प्रयागराज (ब्यूरो)। राजेश मौर्या, ये नाम है उस ठग का जिसने डेढ़ सौ करोड़ रुपये की ठगी की। रकम डबल करने के नाम पर राजेश मौर्या ने पंद्रह हजार से ज्यादा लोगों को ठग लिया। ठगी का पर्दा उठने लगा तो राजेश के खिलाफ शिकायतें होने लगीं। थानों में केस दर्ज होने लगा। इसके बाद राजेश मौर्या फरार हो गया। अपनी पहचान छिपाने के लिए राजेश मौर्या ने सरदार का रूप बना लिया। राजेश को तलाश करके परेशान हो चुकी पुलिस को पच्चीस हजार रुपये का इनाम घोषित करना पड़ा। मगर वह पकड़ में नहीं आया। आखिरकार सफलता मिली एसटीएफ को। एसटीएफ ने राजेश को फतेहपुर से गिरफ्तार किया है।
मुंबई में सेल्समैन बना राजेश
फतेहपुर जनपद के थाना सुल्तानपुर घोष के खजुरियापुर का रहने वाला राजेश मौर्या मामूली किसान मंगल सिंह का बेटा है। इंटर पास राजेश परिवार पालने के लिए मुंबई चला गया। वहां पर वह सेल्समैन का काम करने लगा। राजेश मौर्या सेल्समैनी करते करते बातचीत में माहिर हो गया। 2006 में राजेश मौर्या अपने गांव लौट आया। गांव में वह आसपास के बच्चों को कोचिंग पढ़ाने लगा।
एनजीओ चलाने लगा
2008-9 में राजेश मौर्या ने चिट फंड सोसायटी से आरकेएम नाम से एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद आरकेएम सोसायटी के बैनर तले कोचिंग का धंधा बढ़ा दिया। कोचिंग में राजेश ने कई शिक्षकों को अप्वाइंट किया। इन शिक्षकों के जरिए उसने पैसा डबल करने की स्कीम शुरू की।
मानसरोवर में बनाया अपना आफिस
2010 में राजेश मौर्या ने लीडर रोड स्थित मानसरोव टाकिज के पास आरकेएम सोसायटी का आफिस बनाया। फिर इसके बाद दो साल में तीस का साठ हजार रुपये करने की स्कीम शुरू कर दी। देखते ही देखते राजेश ने सैकड़ों एजेंट फील्ड में उतार दिए। एजेंटों को मोटा कमीशन देना शुरू कर दिया। एजेंट के जरिए राजेश के के आफिस में पैसा इनवेस्ट करने वालों की लाइन लग गई।
बोनस का ऑफर
स्कीम में इनवेस्ट करने वालों को राजेश मौर्या हर तीसरे महीने बोनस भी देता था। जिससे लोगों का विश्वास आरकेएम सोसायटी पर बढ़ गया। महज छह महीना में राजेश ने यमुनापार के घूरपुर एरिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। जिन्हें भी बोनस मिला वह एजेंट बनने के लिए लाइन लगाने लगे।
चार जिलों में फैलाया बिजनेस
राजेश मौर्या ने प्रयागराज के अलावा मिर्जापुर, कौशांबी और फतेहपुर में भी अपना बिजनेस फैला दिया। अंदाजन पंद्रह हजार लोग राजेश मौर्या के बिजनेस में मेंबर हो गए।
2015 में समेटने लगा बिजनेस
करीब पंद्रह हजार मेंबर वाले बिजनेस को राजेश ने 2015 में समेटना शुरू कर दिया। 2010 से 15 के बीच राजेश मौर्या डेढ़ सौ करोड़ रुपये मार्केट से समेट चुका था। 2016 में अचानक राजेश गायब हो गया। इसके बाद उसके खिलाफ केस दर्ज होने लगे। राजेश के खिलाफ 2015 से 2020 तक राजेश के खिलाफ 11 मुकदमें दर्ज किए गए।
एक करोड़ रुपये कराया फ्रीज
2016 के आखिर में राजेश मौर्या की आरकेएम सोसायटी चर्चा में आ गई। मामला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंच गया। जिस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने राजेश का एक करोड़ रुपया फ्रीज करा दिया।
आठ साल से हो रही थी तलाश
प्रयागराज से फरारी के बाद राजेश ने दिल्ली में अपना ठिकाना बना लिया। राजेश मौर्या दिल्ली में राज सिंह बन गया। उसने अपना हुलिया बदल लिया। राजेश मौर्या सरदार के लुक में रहने लगा। दिल्ली में राजेश मौर्या उर्फ राज सिंह फर्जी आधार कार्ड और अन्य फर्जी आईडी बनवाकर यू ट््यूबर पत्रकार बन गया।
एसटीएफ ने पकड़ा
मामले की जांच कई साल पहले एसटीएफ को दी गई थी। एसटीएफ के सीओ शैलेष प्रताप सिंह और इंस्पेक्टर जेपी राय ने दारोगा रणेंद्र कुमार सिंह, कांस्टेबिल प्रभंजन पांडेय, रोहित सिंह, संतोष कुमार, किशन और अखंड प्रताप पांडेय की टीम बनाई। एसटीएफ की टीम को जरिए मुखबिर सूचना मिली कि राजेश मौर्या अपने गांव आया हुआ है। इस पर बुधवार सुबह टीम ने गांव के पास डेरा डाल दिया। बुधवार दोपहर में राजेश को उसके गांव के पास से एसटीएफ ने गिरफ्तार किया।
5 साल में किया 150 करोड़ का फ्रॉड
15 हजार लोग हुए फ्रॉड के शिकार
4 जिले में फैला लिया था बिजनेस
8 साल से चल रहा था फरार
25 हजार रुपये का घोषित था इनाम
1 करोड़ इनकम टैक्स ने किया है फ्रीज
11 ठगी के मुकदमे दर्ज हैं