बाजार से गायब हो गई होम्योपैथिक दवा एस्पीडोस्पर्मा
आक्सीजन लेवल तत्काल मेंटेन होने का मैसेज वायरल होने के बाद बढ़ गयी है डिमांड
मार्केट से आक्सीजन सिलेंडर लगभग गायब हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बमुश्किल मिल रहा है। ऐसे में कोरोना मरीजों का आक्सीजन लेवल बढ़ाने में कौन सी दवा कारगर होगी इसकी खोज सभी कर रहे हैं। फिलहाल होम्योपैथिक की एस्पीडोस्पर्मा दवा एक बेहतर आप्शन के रूप में सामने आई है। खुद डॉक्टर्स ने इसे प्रूव किया है और मरीजों को इस दवा की डोज लेने सलाह दे रहे हैं।
लंग्स टानिक है एस्पीडोस्पर्मा
एस्पीडोस्पर्मा र्को होम्योपैथी चिकित्सा में लंग्स टानिक के रूप में जाना जाता है।
किसी कारणवश जब फेफड़ों में आक्सीजन नहीं पहुंच पाती तो इनकी प्रॉपर डोज इस आक्सीजन लेवल को बढ़ाने का काम करती है।
डॉक्टर्स कहते हैं कि होम्योपैथी में दवा लक्षण के आधार पर नही दी जाती है।
एस्पीडोस्पर्मा भी ऐसी ही मेडिसिन है। इसका काम लंग्स में आक्सीजन लेवल बढ़ाने का है।
ब्लाटा और लेबेलिया इनफ्लानाटा भी लंग्स में आक्सीजन लेवल बढ़ाने का काम करती हैं।
इन तीनों दवाओं का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह कतई नही करना चाहिए।
डोज- सुबह, दोपहर और शाम 10-10 बूंद
प्राइज- 60 रुपए की 30 एमएल
पहाड़ों पर कारगर है यह फार्मूला
इसी तरह आक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए कपूर, लौंग, अजवाइन और यूकेलिप्टस की पोटली बनाकर सूंघने की पोस्ट भी जमकर वायरल हो रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह फार्मूला कही डाक्यूमेंट में नही है लेकिन यह पहाड़ों पर कारगर है। जो लोग कैलाश मानसरोवर यात्रा पर या लद्दाख घूमने जाते हैं उनको यह पोटली बनाकर स्थानीय लोग देते हैं। इससे वहां की ठंडी हवाओं के बीच जब आक्सीजन लेवल कम होता है यह पोटली उसे मेंटेन करने के काम आती है। जिससे फेफड़ों में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानी दूर होती है। यह शरीर को गर्म भी रखने के काम आती है।
मार्केट से गायब है दवाएं
इस समय मार्केट से एस्पीडोस्पर्मा दवा लगभग गायब हो चुकी है। लोगों ने मैसेज वायरल होते ही इस दवा का स्टाक कर लिया है। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दुकानदारों को ग्राहकों को उचित डोज देने के निर्देश दिए हैं और कंपनियों को स्टाक अवलेबल कराने को कहा है।
होम्योपैथी में कोई भी दवा डाग्नोसिस के आधार पर नहीं चलाई जाती। लक्षण के आधार पर चलाने से एस्पीडोस्पर्मा का रिजल्ट बेहतर नजर आ रहा है। यही कारण है कि मरीजों को यह दवा उपलब्ध कराई जा रही है। हमने शुक्रवार को दवा विक्रेताओं के साथ बैठक में किसी को भी ओवर डोज मुहैया नहीं कराने के आदेश दिए हैं।
डॉ। संजीव वर्मा
डिस्ट्रिक्ट होम्यापेैथिक आफिसर प्रयागराज
इस दवा की जबरदस्त मांग है। इस समय स्टाक मौजूद नहीं है। वैसे किसी भी मरीज को 30 एमएल से अधिक दवा नहीं दी जा रही है। आपको बता दें कि यह दवा शुरू से ही लंग्स टानिक का काम करती आ रही है और इसके रिजल्ट बहुत अच्छे हैं। इसकी डोज का असर देखने को मिलता है।
डॉ। डीके मिश्रा
होम्योपैथी फिजीशियन, नैनी
कपूर, लौंग, अजवाइन में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो बॉडी में आक्सीजन लेवल को मेंटेन करने का काम करते हैं। यही कारण है कि पहाड़ों पर चढ़ने वालों को यह पोटली उपलब्ध कराई जाती है। यह हजारों साल पुराना फार्मूला है और लोग इसका पालन करते हैं। कोरोना काल में लोग इसका आज भी कारगर उपयोग कर रहे हैं।
डॉ। संजय त्रिपाठी
आयुर्वेदाचार्य