसपास का ही है या फिर परिसर में गाड़ी से बैठकर भाग गए हैं। यही वजह है कि डॉग सिर्फ बिल्डिंग के पास ही मंडरा रहा था। खैर पुलिस अब मनोविज्ञान शाला का खुद को चौकी दार बता रहा हीरे हीरालाल से भी पूछताछ की गई। वह बताया कि बॉडी देखने के बाद जानकारी अपने अधिकारियों को दिया। इसके बाद पुलिस को सूचना देने के लिए डॉयल 112 बार कॉल किया। जब फोन नहीं उठा तो वह किसी तरह जानकारी पुलिस तक पहुंचाया।

रहता है अंधेरा, चोरी हो गया गेट
मनोविज्ञान शाला का मेन गेट डेढ दो साल से ऊपर का समय हो गया बंद ही नहीं होता।
चौकीदार ने पुलिस को बताया कि गेट बंद होता था। लेकिन जब से परिसर में डीआईओएस दफ्तर आया वह लोग गेट की दूसरी चाबी बनवा लिए।
इसके बाद बंद होने के बाद भी वह लोग खोल लिया करते थे। डेढ़ दो साल हुआ चोर गेट ही चुरा ले गए।
चौबीसों घंटे रामबाग फ्लाई ओवर के नीचे स्थित मनोविज्ञान शाला का मुख्य गेट खुला रहता है।
परिसर में खण्डहर हुई बिल्डिंग और काफी झाड़ खंखाड़ है। इन सबके बावजूद मनोविज्ञान शाला परिसर व गेट के पास रोशनी का कोई प्रबंध हीं है।
कंडीशन ऐसी है कि अंधेरे का फायदा उठाकर कोई भी आराम से आ जा सकता है। चौकीदार अंदर की तरफ रहता है, लिहाजा रात में कौन आया और गया उसे भी नहीं मालूम चल पाता
बताते हैं कि यहां शाम होते ही नशेडिय़ों और अराजकतत्वों का जमावड़ा लग जाता है। कुछ महीने पहले यहां जुआडिय़ों का जमघट लगता था।

मनोविज्ञान शाला परिसर की जर्जर बिल्डिंग में एक अज्ञात अधेड़ की बॉडी मिली है। सिर और चेहरे पर चोट के निशान पाए गए हैं। बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया है। पहचान की कोशिश की जा रही है।
संतोष कुमार मीना, डीसीपी नगर