संगम तट पर सांस्कृतिक उत्सव में बही सुरों की रसधारा

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PRAYAGRAJ: संस्कार भारती के सांस्कृतिक उत्सव 'अवलोकन तीरथराजु चलो रे' में संडे की शाम सुरों और डांस परफार्मेस के विविध रूप को समाहित करती दिखी। कार्यक्रम के दौरान त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, कश्मीर और असम के लोक कलाकारों ने दी खूबसूरत नृत्य की प्रस्तुतियां। वहीं सिटी के गायक के मधुर गीतों ने पूरे माहौल को भक्ति से भर दिया। संडे को कार्यक्रम की शुरुआत फेमस सिंगर मनोज गुप्ता के भजनों से हुई। इस दौरान उन्होंने तुलसीदास के भजन गाइए गणपति जगवंदन से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने 'माघ पर्व स्नान का फल है भक्तों भारी' की प्रस्तुति देकर लोगों का दिल जीत लिया।

सीता वनवास नाटक की प्रस्तुति

सांस्कृतिक उत्सव के दौरान दूसरी प्रस्तुति में दिल्ली की नाट्य संस्था थिएटरवाला ने रामजी बाली के निर्देशन में सीता वनवास नाटक की प्रस्तुति दी। इसके बाद त्रिपुरा के लोक कलाकारों ने रेंग जनजाति में होने वाले होजागिरी नृत्य की प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कश्मीर के कलाकारों ने पहाड़ी नृत्य पेश किया। इसी क्रम में आंध्र प्रदेश के लोक कलाकारों ने आगे बढ़ाते हुए लम्बाडी नृत्य पेश किया। बंजारा जनजाति का यह नृत्य इस मामले में अदभुत है कि इसमें स्त्रियां राजस्थानी स्टाइल में साडि़यां पहनकर शीशे लगे आभूषण धारण करके नृत्य करती हैं। कार्यक्रम का समापन असम के लोक कलाकारों के बिहू नृत्य के साथ हुआ। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत प्रमोद बंसल ने दीप जलाकर किया। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र मिश्र ने किया।