प्रयागराज ब्यूरो ।बच्चों की उम्र चाहे जितनी भी हो जाए पर वो अपने मम्मी पापा के लिए बच्चे ही रहते हैं। ऐसे में अगर आपका बेटा या बेटी बाइक या स्कूटी से चलते हैं तो फिर जिम्मेदारी मम्मी पापा की भी बनती है कि वे ध्यान दें, कहीं उनके बच्चे बगैर हेलमेट तो घर से नहीं निकल रहे। क्योंकि सड़क हादसे किसी के सगे नहीं होते। हादसे किसी के साथ भी हो सकते हैं। सड़क हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। बावजूद इसके लोग संभल नहीं रहे हैं। ऐसे में बच्चों के मम्मी पापा को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। वरना हादसे जिंदगी भर का दर्द दे जाते हैं। कभी न भूलने वाला जख्म दे जाते हैं।
बगैर हेलमेट गंवा दी जान
नवाबगंज एरिया के जगदीशपुर सराय रामदास का रहने वाला शिवराज पटेल (20) एक पैथालॉजी में काम करता था। पिछले बुधवार की शाम को वह अपने दो दोस्तों राहुल मौर्य और विपिन मौर्य के साथ प्रतापगढ़ के सकरदहा में एक दावत में गया था। लौटते वक्त रात हो गई। रात करीब साढ़े बारह बजे वह तीनों बाइक से कौडि़हार पहुंचे थे। वहां पर शिवराज पटेल की बाइक सामने से आ रही एक ट्रक से टकरा गई। बाइक शिवराज पटेल चला रहा था। बाइक टकराते ही गिर गई। तीनों सड़क पर जा गिरे। विपिन और राहुल को शरीर में चोट आई मगर शिवराज पटेल का सिर फट गया। उधर से गुजर रहे राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस तीनों को हॉस्पिटल ले गई। मगर तब तक देर हो चुकी थी। आरबी पटेल की सांसें थम चुकी थी। उसकी मौत की सूचना घर पहुंची तो कोहराम मच गया।
बुलट सवार शिक्षा मित्र की मौत
हंडिया थाना क्षेत्र के असवा दाउदपुर गांव के रहने वाले सुखराज बिंद (45) शिक्षा मित्र थे। वह शाम को बुलट से बाजार जा रहे थे। गांव से बाहर निकलते ही मेन रोड पर बुलट और सामने से आ रही पिकअप में जोरदार टक्कर हो गई। सुखराज बुलट लेकर सड़क पर गिर पड़े। हादसे में सुखराज की मौत हो गई। घर पर सूचना पहुंची तो परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
रिटायर्ड दरोगा के बेटे की हो गई मौत
गोविंदपुर कैलाशपुरी के रहने वाले कालका प्रसाद मिश्रा रिटायर्ड दरोगा हैं। उनके बड़े बेटे प्रमोद मिश्रा जनरल इंश्योरेंस कंपनी में मैनेजर थे। बीते शनिवार की रात करीब दस बजे वह बालसन चौराहा जा रहे थे। चौराहे पर ही उनकी बाइक में ई रिक्शा से टक्कर हो गई। वह सड़क पर गिरते ही होश खो बैठे। प्रमोद ने हेमलेट नहीं लगा रखा था। उनके सिर में गहरी चोट लगी। उधर से गुजर रहे राहगीर उन्हें पास के निजी अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने चेकअप किया तो उनकी जान जा चुकी थी। प्रमोद के घर घटना की सूचना पहुंची तो कोहराम मच गया। रोते बिलखते परिजन भागे। परिवार में पत्नी वीणा, बेटी परी और पीहू हैं। बेटा लड्डू अभी दस महीने का है।
कम उम्र के बच्चे भर रहे फर्राटा
