प्रयागराज (ब्यूरो)। कोरोना की वजह से तीन साल बाद भक्तों को नवरात्र में देवी स्वरूप कन्याओं को भोजन कराने का मौका मिला। नवरात्र की अष्टमी को व्रत रखकर भक्तजन मां की आराधना किए। कन्या को भोजन कराने के बाद भक्तों द्वारा उन्हें यथा शक्ति दान दक्षिणा भी दिया गया। पूरे नौ दिनों का व्रत रखने वाले भक्तजन नवमी को एवं दशमी को कन्या भोजन व हवन एवं देवी पूजन के बाद पारण करेंगे। अष्टमी पर देवी दर्शन के लिए भोर से ही मंदिरों में तांता लगा रहा। मां के जयकारे से पूरा क्षेत्र गूंजता रहा। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके तमाम भक्तों ने मां की पूजा की। अष्टमी पर मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की गई। भक्तों की आस्था व सेवा भाव और चढ़ाए गए मिष्ठान एवं फल फूल ग्रहण कर देवी स्वरूप बालिकाएं प्रसन्नचित्त मुस्कुराती रहीं।

घर से मंदिर तक हुई मां की आराधना
आदि शक्ति मां भवगवती की आराधना का पर्व नवरात्र आखिरी पड़ाव पर है। शनिवार को नवरात्र के अष्टमी पर्व पर सनातन धर्मावलंबियों में गजब का उत्साह रहा। भोर से ही गंगा व संगम घाट पर स्नान के लिए भक्तों की भीड़ लग गई। लाखों करोड़ों मां के भक्त घर ही स्नान के बाद भगवती की आराधना किए। देवी मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार शाम तक लगी रही। करुणामयी मां के दर्शन के बाद लौटे भक्तजन घर पर भी हवन और पूजन किए। मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन किया गया। करोना संक्रमण के चलते 2019 से नवरात्र में भक्तजन मंदिरों में मां के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। महामारी के प्रकोप को देखते हुए अभिभावक बालिकाओं को कन्या भोज में भेजने से खौफ खा रहे थे। भक्तजन भी उनकी सुरक्षा को लेकर कन्या भोजन कराने व उन्हें घर एवं मंदिर बुलाने से कतराते रहे। वर्ष 2020 व 2021 में भी कोराना का प्रकोप जारी रहा। इस तरह तीन साल बाद 2022 में भक्तों को खुलकर देवी पूजन का मौका मिला। मां की कृपा से मौका मिला तो भक्तजन देवी की आराधना में पीछे नहीं रहे। लाखों लोग अष्टमी तिथि पर मां की पूजा अर्चन के बाद कन्या पूजन और भोजन कराए। इसी के साथ वह मां से भूलचूक व क्षमायाचना भी किए। पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने वाले लोग नवमी रविवार व दशमी सोमवार को भी विधि विधान से मां की पूजा अर्चन व हन के बाद कन्या भोज कराकर व्रत का पारण करेंगे।

श्रीराम का मनाएं प्राकट्य उत्सव
पुरोहित बताते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर रविवार को प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। आचार्य पं। विमल मिश्र बताते हैं कि भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि व कर्क लग्न एवं पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। रविवार को सुबह 11.43 से शुरू होकर 2.01 बजे तक कर्क लग्न रहेगा। बताया कि इस बीच कर्क राशि में चंद्रमा का संचरण भी होगा। पुष्प नक्षत्र लगने से रविपुष्प योग का दुर्लभ संयोग भी बनरहा है। यही वजह शुभ मुहूर्त है जब भगवान श्रीराम का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। इस अवधि में तुलसी की पत्ती, कमल का पुष्प अर्पित करके भगवान श्रीराम की पूजा करें। फल का भोग और श्रीरामचरितमानस के बालकांड अथवां रामरक्षास्तोत्रम् कापाठ करना नहीं भूलें। इससे भगवान श्रीराम के साथ हनुमानजी की भी कृपा बनेगी। ध्यान रहे कि भगवान श्रीराम की पूजा के वक्त चित्त एकाग्र और मन शांत रहे।