प्रयागराज ब्यूरो । कब्रिस्तान के सामने ही लगा टेंट, सैकड़ों लोग जुटे, महिलाओं और बच्चों की संख्या रही ज्यादा
पुलिस भी रही एलर्ट, आसपास का एरिया किया गया ब्लाक, बंद रही सभी दुकानें
सैकड़ों लोगों के लब खामोश थे और आंखें नम थी। दिल परेशान था। तड़प रहे हर दिल में गम के साथ गुस्से की चिंगारी सुलग रही थी। लेकिन, सामने वाला चेहरा देखकर इसे भांप नहीं सकता था। कुछ ऐसे ही भाव थे उन लोगों के चेहरे पर जो कसारी मसारी कब्रिस्तान के समीप लगे टेंट में दोपहर से ही पहुंच गये थे। इनकी संख्या सैकड़ों में थी। अगुवाई महिलाएं ज्यादा कर रही थीं। दूसरे नंबर पर मौजूदगी बच्चों की थी। पुरुष घूमते-टहलते दिखे लेकिन पुलिसवालों के सामने पडऩे से कतराते रहे। इंतजार हो रहा था अतीक के तीसरे नंबर के असद की बॉडी का। दोपहर से शाम हो गयी और इंतजार बढ़ता ही चला गया। समाचार लिखे जाने के समय भी उसकी बॉडी प्रयागराज नहीं पहुंची थी फिर भी लोग डटे हुए थे।

पुलिस कर रही थी कदमताल
एक अजीब सी छटपटाहट के बीच इतनी भीड़ होने के बावजूद मंजर काफी खामोशी और सन्नाटे वाला था। शांति व सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के जवाब भी पब्लिक के बीच कदम ताल करते रहे। बढ़ती भीड़ को कम करने की कोशिश में पुलिस के अफसर लोगों को दूर जाने की नसीहत देते नजर आ रहे थे। कुछ ऐसा ही मंजर था शुक्रवार को अतीक अहमद के खंडहर हो चुके शहर के चकिया स्थित पैतृक मकान के परिसर का। दरअसल अतीक के घर पर इस माहौल के पीछे एक बड़ी वजह थी। मौजूद भीड़ को खबर मिली थी कि झांसी में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम की बॉडी लेकर पुलिस उनके घर आने वाली है। बस इसी खबर को सुनकर सभी असद के जनाजे में शामिल होने के लिए यहां पहुंचे थे। अतीक के इन हमदर्दों की इस भीड़ में सिर्फ पुरुष ही नहीं थे। महिलाओं की भीड़ भी अच्छी खासी थी। इन सब के बीच युवा भी खासी संख्या में मौजूद रहे।

अतीक के दरवाजे के सामने उमड़े हमदर्द
सिर पर गुनाहों की फाइलों के बोझ से दबे अतीक अहमद के कुल का एक दीपक असद पुलिस मुठभेड़ में बुझ गया। झांसी में हुई मुठभेड़ में उमेश पाल हत्याकांड के आरोपित रहे अतीक के बेटे व पांच-पांच लाख के इनामी असद एवं शूटर गुलाम ढेर हो गये हैं। गुरुवार सुबह प्रयागराज पहुंची इस खबर को सुनकर हर कोई सन्नाटे में आ गया। लोगों को खबर मिली मिली झांसी में ढेर हुए अतीक के बेटे असद व शूटर गुलाम की बॉडी को पुलिस उनके घर लाएगी। यह सुनते ही मलबे में तब्दील अतीक के चकिया स्थित मकान पर लोगों की भीड़ लगने लगी। दोपहर तक सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष व युवा अतीक के इस मकान पर जा पहुंचे। मकान पर पहुंचे लोग असद की बॉडी आने व उसके नजाजे में शामिल होने के लिए इंतजार करने लगे। मुठभेड़ में मारे गए अतीक के लाडले बेटे असद की मौत से हर कोई शॉक्ड सा था। क्या पुरुष और क्या महिलाएं हर कोई अतीक व उसकी फेमिली के इस गम में सशरीर तहे दिल से शरीक रहा।
मोहल्ले के लोग भी निकले
मुसीबत के इस वक्त में मोहल्ले के वे लोग भी अतीक के दरवाजे नजर आए जिनका अतीक से कभी वास्ता तक नहीं था। बात मोहल्ले की थी लिहाजा वे दरवाजे पर जाने से खुद को नहीं रोक सके। खैर असद की बॉडी के इंतजार में सुबह शाम हो गई। पुलिस उसकी बॉडी को लेकर चकिया उसके घर पर नहीं पहुंच सकी। शाम होने की वजह से तमाम लोग घरों को चले गए। मगर, दर्जनों लोग फिर भी उसकी बॉडी आने के इंतजार में अतीक के टूटी हुई हस्ती यानी मकान पर बैठे रहे। जब सूरज ढलने लगा और असद की बॉडी दरवाजे पर नहीं पहुंची तो मौजूद लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हुईं। जितने लोग उतनी तरह की बातें सुनने लोगों के बीच सुनाई देनी लगीें।


बेवजह सड़क पर न घूमें
सुरक्षा में लगायी गयी पुलिस बेवजह सड़कों पर खड़े लोगों को रोड से दूर जाने की हिदायत देती दिखी। यहां खुल्दाबाद, करेली। सिविल लाइंस व शाहगंज थाना पुलिस के साथ पीएसी के जवान भी दिखाई दिए। देर होते देखकर पुलिस महिलाओं को घर जाने के लिए कही तो वह नाराज हो गईं। महिलाओं ने गुस्से में पुलिस को जवाब दिया कि वे नहीं जाएंगी। महिलाओं का जवाब सुनकर पुलिस के जवाब शांत हो गए।


छलका गम, पुलिस पर सवाल
असद को आखिरी विदाई देने के लिए उसके घर पहुंचे लोग देर होने पर तरह तरह के सवाल खड़े करने लगे। चर्चाओं पर गौर करें तो उनका कहना था कि पुलिस जानबूझ कर देर कर रही है। पुलिस का प्लान है कि असद की बॉडी को रात में लाया जाय ताकि मोहल्ले के लोगों की भीड़ उसके जनाजे में शामिल न हो पाए। महिलाओं का कहना था कि पड़ोसी और मोहल्ले के लोग ही एक दूसरे के काम आते हैं। जब उसकी बॉडी को लाना ही था तो दिन में लेकर आते। कम से कम मोहल्ले के लोग आखिरी बार उसे दख लेते। इसी मोहल्ले में वह खेला और बड़ा हुआ है। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि पुलिस ने गलत किया। असद गलती किया था तो उसके लिए कानून और कोर्ट है। अदालत उसे जो सजा देना होता देती। इस तरह से पुलिस किसी को कैसे मार सकती है। यह बातें इस बात को स्पष्ट करती दिखाई दीं कि असद के मोहल्ले चकिया के तमाम लोगों में उसकी मौत से काफी गमजदा हैं।