मोहल्लों में और सड़क पर कम उम्र के बच्चे बाइक और स्कूटी से फर्राटा भर रहे हैं। बच्चों पर अंकुश लगाने का काम उनके गार्जियन का है। मगर गार्जियन भी लापरवाह बन जा रहे हैं। जिसका नतीजा है कि बच्चे खुद की जान के दुश्मन बन जा रहे हैं। खुद तो जान गवां दे रहे हैं, गार्जियन को जिदंगी भर का दर्द दे जा रहे हैं।
ब्रांड का खरीदें हेलमेट
बाजार में तरह तरह के हेलमेट उपलब्ध हैं। सड़क किनारे से लेकर शोरूम तक में हेलमेट बिक रहे हैं। पैसे बचाने के चक्कर में लोग बगैर आईएसआई मार्क का हेलमेट खरीद ले रहे हैं। जिसका नतीजा होता है कि हादसा होने पर बगैर ब्रांड के हेलमेट टूट जाते हैं। जिससे गहरी चोट की संभावना रहती है। इसके बावजूद लापरवाही जारी है।
एक्सीडेंट में टूट जाता है हाथ पैर
जीवन अनमोल है। मगर ये बात तब समझ आती है जब हादसा हो जाता है। लापरवाही से वाहन चलाने पर जान अगर बच भी जाय तो हाथ पैर टूट जाता है। जिससे रूटीन ब्रेक हो जाता है। हाथ पैर ठीक होने में लंबा समय लग जाता है। कभी कभी हाथ पैर की हड्डियां ठीक नहीं हो पाती हैं। जिसका खामियाजा सारी जिंदगी भुगतना पड़ता है।
बिगड़ जाता है घर का बजट
बच्चों की खुशी के लिए उन्हें बाइक या स्कूटी तो दिला दी जाती है। मगर बच्चों की लापरवाही से अगर उन्हें चोट लग जाती है तो घर का बजट बिगड़ जाता है। पता चला कि पूरा घर एक्सीडेंट में घायल मरीज की तीमारदारी में ही परेशान है। ऊपर से अस्पताल का खर्च अलग से परेशान कर देता है।
बगैर हेलमेट न निकलने दें घर से
गार्जियन की जिम्मेदारी बनती हैं कि वे केवल अपने बच्चों का शौक न पूरा करें। बल्कि पर सख्ती भी करें। घर से बाइक या स्कूटी लेकर बच्चे निकल रहे हैं तो उन्हें हेलमेट के लिए जरुर टोंके। अगर बच्चे बगैर हेलमेट जाने की जिद करें तो उन पर सख्ती करें। बच्चों की मामूली सी लापरवाही आपके के लिए सिरदर्द हो सकती है।
बगैर हेलमेट गवां दी जान
जनवरी-14 एक्सीडेंट
फरवरी-20 एक्सीडेंट
मार्च- 19 एक्सीडेंट
अप्रैल- 22 एक्सीडेंट
मई- 27 एक्सीडेंट
जून- 17 एक्सीडेंट
जुलाई- 29 एक्सीडेंट
पुलिस की सख्ती का भी असर नहीं
हेलमेट के लिए पुलिस सख्ती करती है। ट्रैफिक पुलिस चालान करती है। इसके बाद भी लापरवाही समझ से परे है। लोग चेकिंग होते देख वापस लौट लेते हैं। ये समझदारी तब किसी काम की नहीं रह जाती है। जब हादसा हो जाता है।
हादसा किसी के साथ भी हो सकता है। व्यस्त टै्रफिक की वजह से बगैर हेलमेट हादसा होने पर जान जा सकती है। आए दिन हेलमेट की वजह से लोग हादसे में जान गंवा देते हैं। इसके बाद भी लोग लापरवाही करते हैं। ये ठीक नहीं है।
अमित सिंह, टीआई, यातायात विभाग
इन बातों का रखें ख्याल
-बिना हेलमेट दोपहिया वाहन न चलाएं
-दोपहिया वाहन पर तीन सवारी न चलें
-चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाएं
-ईयरफोन लगाकर और ओवर स्पीड में वाहन न दौड़ाएं
-आगे जा रहे वाहन को दाएं तरफ से ही ओवरटेक करें
-कहीं मुडऩे के लिए इंडीकेटर का प्रयोग करें