प्रयागराज ब्यूरो । माघ मेला बसाने में अब महज दो महीने का वक्त शेष है। मेला की तैयारी को लेकर अफसरों सक्रियता बढ़ा दी गई है। बसावट में गंगा नदी के बहाव को लेकर अफसरों परेशान दिखाई दे रहे हैं। मंगलवार को गंगा के कटाव और बहाव का अधिकारियों के जरिए मुआयना किया गया। गंगा नदी की दो धारा को देखकर अफसरों का माथा चकरा रहा है। ऐसी स्थिति में पूरे नंबर महीने तक विभाग गंगा नदी के एक धारा में बहने का अफसर अब इंतजार करेंगे। इस एक महीने में गंगा नदी में पानी का बहाव कम होने व धारा एक होने का उम्मीद जताई जा रही है।

नहरों के चालू होने पर घटेगा जल स्तर
महाकुंभ से पहले वर्ष 2024 में माघ मेला लगेगा। संगम की रेत पर बसाए जाने वाले माघ मेला को लेकर अधिकारियों ने प्लान बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी वर्क के टेंडरिंग का काम शुरू नहीं हो सका है। क्योंकि गंगा नदी में पानी का बहाव काफी तेज है। जल स्तर अधिक होने के साथ नदी दो धाराओं में बह रही है। ऐसी स्थिति में कटान भी काफी तेज है। हालात यही रहे तो नदी में पांटून पुल बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मंगलवार को अपर मेला अधिकारी, पीडब्लूडी, जल पुलिस सहित कई विभागों की टीम गंगा घाटों के निरीक्षण में निकली। दारागंज साइड से संगम तक गंगा के बहाव और जल की स्थिति एवं कटान की दशा का मुआयना किया गया। अफसरों ने बताया कि निरीक्षण में पाया गया कि गंगा का जल स्तर काफी अधिक है। इस लिए बहाव तेज होने से कटाव भी तेज है। साथ रहे नहर विभाग के अफसरों ने पानी अधिक होने का कारण मेला अधिकारियों को बताया। कहा कि अभ नहरों में सिल्ट सफाई का काम चल रहा है। ऐसे में नहरों में जाने वाला पानी गंगा नदी में ही आ रहा है। जब नवंबर के अंत तक नहरों के चालू होने पर गंगा में जल स्तर घटेगा और बहाव कम हो जाएगा। पानी कम होने के बाद उम्मीद है कि गंगा नदी की धारा एक हो जाएगी। ऐसी स्थिति में अब माघ मेला बसाने का काम नवंबर के बाद ही शुरू होगा। यानी पांटून पुल आदि के निर्माण का काम दिसंबर महीने या नवंबर के लास्ट वीक में ही शुरू होगा। तब तक मेला के बसावट की रूप रेखा व प्लान और टेंडरिंग आदि का काम पूरा किया जाएगा।