प्रयागराज (ब्यूरो)। यमुना किनारे स्थित श्रीमनकामेश्वर मंदिर में सावन माह में सोमवार को रुद्राभिषेक नहीं किया जाता है। क्योंकि इस दिन बहुत अधिक भक्तों की भीड़ होती है। मंदिर के पुजारी धरानंद कहते हैं कि एक रुद्राभिषेक करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है। एक दिन में अधिकतम 15 से 20 ही अभिषेक हो पाते हैं। भक्तों को पहले से इसके लिए सूचना देनी होती है। वह कहते हैं कि एक रुद्राभिषेक में तीन हजार रुपए शुल्क लिया जाता है। इसमें सामग्री और पुजारी की दक्षिणा सम्मिलित होती है।
एक साथ पांच लोग
अरैल स्थित श्रीसोमेश्वर महादेव मंदिर में सावन माह में जबरदस्त भीड़ होती है। सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक भक्तों के आने का तांता लगा रहता है। मंदिर के प्रधान पुजारी शैलपुरी कहते हैं कि मंदिर प्रांगण में एक साथ पांच लोग रुद्राभिषेक कर सकते हैं। हमारे ऐसी कोई फीस निर्धारित नही है। सामग्री मंदिर प्रांगण से ली जा सकती है और पुजारी को 250 से 300 रुपए देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सावन में रुद्राभिषेक कराने का बड़ा महात्म्य है। इससे बड़ा पुण्य प्राप्त होता है।
सहायता कोष में दो फीसदी
दरियाबाद के तक्षकतीर्थ स्थल में सावन में माह बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में नागपंचमी पर्व पर विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारी रविशंकर बताते हैं कि हमारे यहां रुद्राभिषेक कराने का कुल 2100 रुपए लिया जाता है और इसमें सामग्री हम उपलब्ध कराते हैं। इस बार हमने फैसला किया है कि इस आय का दो फीसदी हम पुलिस सहायता सेवा कोष में देंगे। क्योंकि जिस तरह से सामाजिक वातावरण बदल रहा है उसमें पुलिस आम जनता के लिए रक्षाकवच का काम कर रही है। इसलिए उनकी सहायता की जाएगी।
भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं लोग
श्रंगवेरी मठ के पीछे मोरीगेट स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भी सावन माह में भव्य पूजन अनुष्ठान होते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार विराजमान है। स्वयं भगवान शंकर, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, भगवान गणेश सहित हनुमानजी और नवग्रह मौजूद हैं। तीर्थपुरोहित मधु चकहा बताते हैं कि मंदिर में बड़ी संख्या में सावन माह में रुद्राभिषेक होते हैं।
एक साथ सौ से अधिक लोग करते हैं अभिषेक
दारागंज स्थित श्रीशंकर विमान मंडपम में एक साथ सौ से सवा सौ लोग रुद्राभिषेक करते हैं।
यहां सामूहिक रुद्राभिषेक और संकल्प लिया जाता है।
पुजारी रमणी शास्त्री कहते हैं कि इस बार सावन में तीन सोमवार और दो प्रदोष हैं।
इसलिए रुद्राभिषेक कराने वालों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
लोगों को पहले से बुकिंग करानी होगी। हमारे यहां एक बार रुद्राभिषेक कराने का निर्धारित शुल्क 350 रुपए है।
दक्षिणा के लिए लोग अलग अलग संकल्प लेते हैं। सावन में मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
सोमवार को बंद रहता है अरघा पट
पडि़ला महादेव शिव मंदिर में सावन के सभी सोमवार को श्रद्धालुओं की इतनी अधिक भीड़ होती है कि अरघा वाला पट बंद रखा जाता है। प्रधान पुजारी सच्चिदानंद व्यास कहते हैं कि सोमवार को रुद्राभिषेक नही कराया जाता है। बाकी दिनों में एक से दो दिन पहले सूचना देकर रुद्राभिषेक कराया जा सकता है। रुद्राभिषेक पूजन सामग्री सामने की दुकानों पर मिल जाती है, श्रद्धालुओं को अपने साथ केवल दूध, दही और फल लाना होता है।
हर रुद्राभिषेक का है अपना महत्व
भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व माना जाता है। इस अनुष्ठान को करने से दरिद्रता, दुख, विकार आदि नष्ट हो जाते हैं और श्रद्धालु का जीवन सुख-समृद्धता से भर जाता है। शिवालयों में श्रद्धालु अलग अलग सामग्री से रुद्राभिषेक करते हैं। इसमें सुख शांति और संतान के लिए दूध, सुख-संपत्ति के लिए गन्ने का रस, मन की शांति के लिए गंगाजल, आरोग्य और धन के लिए शहद और रोग निवारण के लिए कुशोधक से रुद्राभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही सावन माह के पहले कृष्ण पक्ष में कम रुद्राभिषेक होते हैं लेकिन अगले शुक्ल पक्ष में बहुत अधिक संख्या में रुद्राभिषेक किया जाता है।