प्रयागराज (ब्‍यूरो)। रामकथा में अहिल्या उद्धार प्रसंग सुनकर श्रोता भक्ति की धारा में बह निकले। उन्होंंने भगवान श्रीराम द्वारा देवी अहिल्या को श्राप से मुक्ति मिलने पर भगवान श्रीराम के जयकारे भी लगाए। इस प्रसंग का वर्णन शुक्रवार को श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी के प्रांगण में हो रही Óनौ दिन सुनिये रामकथाÓ के तीसरे दिन हुआ। जिसे अयोध्या से आए पं। मधुसूदन शास्त्री ने अपनी वाणाी से प्रस्तुत किया।

सीमा स्वयंवर और धनुष टूटने का प्रसंग भी सुना
संगीतमय प्रवचन में पं। मधुसूदन ने बताया कि राम जब ऋषि विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ रक्षा के लिए जा रहे थे तभी एक निर्जन वन में उनके पांव ठिठक गए। उन्हें वहां एक शिला दिखी। इसके बारे में जिज्ञासा वश विश्वामित्र से पूछा तो अहिल्या को मिले श्राप की जानकारी हुई।
इंदौर से आयीं रामकथा वाचक सिया भारती ने सीता स्वयंवर का प्रसंग सुनाया। कहा कि निष्काम भावना हो तो सीता की तरह भगवान को पाया जा सकता है। गोरखपुर के चौरीचौरा से आए पं। हेमंत तिवारी ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष टूटने पर परशुराम के क्रोधित होने और लक्ष्मण के उनसे संवाद का प्रसंग सुनाया। संचालन लल्लूलाल गुप्त ÓसौरभÓ ने किया।