- दस माह में दूसरी बार संक्रमित हो गए मुंडेरा के व्यापारी

- पत्नी और बेटे में भी दिखे लक्षण, सभी घर में हुए कैद

प्रयागराज- कितना भी नुकसान हो जाए। कभी हौसला नहीं खोना चाहिए। मुंडेरा के रहने वाले धनंजय सिंह से इस बात की सीख लेनी चाहिए। पिछले दस माह में वह दूसरी बार संक्रमित हुए हैं, बावजूद इसके उन्होंने हौसला नहीं हारा है। इतना ही नहीं, कोरोना ने उनकी माता को भी छीन लिया। यह दुख टला भी नहीं था कि पत्नी और बेटा भी सिम्टोमेटिक हो गए। इसके बाद भी धनंजय ने हार नहीं मानी। वह कहते हैं कि मेरे परिवार ने इस खतरे को पार कर लिया है। दूसरों को भी इस संकट की घड़ी में नहीं घबराना चाहिए।

13 अप्रैल को बीमार हुई थी मां

धनंजय बताते हैं कि 13 अप्रैल को उनकी मां शिववंसो देवी बीमार हो गई थीं। वह 78 साल की थीं। आनन-फानन में उन्होंने मां को धूमनगंज के अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां से डाक्टर्स ने उन्हें एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया था। लेकिन वहां पहुंचने से पहले मां का निधन हो गया। वह कोरोना संक्रमित थीं और इसके बाद 14 अप्रैल से उनका परिवार भी आइसोलेट हो गया। धनंजय कहते है कि जांच में वह निगेटिव आए थे लेकिन सीटी स्कैन में उनके फेफड़े में इंफेक्शन था। उनका सीटी वैल्यू भी काफी कम था। ऐसे में उन्होंनें घर पर अपना इलाज शुरू कर दिया। वह कहते हैं कि पिछली बार 13 अगस्त को वह संक्रमित हुए थे और उन्हें ठीक होने में 40 दिन लग गए थे। दोबारा वह संक्रमित हो गए हैं इसलिए उन्हें सभी चीजें पता हैं। फिलहाल वह दवाएं ले रहे हैं और नियमों के पालन में लगे हैं।

पत्नी और बेटा भी खतरे से बाहर

वह कहते हैं कि पत्नी और बेटे में भी लक्षण दिखने पर वह भी मेरे साथ घर पर ही आइसोलेट हैं। उनका इलाज भी चल रहा है। हमने घर और आफिस बंद कर दिया है और रिश्तेदारों के आने पर रोक लगा दी है। सभी को फोन पर मना कर दिया है। अब हम खतरे से बाहर हैं फिर भी एहतियात बरत रहे हैं। मेरा कहना है कि लोग खुद को बचाकर रखें। जरा सी लापरवाही अपनों से दूर कर सकती है। कोरोना एक गंभीर बीमारी है और वह बुजुर्ग और कम इम्युनिटी वालों पर हमला करती है। ऐसे में कमजोर और बूढे इसका शिकार बन जाते हैं। इसलिए खुद के साथ घर के बुजुर्गो को भी इस रोग से बचाकर रखना है। वरना एक गलती का खामियाजा जीवन भर भुगतना पड़ सकता है। जिसके लिए हम आमतौर पर तैयार नहीं रहते हैं।