- मेगा वैक्सीनेशन ड्राइव में नंबर वन बना रहा प्रयागराज

- इसके बाद अचानक डाउन हुए आंकड़े, स्लॉट बुकिंग कराना है सबसे बड़ी समस्या

प्रयागराज- कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले लोग वैक्सीनेशन करा लेना चाहते हैं। यही कारण है कि लोग बड़ी संख्या में रोजाना वैक्सीनेशन सेंटर्स पर पहुंच रहे हैं। लेकिन अफसोस की उन्हें

निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। दरअसल हकीकत तो यह है कि सरकार के पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है। बावजूद इसके वाहवाही लूटने के लिए तीन अगस्त को मेगा वैक्सीनेशन ड्राइव का आयोजन किया गया। जिसमें प्रयागराज नंबर वन बना लेकिन इसके बाद पर्याप्त वैक्सीन नही मिलने से अचानक ग्राफ नीचे आ गया।

रिकार्ड बनाने के लिए बनाए नौ गुना सेंटर

किस तरह से एक दिन में रिकार्ड बनाने के लिए नौ गुना सेंटर जिले में बनाए गए और कैसे 86 हजार वैक्सीन उपलब्ध कराई गई। जिसके चलते 3 अगस्त को इतिहास रचा गया। इसके पहले दो अगस्त को कुल 44 सेंटर में वैक्सीनेशन हुआ था और इस दिन 12892 लोगों का टीकाकरण किया गया। जबकि तीन अगस्त को मेगा ड्राइव चलाई गई और इस दौरान 383 सेंटर बनाए गए और 90483 लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया जो प्रदेश में सर्वाधिक रहा। वहीं चार अगस्त को एक बार फिर 44 सेंटर पर वैक्सीनेशन करवाया गया और 10336 लोगो ंने वैक्सीनेशन करवाया। यही हाल बाकी दिनों का भी रहा है।

सब दिन क्यों नहीं मिलती वैक्सीन

सब दिन जिले को पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए तो तस्वीर बदल सकती है। बता दें कि शासन ने एक दिन के वैक्सीनेशन के लिए जिले को 86000 वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराई है। जबकि आम दिनों में अधिकतम 15 हजार डोज ही उपलब्ध रहती है। ऐसे में मजबूरन स्वास्थ्य विभाग को 44 सेंटर बनाने पड़ते हैं। अगर वैक्सीन पर्याप्त रहे तो प्रतिदिन 20 से 25 हजार को वैक्सीनेट किया जा सकता है। लेकिन शासन की ओर से वैक्सीन की अधिक डोज नहीं दी जा रही है।

स्लॉट बुक कराने के बाद भी निराश

आसानी से स्लॉट बुक नहीं होता और यह भी बड़ी समस्या है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो बुकिंग नहीं होने पर भटक रहे हैं। उनका कहना है कि कोविन पोर्टल में सभी सेंटर के स्लॉट भरे हुए नजर आते हैं। संडे को ही स्लॉट खाली मिलते हैं।

ऐसे होता है ग्राफ में उतार चढ़ाव

दिन सेंटर वैक्सीनेशन की संख्या

दो अगस्त 44 12852

तीन अगस्त 383 90483

चार अगस्त 44 10376

पांच अगस्त 9 3568

छह अगस्त 44 10916

सात अगस्त 13 7945

दूसरी डोज के लिए परेशान

ऐसा नहीं है कि लोग स्लॉट नहीं मिलने से पहली डोज के लिए परेशान हैं। इसी तरह से वैक्सीन की कमी से दूसरी डोज लगवाने वाले भी परेशान है। लगातार उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। जिनका कोवैक्सीन लगी है वह 21 दिन में दूसरी डोज लगवाते हैं जबकि कोविशील्ड लगवाने वालों को 84 दिन का अंतर रखना पड़ता है। लेकिन वैक्सीन की कमी इस पर भारी पड़ रही है।

वर्जन

स्लाट बुक कराना आसान नहीं है। संडे को कुछ देर के लिए स्लॉट मिलता है और चूक गए तो फिर लंबा इंतजार करना होता है।

नीरज

कभी-कभी रात बारह बजे के बाद स्लॉट खाली मिलता है लेकिन तब तक कौन जागेगा। पहली डोज लगवाने वालों को राहत देनी चाहिए।

नितिन पटेल

सरकार को कुछ इंतजाम करना चाहिए। कम से कम वैक्सीनेशन को सरल बनाना होगा। जैसे यह लोग मेगा ड्राइव में करते हैं।

रिषभ

वैक्सीनेशन को पूरी तरह से वाक इन कर देना चाहिए। जिससे दूसरी डोज हो या पहली आसानी से लोगों को लग जाए।

कभी तो बिना स्लॉट लगा देते हैं और कभी सेंटर से वापस कर दिया जाता है।

वैक्सीनेशन को काफी अनियमित बना दिया गया है।

विशु

अगर हमे पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन मिल जाए तो सेंटर की संख्या बढ़ाई जा सकती है। लेकिन जितनी वैक्सीन एलॉट होती है उतना ही वैक्सीनेशन कराया जाता है।

डॉ। तीरथ लाल, एसीएमओ व वैक्सीनेशन प्रभारी प्रयागराज