प्रयागराज ब्यूरो शहर के वार्डों से निकलने वाला कूड़ा अब लोगों की भागदौड़ भरी जिंदगी को रफ्तार देने वाली है। इस कूड़े से तैयार बायो गैस से लोगों की कार व अन्य गाडिय़ां सड़कों पर चला करेंगी। शहर के लोगों को इस व्यवस्था का काफी ज्यादा लाभ कई तरीकों से मिलेगा। पहला तो सिटी से निकलने वाले कूड़े का बसवार या अन्य निस्तारण प्लांटों पर ढेर नहीं लगेगा। दूसरा शहर को साफ सुथरा बनाने में काफी मदद मिलेगी। इससे सिटी में कचरे से होने वाला पर्यावरणीय नुकसान भी काफी हद तक रुक जाएगा। एयर की शुद्धता में भी काफी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं हर साल नगर निगम को बतौर रॉयल्टी 56 लाख रुपये का लाभ भी होगा। रॉयल्टी के रूप में प्राप्त इस रकम से नगर निगम शहर के विकास को गति देने का काम करेगा। व्यवस्था एक और फायदे अनेक वाली इस स्कीम पर काम शुरू हो चुका है। कोई रोड़ा या बाधा उत्पन्न नहीं हुई तो जल्द ही यह व्यवस्था शहर में लागू हो जाएगी।
गीला कचरा से बनेगी बायो गैस
तमाम कोशिशों के बावजूद शहर से कलेक्ट किए गए कचरे का प्रबंधक पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। नगर निगम से कूड़ा कलेक्शन का काम लेने वाली कंपनी बसवार प्लांट तक कचरा पहुंचा जा रही है। मगर वहां पर इसके निस्तारण का काम काफी सुस्त है। जिसकी वजह से बसवार में दिनों दिन कूडे का पहाड़ बनता जा रहा है। हालात से निपटने के लिए नगर निगम ने एक और पुख्ता प्लान तैयार किया है। शहर में निकलने वाले गीला कचरा से बायो गैस बनाने की योजना है। इस योजना को धरातल पर उतारने की कसरत युद्ध स्तर पर की जा रही है। इसके लिए इंदौर की एक एजेंसी ने पूरा काम लिया है।
बाउंड्री का काम हो चुका है पूरा
एजेंसी का नैनी अरैल के पास नगर निगम की एसटीपी के बगल अपना प्लांट लगाएगी। प्लांट लगाने के लिए बाउंड्री का काम पूरा हो चुका है। प्लांट बनकर तैयार होने के बाद बाद कंपनी शहर नगर निगम से हर प्रति दिन 200 टन गीला कचरा लेगी।
इसके बाद अत्याधुनिक उपकरणों की मदद व तरीके से बायो इस गीले कचरे से बायो गैस तैयार करेगी। इस तैयार बायो गैस को वही एजेंसी मार्केट में बेचने का भी काम करेगी।
गीले कचरे से तैयार बायो गैस के जरिए गैस से चलने वाली कार व अन्य गाडिय़ां चलाई जाएंगी। इससे पेट्रोल व डीजल के प्रयोग से होने वाला प्रदूषण भी काफी हद तक कंट्रोल होगा।
इस तरह एक तो गीला कचरा उपयोग में आ जाएगा दूसरे तैयार गैस भी लोगों के काम आएगी। इससे तैयार बायोगैस अन्य गैस की तुलना में सस्ती भी होगी। क्यों कि इसमें सिर्फ शहर से निकला गीला कचरा ही प्रयोग किया जाएगा।
इस बायो गैस को मार्केट में बेचने की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी की होगी। सबसे बड़ी बात यह कि कचरा देने के लिए प्लांट का मालिक नगर निगम को 56 लाख रुपये प्रति वर्ष बतौर रॉयल्ट देगी। इस तरह नगर निगम एक तीर से कई निशाना करने का मजबूत प्लान तैयार कर चुका है। जिस पर काम शुरू भी हो गया है।
शहर के गीला कचरा से बायो गैस बनाने के लिए प्लांट को स्थापित किया जा रहा है। यह व्यवस्था अमल के आने के बाद शहर तो स्वच्छ होगा ही बायो गैस की उपलब्धता भी बेहतर हो जाएगी।
उत्तम कुमार वर्मा, पर्यावरण अभियंता नगर निगम