प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान में गांधी संगत के अंतर्गत विशिष्ट व्याख्यान एवं प्रमाण पत्र वितरण प्रोग्राम का आयोजन मंगलवार को हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो। संतोष भदौरिया ने एक वर्ष में सम्पन्न गतिविधियों से अवगत कराया। बताया कि गांधी भवन में विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान पूरे वर्ष में करीब एक हजार से अधिक छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, शिक्षकों एवं नागरिक समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने गांधी संस्थान की पृष्ठभूमि और इसके महत्व को रेखांकित किया।

सत्य था गांधी के जीवन का मुख्य पक्ष
स्पेशल गेस्ट इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट की अध्यक्ष प्रो। किरण सिंह ने संस्थान की गतिशीलता के प्रति हर्ष प्रकट किया। चीफ गेस्ट वरिष्ठ गांधीवादी विचारक प्रो। मनमोहन कृष्ण ने गांधी को याद करते हुए, उनके जीवन के मुख्य पक्ष सत्य और उसके विविध पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने हम सभी को सत्य के परीक्षण पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने केवल तथ्य प्राप्त करने तक सीमित न रहकर उसके अन्वेषण पर कार्य करने पर जोर दिया। गांधी द्वारा निकाली गईं प्रमुख पत्रिकाओं - हरिजन, नवजीवन, यंग इंडिया का जिक्र करते हुए उन्होंने उनके अवलोकन की बात की। उन्होंने कहा की गांधी का जीवन हमारे सामने असीम संभावनाओं के द्वार खोलता है। गांधी का जीवन, विचार और कर्म आज हम सभी के लिए बेहद प्रासंगिक एवं प्रेरक हैं। जैसे गांधी दिनभर आजादी के आंदोलन आदि का संचालन करते और रात में आकर लेखन करते थे। उनका यह व्यापक और प्रासंगिक लेखन हम सभी को बहुत अचरज में डालता है, कि एक आदमी इतना सारा लेखन कैसे कर सकता है।

फील्ड वर्क के बाद ही बोलते थे गांधी
उन्होंने युवा पीढ़ी को संकेत दिया कि आप केवल गांधी के बारे में सुनने पर विश्वास न करें बल्कि स्वयं किताबों,पत्रिकाओं और उपलब्ध व्याख्यानों को सुनें। उन्होंने गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के उपदेश का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने गांधी को भारत में कोई भी काम करने से पहले पूरे देश का भ्रमण करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा की गांधी किसी भी सभा में बोलने से पहले फील्ड वर्क बहुत करते थे। बताया कि गांधी कहते थे कि जो व्यक्ति शारीरिक श्रम नहीं करता, उसका सीधा सा अर्थ है वह दूसरों के श्रम का दुरुपयोग करता है। दूसरों का शोषण करता है। हमें पर्याप्त श्रम करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि यदि पांच प्रतिशत लोग भी गांधी के जीवन, आदर्श और विचारों का अनुपालन सुनिश्चित करें तो यह गांधी समाज के लिए बहुत बड़ी सफलता होगी। उन्होंने कहा कि गांधी ने मनुष्य का पहला धर्म दूसरों की सेवा करने को माना।

प्रतिभागियों को बांटे प्रमाण पत्र
व्याख्यान के बाद गांधी सप्ताह के प्रतिभागी विजेताओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इसके बाद इस वर्ष गांधी सप्ताह के दौरान संस्थान में कबीर गायन एवं गांधी गीतों की प्रस्तुति करने वाले बरगद कला मंच के प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गए। संचालन संस्थान के असिस्टेंट प्रो। डॉ। तोषी आनंद एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ। सुरेंद्र कुमार ने किया। डॉ। राजेश सिंह, हरिओम कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी आदि उपस्थित रहे।