खाद्य एवं आपूर्ति प्रशासन विभाग ने लाल हरे रंग वाले सामानों के प्रति किया आगाह
होली इसी सप्ताह में है। तैयारियां पूरे शवाब पर हैं। मार्केट भी तैयार है। पब्लिक को अट्रैक्ट करने के लिए चिप्स पापड़ की इतनी वेराइटी मौजूद है कि जी ललचाए और पब्लिक कन्फ्यूज हो जाए। डिफरेंट कलर में पापड़, चिप्स दूर से ही पब्लिक का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। कलरफुल पापड़ और चिप्स के साथ इससे मिलते-जुलते आइटम सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इसका कारण कलर मिक्चर का स्टैंडर्ड फॉर्मूला एडाप्ट न करना है। फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने पब्लिक को इसके लिए अवेयर करना शुरू कर दिया है।
100 पीपीएम है सुरक्षित
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का कहना है कि खाद्य पदार्थो में 100 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) रंग सुरक्षित माना गया है। लेकिन, इसे नापने का पैमाना क्या होगा यह न तो आम जनता जानती है न ही वह कारीगर जो मिठाइयों समेत विभिन्न खाद्य पदार्थो में लाल, हरे, नीले रंग का मिश्रण करते हैं। कारीगर कच्ची सामग्री में रंग उडे़ल तो देते हैं ताकि खाद्य पदार्थ रंगों के मामले में चटख हो जाए और ग्राहक बाजार की ओर आकर्षित हो लेकिन, उन्हें यह अनुभव नहीं होता कि रंग मिलाना कितना है? अनजाने में कारीगर 100 पीपीएम की बजाए 150 या 200 पीपीएम तक रंग मिला देते हैं। खाद्य पदार्थो में अक्सर बड़े उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले रंगों का ही इस्तेमाल होता है। फुटकर बाजार में यह रंग सस्ते मिल जाते हैं और आम जनता को यह नहीं पता होता कि पापड़, चिप्स, कचरी, मिठाइयां बन कहां रहे हैं।
होली रंगों का त्योहार है। रंगों से खेले जरूर लेकिन रंग खाने से परहेज करें। खाद्य रंग वैसे तो खाने के इस्तेमाल के लिए ही हैं लेकिन, इतनी मात्रा में न खाएं कि शरीर में इससे कोई जानलेवा बीमारी हो जाए। ज्यादा चटख रंगों वाले खाद्य पदार्थ खरीदने से परहेज करें।
केके त्रिपाठी
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी