30
से 40 रुपये अधिक रहे 500 के स्टैंप पर
20
रुपये में बेच रहे हैं 10 रुपये का ई-स्टैंप
100
के ई-स्टैंप पर ले रहे हैं 20 रुपये ज्यादा
50
रुपये के ई-स्टैंप को बेच रहे हैं 60 में
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डीएम कार्यालय व कोषागार के सामने खुले आम रेट से अधिक में बेचे जा रहे हैं ई-स्टैंप
कम्प्यूटर, स्याही और कागज के नाम पर निर्धारित रेट से कई गुना ज्यादा कर रहे वसूली
PRAYAGRAJ:
'हर साख पे उल्लू बैठा है आबाद गुलिस्तां क्या होगा? बर्बाद गुलिस्तां के खातिर बस एक ही उल्लू काफी है.' यह पंक्ति जिले में ई-स्टैंप की बिक्री पर सटीक बैठती है। हर ई-स्टैंप रेट से अधिक रुपये की वसूली का खेल खुले आम चल रहा है। हैरत की बात यह है कि यह सब कुछ डीएम कार्यालय व कोषागार के ठीक सामने चल रहा है। कचहरी के 48 खंभा के आसपास ई-स्टैंप बेचने वालों में तगड़ी सहमति है। कोई ऐसा ई-स्टैंप विक्रेता नहीं जो खरीदार से रेट-टू-रेट सरकारी रुपये ले रहा हो। जरूरत को देखते हुए विक्रेताओं द्वारा मांगे गए रुपये देने के लिए लोग मजबूर हैं। फिर वह खुद जिला कचहरी के अधिवक्ता ही क्यों न हों। हर स्टैंप पर दस से लेकर 30 और 40 रुपये तक एक्स्ट्रा वसूले जा रहे हैं। हैरान करने वाली यह सच्चाई दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा किए गए रियलिटी चेक में सामने आई।
किस दुकान पर क्या मिला जवाब
रिपोर्टर कुछ लोगों के साथ जिला कचहरी 48 खम्भा उन लोगों के पास पहुंचा जो ई-स्टैंप बेच रहे थे। लोग मोबाइल में रिकार्डिग चालू कर खरीदार की तरह एक ई-स्टैंप विक्रेता से बातचीत शुरू किए। रिपोर्टर के कहने पर उन लोगों द्वारा पहले दस रुपये के स्टैंप की खरीद को लेकर दुकानदार से बात शुरू की गई।
ई-स्टैंप विक्रेता द्वारा दस रुपये के स्टैंप का रेट 20 रुपये, दोबारा 100 रुपये के स्टैंप का दाम 120 रुपये बताया गया
रिपोर्टर के इशारे पर जब साथ रहे लोग 500 रुपये के स्टैंप की बात किए तो ई-स्टैंप विक्रेता ने रेट 530 रुपये बताया
रिपोर्टर उन्हें लेकर एक दूसरे ई-स्टैंप विक्रेता के पास पहुंचा सीधे 500 रुपये के स्टैंप की मांग की गई
इस ई-स्टैंप विक्रेता द्वारा 500 रुपये के स्टैंप की कीमत 540 रुपये बताई गई और 50 के स्टैंप का रेट 60 रुपये बताया गया
सभी रुपये बढ़ाकर ले रहे हैं या एक दो ई-स्टैंप विक्रेता ही, यह जानने के लिए रिपोटर्र उन्हें लेकर तीसरी दुकान पर गया
इस विक्रेता से सीधे 500 रुपये के स्टैंप को खरीदने की बातचीत शुरू की गई तो इसके द्वारा भी 540 रुपये मांगे गए
रिपोर्टर के इशारे पर वह सवाल किए किए ऐसा क्यों कर रहे हैं आप सब इतने रुपये बढ़ा कर क्यों ले रहे हैं
ई-स्टैंप विक्रेता द्वारा जवाब मिला अरे भाई ठीक है आप 520 ही दे दो बस, छोटे भाई हो कोई बात
लोगों ने जब ये सवाल कि क्या ज्यादा रुपये लेने के सरकारी आदेश हैं? तो जवाब मिला चलो 510 ही दो
रेट को लेकर जब ई-स्टैंप विक्रेता से बात चीत शुरू हुई तो वे जवाब दिया प्रिंटिंग और बिजली का खर्च कौन देगा?
जब टीम द्वारा जवाब दिया गया कि वह भी पब्लिक से ही लोगे तो उत्तर मिला ई-स्टैंप में कागज आदि भी तो लगते हैं
रिपोर्ट जवाब दिया फिर स्टैंप पर आप को सरकार कमीशन भी तो देती है, इस पर उत्तर मिला लेना हो लो नहीं जाइए
रिपोर्टर के साथ रहे लोग जब सवाल किए कि क्या रेट बढ़ाकर लेना सही है, तो जवाब मिला न सही है और न ही आदेश
ई-स्टैंप विक्रेता ने कहा कम्प्यूटर लगाए हैं प्रिंटर में स्याही और कागज व बिजली बिल आदि लगाते हैं यह भी देखिए
देखिए ओरल शिकायतें हमारे पास भी आई हैं। मगर, कौन वेंडर ऐसा कर रहा किसी ने नाम नहीं बताया। यदि शिकायत करने वाले वेंडर का नाम बताते हैं तो जांच बाद उसके लाइसेंस सस्पेंड व निरस्त भी किए जाते हैं। ई-स्टैंप के निर्धारित रेट से ज्यादा रुपये लेना गलत है।
मार्तड प्रताप सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व
अवैध वसूली की शिकायत
ई-स्टैंप पर अवैध वसूली की शिकायत
अधिवक्ता राम भगत दुबे द्वारा अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व से की गई है। दस मार्च को किए गए शिकायती पत्र में उन्होंने अवैध वसूली पर कड़ी आपत्ति जताई है। साथ ही दोषी वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जनपद न्यायालय के अधिवक्ता ने बताया है कि पूरावल्दी कीडगंज निवासी प्रथम जायसवाल ई-स्टैंप वेंडर हैं। उनके द्वारा जबरन अवैध धनराशि लेकर ई-स्टैंप दिए जा रहे हैं। शिकायत पत्र में उन्होंने लिखा है कि वेंडर द्वारा 10 रुपये के स्टैंप पर 20 से 30 रुपये अधिक लिए जा रहे हैं। इसी प्रकार अन्य मूल्यों के ई-स्टैंप पर 20 से 25 रुपये एक्स्ट्रा की वसूली हो रही है। विधि व्यवसाय के निमित्त प्रति दिन दस रुपये के ई-स्टैंप की आवश्यकता होती है। बताया कि नौ मार्च को वह उस वेंडर से उनके द्वारा पांच ई-स्टैंप खरीदे गए। जिस पर उनसे वेंडर द्वारा 100 रुपये अधिक की वसूली की गई। उन्होंने बताया कि कमोवेश लगभग सारे स्टैंप वेंडर की यही स्थिति है। उन्होंने जांच कर दोषी वेंडरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने व अवैध वसूली बंद कराने की मांग की।