प्रयागराज ब्यूरो, केवल एलोपैथी ही नही बल्कि होम्योपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा विधि में भी डेंगू का इलाज है। इससे बुखार तो कम होता है, प्लेटलेट की संख्या भी खून में बढ़ जाती है। डॉ। डीके मिश्रा बताते हैं कि होम्योपैथी में जेल्सीमीयम 200 और यूपाटोरियम 200 मरीजों में अधिक लोकप्रिय हो रही है। आयुर्वेदाचार्य डॉ। संजय त्रिपाठी की माने तो आयुर्वेद विधि में गिलोय धनबटी और प्लाटेंजा टेबलेट का अधिक उपयोग किया जाता है। इनका फायदा भी डेंगू के बढ़ते मरीजों को मिल रहा है। इसके अलावा पपीता के पत्ते, बकरी का दूध और नारियल पानी की बाजार में डिमांड बनी हुई है।
तेजी से बढ़ रहा संक्रमण
इस बीच सोमवार को डेंगू के 39 नए मामले सामने आए हैं। यह अब तक इस सीजन में एक दिन में मिलने वाले सबसे ज्यादा मरीज हैं। इसके चलते जिले में डेंगू केसेज की कुल संख्या 502 हो चुकी है। डीएमओ डॉ। आनंद सिंह का कहना है कि 47 मरीज अभी सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं और उनका इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो प्रयागराज में अभी तक डेंगू से कोई मौत नही हुई है। प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती डेंंगू मरीजों का आंकड़ा स्वासथ्य विभाग के पास मौजूद नही है।
चाह कर भी नही करा पा रहे एलाइजा जांच
उधर मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलाजी लैब को पुणे से पर्याप्त मात्रा में एलाइजा किट नही मिलने से रोजाना दो सौ से अधिक लोगों की जांच नही हो पा रही है। अन्यथा अगर रोजाना पांच सौ से अधिक जांच हो तो डेंगू के अधिक मरीज पकड़ में आएंगे और इसके संक्रमण पर लगाम लगाना आसान हो जाएगा। फिलहाल रैपिड किट के इलाज के आधार पर डेंगू के मरीजों का इलाज किया जा रहा है और इसे स्वास्थ्य विभाग मान्यता भी नही दे रहा है।