होली पर्व पर सजे बाजार, इस बार 'मेक इन इंडिया पिचकारी' की मांग

- फूल की पत्तियों वाला रंग भी मार्केट में उपलब्ध, मॉल शॉर्टेज के चलते दाम बढ़ने का आसार

मार्केट में कोरोना गन के साथ चटाई पिचकारी, स्मोक गन और हर्बल रंग की बौछार

PRAYAGRAJ: होली पर बाजारों में रंग और पिचकारियों की झलक दिखनी शुरू हो गई है। शहर के मुख्य बाजार होली के सामानों से सज गए हैं। इस बार होली के लिए मार्केट में मेक इन इंडिया पिचकारी व रंगों की मांग है। चीनी आइटम बाजारों से गायब है। दुकानदार बताते हैं कि बच्चों को होली पर रंगों के साथ-साथ पिचकारियां ज्यादा भाती हैं। इसलिए उनकी मांगों पर रंगीन पिचकारियां मंगाई गई हैं। वहीं अलग-अलग रंग के गुलाल भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हैं।

मार्केट में इस बार सबसे ज्यादा कोरोना गन को पसंद किया जा रहा है। दुकानदारों की माने तो मांग अधिक होने से दाम बढ़ने के आसार हैं।

धमाके के साथ रंग का अहसास

मार्केट में दीपावली के पसंदीदा पटाखे मसलन चटाई, स्मोक गन, बम, होली धमाल जैसे धमाके वाले आइटम उपलब्ध हैं। हर्बल रंगों का भी बौछार है। झटके से दिखने पर लोग धोखा तक खा सकते हैं। पटाखों की शक्ल वाले हूबहू दिखने वाले देशी आइटम से मार्केट सजी पड़ी है। चटाई, स्मोक गन, बम से दिखने वाली इन पिचकारियों से रंग और गुलाल निकलता है। चंद पलों में वातावरण को रंगीन और खुशबूदार बना देता है। 80 से 110 रुपये तक की स्मोक गन नेहरूक्रास, नादानमहल रोड के बाजारों में अपनी मौजूदगी की धमक का अहसास करा रही हैं। गुलाबी, लाल और पीले रंग का धुआं लोगों को आकíषत कर रहा है। धमाके के साथ रंग का अहसास कराती चटाई का जलवा अलग है। लॉलीटॉप या फिर 70 रुपये के चार पीस वाला गुलाल बम एवं होली धमाल की डिमांड गांवों से आ रही है। मार्केट में मॉल शॉर्टेज के चलते पिचकारी से गुलाल तक के दामों में उछाल आया है।

फूल की पत्तियों का हर्बल रंग

मार्केट भी तरह-तरह की वैरायटी से रंगीन है। फूल की पत्तियों से बना आकर्षक पैकिंग वाला हर्बल रंग लोगों को इस बार भाएगा। वहीं महीने के आखिर में आ रहे त्यौहार के लिए थोक बाजार में ग्राहकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। बीते साल के मुकाबले इस बार पिचकारी से लेकर गुलाल तक के दामों में तेजी नजर आ रही है। हालांकि रंग पर महंगाई की रंगत नहीं है। मंहगे पेट्रोलियम पदार्थो के कारण प्लास्टिक महंगा होने से पिचकारी महंगी हो गई है।

तोता आर्गेनिक के अलावा महंगा रंग भी मार्केट में आ गया है। इस बार ड्रैगन नहीं इंडिया का जलवा कायम हुआ है। चीनी आइटम नहीं देशी पिचकारियों से बाजार पटा है। गुलाल गन लोग ज्यादा पंसद कर रहे हैैं। जिसका दाम 200 से 300 रुपये है।

महेश कुमार फुटकर विक्रेता

जहां अच्छी और बड़ी चीनी पिचकारियों की शुरुआत 550 से लेकर हजार रुपये तक होती थी। इस बार देशी पिचकारियां मार्केट में नए डिजाइन के साथ मौजूद हैं। काफी सस्ती हैं। बच्चे सेफ्टी टैंक वाली पिचकारी ज्यादा पंसद कर रहे हैं। रेट में बीस परसेंट की बढ़ौतरी आई है।

कादीर थोक विक्रेता

देश में तैयार हुई पिचकारियों की गुणवत्ता अधिक है। स्वदेशी पिचकारियों के दाम थोड़ा अधिक है। अभी मार्केट में वाटर टैंक पिचकारी, स्प्रे, स्प्रिंकलर्स, गुलाल गन, साधारण पिचकारी लोगों को बहुत पसंद आ रही है। वाटर टैंक पिचकारी की कीमत 500 से लेकर एक हजार रुपये तक है।

पंकज जायसवाल थोक विक्रेता