प्रयागराज ब्यूरो । अगर आप पेड़ पौधों के शौकीन हैं और हरियाली आपको पसंद है तो फिर आपके लिए ये सुनहरा मौका है। बारिश के मौसम में अपनी छत को हरा भरा बनाने का मौका है। थोड़ी सी मेहनत में अपनी छत या फिर घर में पड़ी खाली जगह को सुंदर बगीचे का रूप दिया जा सकता है। इसमें उद्यान विभाग की मदद ली जा सकती है। उद्यान विभाग मुफ्त में पौधे दे रहा है। कंपनी बाग स्थित उद्यान विभाग शहरियों के लिए ये सुविधा मुहैया करा रहा है।
घर पर तैयार कीजिए बोनसाई
बदलते वक्त के साथ अब बोनसाई का जमाना आ गया है। घरों में अब उतनी खाली जगह रह नहीं गई है। ऐसे में जगह केवल छत पर बचती है। जहां पर फलदार पेड़ों के पौधे लगाए जा सकते हैं। इन पौधों के बड़े होने पर इनकी बोनसाई बनाई जा सकती है। बोनसाई मतलब, बड़े पेड़ों को काट-छांट कर छोटे आकार में कर देना। बोनसाई में पौधों की उम्र तो बढ़ती रहेगी, मगर उनकी लंबाई चौड़ाई नहीं बढ़ेगी। इस तरीके से छत पर या घर में खाली पड़ी जगह पर ही फलदार पेड़ तैयार किए जा सकते हैं।
कम से कम एक पौध तो लगाइए
गर्मी आते ही मौसम को लेकर हायतौबा मच जाती है। वहीं, अक्सर हवा में प्रदूषण को लेकर चर्चा उठती ही रहती है। पौधरोपण के लिए सामाजिक संगठनों द्वारा समय समय पर अपील भी की जाती है। ऐसे में अपनी जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम एक पौधा तो जरुर लगाया जाए। ताकि प्रकृति का कुछ सहयोग हो सके। आखिर हम प्रकृति से सांस मुफ्त में लेते हैं तो फिर पेड़ या पौधे के रूप में प्रकृति को कुछ तो वापस करने की जिम्मेदारी हमारी बनती है।
निशुल्क मिल रहे पौधे
यूं तो पेड़ पौधों के शौकीनों की कमी नहीं है। तमाम ऐसे भी लोग हैं जो खुद एफर्ट करके नर्सरी से पौधे लाकर अपने घर को हरा भरा बनाए हुए हैं। ऐसे में निशुल्क पौधे मिल रहें तो फिर पीछे रहने की जरुरत नहीं। कंपनी बाग में गेट नंबर पांच के पास संतति पौधशाला है। यहां पर निशुल्क पौध वितरण की जिम्मेदारी प्रभारी सुरेश यादव को दी गई है। जबकि केंद्रीय पौधशाला की जिम्मेदारी पूजा कौ सौंपी गई है। इन दोनों जगहों पर नींबू, आंवला, अमरुद, करौंदा, अनार, जामुन, शरीफा और सहजन के पौधे उपलब्ध हैं। संतति पौधशाला के प्रभारी सुरेश यादव बताते हैं कि जुलाई माह में अब तक तमाम लोग पौधे ले जा चुके हैं।
जैसे जैसे लोगों को जानकारी हो रही है पौधे ले जाने वालों की संख्या बढ़ रही है।
ऐसे भी बन सकते हैं पर्यावरण मित्र
बारिश का मौसम शुरू होते ही चारों ओर पर्यावरण को बचाने के लिए हल्ला मच जाता है।
दो, चार, दस की संख्या में लोग इक_ा होकर अपने घर के आसपास खाली पड़ी जगहों पर या पार्क में पौधरोपण करते हैं।
मगर उसके बाद उन पौधों का क्या हुआ। इसकी चिंता नहीं करते। पौधे देखरेख के अभाव सूख जाते हैं या फिर जानवरों से उन्हें नुकसान पहुंचता है।
ऐसे में आप पर्यावरण मित्र बन सकते हैं। उद्यान विभाग से पौधों को लाकर उन्हें दो से चार महीना अपने घर में सुरक्षित रखकर थोड़ा बड़ा होने पर दूसरी जगह लगाया जा सकता है।
बड़े पौधों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। वे सर्वाइव कर जाते हैं। जबकि छोटे पौधों के खराब होने का डर रहता है।