प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) के संबंध में नियम बनाने के लिए राज्य सरकार को एक महीने का अतिरिक्त समय दिया है। महिला कांस्टेबल की तरफ से लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अजित कुमार ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने याची महिला को छूट दी है कि वह डीजीपी के आदेश में संशोधन के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। राज्य सरकार ने मामले में अनुपालन हलफनामा दाखिल करके बताया था कि याची की सेक्स चेंज संबंधी अर्जी निरस्त कर दी गई है। इसपर कोर्ट ने याची अधिवक्ता को इसी याचिका में संशोधन अर्जी दाखिल कर डीजीपी के आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी। अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी।
अर्जी पर उचित निर्णय लें
इलाहाबाद हाई कोर्ट में सेक्स रीएसाइनमेंट सर्जरी के लिए गुहार महिला कांस्टेबल नेहा सिंह ने लगाई है। इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में सेक्स रिएसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) के संदर्भ में राज्य सरकार को नियम बनाने के लिए भी कहा था। कोर्ट ने अगली तारीख तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा याची के लंबित आवेदन पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया था। यह अर्जी ही निरस्त कर दी गई है।
सेक्स रीएसाइनमेंट क्या है
जब कोई पुरुष महिला जैसा या महिला पुरुष जैसा महसूस करने लगते हैं, तो वह सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी यानी लिंग परिवर्तन की मदद लेते हैं।
लिंग परिवर्तन के लिए आपरेशन के कई लेवल होते हैं। प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलती है।
महिला से पुरुष बनने के लिए करीब 32 तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
जिन लोगों को जेंडर डायसफोरिया होता है, वो इस प्रकार का आपरेशन कराते हैं।
इसमें लड़का तो लड़की और लड़की भी लड़के की तरह जीना चाहती है।
कई में 12 से 16 वर्ष के बीच जेंडर डायसफोरिया के लक्षण शुरू हो जाते हैं, लेकिन समाज के डर की वजह से ये अपने माता-पिता को इन बदलावों के बारे में बताने से डरते हैं।
पुरुष से महिला बनने में 18 चरण होते हैं.
सर्जरी को करने से पहले डाक्टर देखते हैं कि लड़का और लड़की इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं या नहीं।
इसके लिए मनोरोग विशेषज्ञ की सहायता ली जाती है। इसके बाद इलाज के लिए हार्मोन थेरेपी शुरू की जाती है।
जिस लड़के को लड़की वाले हार्मोन की जरूरत है वो इंजेक्शन और दवाओं के जरिए उसके शरीर में पहुंचाया जाता है।
इंजेक्शन के तीन से चार डोज के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं, फिर इसका प्रोसीजर शुरू किया जाता है।
इसमें पुरुष या महिला के प्राइवेट पार्ट और चेहरे का आकार बदला जाता है।
महिला से पुरुष बनने वाले में पहले ब्रेस्ट को हटाया जाता है और पुरुष का प्राइवेट पार्ट डेवलप किया जाता है। पुरुष से महिला बनने वाले व्यक्ति में उसके शरीर से लिए गए मांस से ही महिला के अंग बना दिए जाते हैं।
इसमें ब्रेस्ट और प्राइवेट पार्ट शामिल होता है। ब्रेस्ट के लिए तीन से चार घंटे की सर्जरी करनी पड़ती है।
सर्जरी चार से पांच महीने के गैप के बाद ही की जाती है।